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आईटीआई अनुदेशक कार्यदेशक सेवानियमावली में मनमाने संशोधन का विरोध

आईटीआई कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री, और अपर मुख्य सचिव को लिखा पत्र

लखनऊ। उत्तर प्रदेश औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में अनुदेशक कार्यदेशक सेवानियमावली सम्बंधी विभाग द्वारा प्रस्तावित शैक्षिक योग्यता के आधार पर बी.टेक. धारकों को 25 प्रतिशत पद पर पदोन्नति आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए उ.प्र. औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अखिलेश सिंह और महामंत्री अर्चना मिश्रा ने इसका विरोध किया है। इस सम्बंध में मुख्यमंत्री, अपर मुख्य सचिव कार्मिक को पत्र लिखकर अनुदेशक और कार्यदेशक की संविलियन प्रस्तावित नियमावली में कई अन्य तथ्यात्मक आपत्तियाॅ दर्ज कराते हुए इस प्रस्तावित नियमावली को निरस्त करने की मांग की गई है। यह भी कहा गया है कि इससे संवर्ग काफी आहत है। संवर्ग आन्दोलन और न्यायालय दोनों की शरण में जाने का मन बना रहा है।
उ.प्र. औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अखिलेश सिंह और महामंत्री अर्चना मिश्रा इस सम्बंध में मुख्यमंत्री और अपर मुख्य सचिव कार्मिक को प्रेषित पत्र में कहा है कि उत्तर प्रदेश औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान अनुदेशक कार्यदेशक के सम्बंध में विभाग द्वारा प्रस्तावित बीटेक अनुदेशक को 25 प्रतिशत शैक्षिक योग्यता के आधार पर पदोन्नति का विरोध करता है। उनके लिए समय अनुदेशक पद पर कार्य की अवधि दस वर्ष की जगह पाॅच वर्ष किया जाना तथा एक साथ नियुक्त अनुदेशको को शैक्षाणिक योग्यता के आधार पर पदोन्नति में आरक्षण का लाभ दिया जाना संविधान विरोधी और मौलिक अधिकारों के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है। पत्र के माध्यम से संघ ने भर्ती का स्त्रोत पदो को दिन भिन्न रीति से भरे जाने पर असहमति जताते हुए आगे लिखा है कि पचास प्रतिशत पद सीधी भर्ती बीटेक,डिग्रीधारी अभ्यर्थियों से भरे जाने और 50 प्रतिशत आईटीआई और सीटीआई की व्यवस्था उचित नही है। उन्होंने कहा कि एक पद दो अर्हता की ऐसी व्यवस्था प्रदेश में अन्य किसी विभाग में लागू नही है। अनुदेशक के पद की विहीत अनिवार्य योग्यता सीटीआई जो पूरे भारत में लागू है। विभाग में कार्यरत कार्यशाला परिचर को 5 प्रतिशत पदोन्नति अनुदेशक के पद पर है लेकिन जो प्रस्ताव भेजा गया है उसमें उसे एक प्रतिशत कर अनुचर का हक छीना जा रहा है। यही नही प्रस्ताव में एपरेन्टिसशिप पूर्व अभ्यर्थियों को नियुक्ति में वरीयता अंक को भी नजर अन्दाज किया गया है। जबकि इस सम्बंध में माननीय सुप्र्रीम निर्णय एवं उत्तर प्रदेश सरकार का शासनादेश भी है। उन्होंने मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन के पत्रांक संख्या मुख्य सचिव, कार्मिक अनुभाग एक बी 1040/का-1196 दिनांक 12 सितम्बर 1996 और मुसचिव उत्तर प्रदेश श्रम अनुभाग -6 के पत्र संख्या 2818/36-1-97-131 वी/97 दिनांक 03 जनवरी 1998 और कार्मिक अनुभाग 3 के पत्रांक संख्या 2027/का-3-2004-13/90/98 दिनांक 20 अक्टूबर 2004 के अलावा भारत सरकार की तरफ से बोर्ड आफ अपरेन्टिसशिप मानव संसाधन भारत सरकार के पत्र संख्या सेन्ट्रल अपरेन्टिसशिप काउसिल मिनस्टरी और मानव संसाधन विभाग  के पत्र संख्या एफ 36-14/96 टीएस 4 दिनांक 6 मई 1997 गर्वमेन्ट आॅफ केरला के जीओं 635/2013/एच.ईएनडी दिनांक 5 अक्टूबर 2013 का अनुपालन न किए जाने पर विरोध दर्ज कराया है। पत्र में यह भी कहा गया है कि सीआईटीएस प्रशिक्षित अनुदेशको को नियुक्ति अंक में प्राप्त कुल अंकों का दस प्रतिशत अंक वरीयता के सभी अभ्यथियों को दिये जाने का प्रस्ताव किया गया है जबकि भारत सरकार ने अपने दिशा निर्देश में तकनीकी योग्यता आईटीआई /डिप्लोमा/ डिग्री के प्राप्त अंकों का 60 प्रतिशत दिये जाने की सिफारिश की है। जबकि सीटीआई से प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों ाके 30 प्रतिशत की सिफारिश है। उन्होंने बीटेक योग्यताधारी को पाॅच वर्ष की सेवा के बाद 25 प्रतिशत कार्यदेशक के पद पर पदोन्नति के सम्बंध में एक उदाहरण लोक निर्माण विभाग का देते हुए बताया कि इस तरह का एक मामला माननीय उच्च न्यायालय लखनऊ खण्डपीठ रिट पिटीशन संख्या 53133/2004 प्रमोद शंकर उपाध्याय बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य को 3 नवम्बर 2006 में न्यायालय द्वारा असंवैधानिक बताते हुए कहा गया था कि  शैक्षिक योग्यता के आधार पर किसी पदोन्नति नही दी जा सकती यह असंवैधानिक है।

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