लख़नऊ। योगी सरकार द्वारा सोमवार को पेश किए गए डिजिटल बजट में जहां सभी वर्गों का ध्यान रखने की कोशिश की गई है। वहीं कोई विशेष राहत न मिलने से व्यापारियों ने नाराजगी जताई है। व्यापारी नेताओं ने कहाकि बजट से व्यापारी समाज को काफी उम्मीदें थी लेकिन निराशा मिली।
रितेश कुमार गुप्ता |
नोटबंदी, जीएसटी और उसके बाद लॉकडाउन से व्यापारी समाज सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। सरकार एक पिता की तरह होती है जिस तरीके से एक पिता अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के बारे में सोचता और करता है। उसी तरीके से सरकारों को भी करना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य है सरकारों को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला व्यापारी समाज लॉकडाउन से लेकर अभी तक परेशानियों से उभर नहीं पाया है और निरंतर आर्थिक परेशानियों को झेल रहा है। सरकार सीधे व्यापारी समाज को छूट देकर लाभ दे सकती थी किंतु ना तो केंद्र सरकार ने और ना ही राज्य सरकार ने बजट में ऐसी कोई व्यवस्था की है। आम व्यापारी समाज को किसी भी तरीके से राहत मिले ऐसा बजट में कुछ नहीं है।
रितेश कुमार गुप्ता (प्रदेश महामंत्री)
उप्र युवा उद्योग व्यापार मंडल
संजय सोनकर |
लॉकडाउन के चलते आर्थिक मंदी की मार झेल रहे प्रदेश के व्यापारी समाज को इस बजट से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन बजट में व्यापारियों का कोई ध्यान नहीं रखा गया। बजट में कोई लाभ न मिलने से व्यापारियों में निराशा है।
संजय सोनकर (प्रदेश महामंत्री)
उप्र युवा उद्योग व्यापार मंडल
केके अवस्थी |
बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा, किसानों, महिलाओं सहित लगभग सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है। लेकिन व्यापारियों को कोई राहत नहीं मिली है। लॉकडाउन में चौपट हुए व्यापार के कारण आर्थिक संकट झेल रहे व्यापारियों को बजट से काफी उम्मीदें थी। लेकिन बजट में कोई विशेष घोषणा नहीं होने से व्यापारियों को निराशा हुई है।
केके अवस्थी (प्रदेश अध्यक्ष)
जनहित उद्योग व्यापार मंडल
अमरनाथ मिश्रा महामंत्री लखनऊ व्यापार मंडल |
एक जन कल्याणकारी और लोक लुभावन बजट है परंतु इसमें विगत वर्ष सबसे ज़्यादा नुक़सान झेलने वाले व्यापारी वर्ग के लिए कोई योजना नहीं है। कम से कम कोरोना से मृतक हुए व्यापारियों को दुर्घटना बीमा का ही लाभ यदि सरकार दे देती तो समाज के लिए करोना काल में त्याग करने वाले व्यापारी वर्ग को भी कुछ लाभ मिलता।
रामबाबू रस्तोगी |
प्रदेश सरकार से 500 करोड़ रुपए से व्यापारी राहत कोष का निर्माण किये जाने और जिस व्यापारी के यहां लूट, चोरी, हत्या, डकैती, छिनैती हो जाए उस व्यापारी को व्यापारी राहत कोष से मुआवजा दिये जाने और पुलिस के द्वारा माल बरामदगी से सरकार के राहत कोष की अदायगी किये जाने की मांग की थी। लेकिन सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया है। व्यापारियों को जीएसटी, बिजली और नगर निगम के कर में राहत देना चाहिए। लेकिन बजट में व्यापारियों को कोई लाभ नहीं दिया गया है। यह बजट ऊँट के मुँह में जीरा की तरह से है। उत्तर प्रदेश में स्मार्ट सिटी के लिए बजट पारित किया गया है और 400 करोड़ रुपए किसानों के लिए निर्धारित किया गया है। जो किसानों की परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए बहुत कम राशि है और इस राशि को बढ़ाकर सरकार को 25000 करोड़ रुपए करना चाहिए। शहर तो पहले से ही स्मार्ट है अब हमें गांव को स्मार्ट बनाने की जरूरत है।
रामबाबू रस्तोगी (प्रदेश अध्यक्ष)
प्रसपा (लोहिया) व्यापार सभा
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