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'इस पुरुष प्रधान समाज में भी पुरुष होना है आसान कहां...'

लख़नऊ। महिला काव्य मंच, उत्तर प्रदेश इकाई (मध्य) की 'लखनऊ' इकाई की काव्य गोष्ठी ऑनलाईन गूगल मीट पर बुधवार को होली के रंगों में रंग कर अत्यंत हर्षोल्लास के साथ आयोजित की गई। अध्यक्ष डॉ. रीना श्रीवास्तव के संयोजकत्व में हुई काव्य गोष्ठी का शुभारंभ दिव्यांशी शुक्ला द्वारा 'वर दे वर दे, वर दे मां शारदे' से हुआ। महिला काव्य मंच, उत्तर प्रदेश इकाई (मध्य) की अध्यक्ष डॉ. राजेश कुमारी ने कार्यक्रम की अध्यक्षा करते हुए कहाकि लखनऊ की कवयित्रियां सदैव इस काव्य गोष्ठी में कविता पाठ के लिए लालायित रहती हैं, जो यह प्रकट करता है कि यह मंच अपने ध्येय 'मन से मंच तक' पूर्ण करने में पूर्णतया सफल है। कविता एक ऐसी विधा है जो हृदय के उद्गार हृदय तक पहुंचाती है। होली की व्यस्तता में भी सभी कवयित्रियों ने बड़े हर्षोल्लास से काव्य पाठ किया।

काव्य पाठ का प्रारंभ अंजू ने 'स्वच्छ गगन है, शुद्ध पवन है, निर्मल है गंगा का नीर' से किया। तत्पश्चात डॉ. ज्योत्स्ना सिंह ने 'नारायणी नारी' सुनाकर खूब वाह वाही लूटी। डॉ. सुधा मिश्रा जी ने 'काल चक्र पर कसी गई हूं, बलि की वेदी पर रखी गई हूं।' सुनाते हुए नारी के यथार्थ पर प्रकाश डाला। वहीं कवयित्री जुली ने 'इस पुरुष प्रधान समाज में भी पुरुष होना है आसान कहां...' पढ़ते हुए पुरुष के यथार्थ पर प्रकाश डालते हुए वातावरण को भाव गंभीर बना दिया। डॉ. रेखा ने अपनी मधुर और आकर्षक आवाज़ में 'हैं विकल गोपियां ये होली में, अब तो आ जाओ श्याम होली में' ग़ज़ल प्रस्तुत किया। डॉ. कालिंदी पाण्डेय ने 'भोर के साथ शोर शुरू होता है' महत्वपूर्ण कविता पाठ किया। डॉ. कीर्ति श्रीवास्तव ने मां को समर्पित 'जब से तुम गई हो मां, मेरा मन खाली हो गया है' भावपूर्ण कविता पाठ किया।

प्रसिद्ध कवयित्री डॉ. शोभा त्रिपाठी ने 'कर्म बही का रुक्का निकला, देखें हिस्से में क्या निकला, दोस्त समझकर दर्द कहा था, दोस्त हमारा नेता निकला।' काव्य पाठ कर सबको आह्लादित कर दिया। कवयित्री साधना मिश्रा ने पति को समर्पित 'सतरंगी हो गई चुनरिया मेरे मन की' कविता पाठ किया। नवागंतुक कवयित्री स्नेहलता ने 'गीत केवल गीत नहीं होते' कविता पाठ द्वारा गीतों की महत्ता पर प्रकाश डाला। नवोदित कवयित्री दिव्यांशी शुक्ला ने 'तुम ही बताओ तुम्हारे प्रेम का वर्णन हम कैसे कर दें' प्रस्तुत कर वातावरण को झंकृत कर दिया। महिला काव्य मंच, उत्तर प्रदेश इकाई (मध्य) की महासचिव डॉ. उषा चौधरी ने 'न जाने कितने लम्हों के एहसास का हमराज मेरा तकिया मुझे दिखा' अत्यंत हृदय स्पर्शी कविता पाठ किया। कवयित्री बीना श्रीवास्तव ने 'पता भेजे दो न अपना' गाकर सबके मन को छू लिया। डॉ. शोभा बाजपेई ने 'लेखनी आज मेरी' कविता पाठ द्वारा काव्य लेखन पर प्रकाश डाला। तत्पश्चात मनीषा श्रीवास्तव ने 'जियारत हो मुकम्मल मेरी फाजिल बन जाऊं' ग़ज़ल पेश की।

कवयित्री अर्चना पाल ने आज के यथार्थ को व्यक्त करती कविता 'आखिर क्यों रखते हैं लोग अलग-अलग व्यवहार, किसी के लिए फूल तो किसी के लिए कांटों की बौछार' प्रस्तुत किया। इस अवसर पर कार्यक्रम का कुशल और प्रभावी संचालन करते हुए लखनऊ इकाई की अध्यक्ष डॉ. रीना श्रीवास्तव ने भी होली गीत 'आओ सखि सब रंग बस जाएं, दूर हटा कर मन मैल सारा होली का त्योहार मनाएं' प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. राजेश कुमारी ने 'यह कैसी प्रीति जगी मन में' होली आधारित कविता पाठ किया। डॉ. अनुराधा ने भी 'इस पीढ़ी ने नहीं चखे त्योहारों वाले थाल' प्रस्तुत कर वातावरण आनंदमय कर दिया। डॉ. अर्चना सिंह ने भी काव्य पाठ किया। अंत में डॉ. रीना श्रीवास्तव ने गोष्ठी में भाग लेने वाली सभी सम्माननीय कवयित्रियों का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम को विराम दिया।


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