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बिजली इंजीनियरों ने ऊर्जा मंत्री के इस बयान का किया स्वागत, की ये मांग

लखनऊ। ऊर्जा मंत्री पं. श्रीकान्त शर्मा के ऊर्जा क्षेत्र में जल्दबाजी में निजीकरण के प्रयोग न करने और आगरा में फ्रेन्चाईजीकरण के किये गये प्रयोग उपभोक्ता हित एवं विभाग हित में न होने के विभिन्न समाचार पत्रों में छपे बयान का विद्युत अभियन्ताओं ने स्वागत करते हुए ऊर्जा मंत्री का आभार व्यक्त किया। वहीं अभियंताओं ने मांग की कि ग्रेटर नोएडा में एनपीसीएल और आगरा में टोरेन्ट के साथ किया गया करार निरस्त किया जाये। यह भी सूच्य है कि टोरेन्ट पावर कम्पनी द्वारा बिजली को रू0 7.16 के औसत दर से बेचा जा रहा है जबकि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि. से रू0 4.21 पैसे की दर से खरीदा जा रहा है। इस प्रकार टोरेन्ट पावर कम्पनी प्रति वर्ष लगभग 600 करोड़ रूपये का लाभ अर्जित कर रहा है। टोरेन्ट पावर कम्पनी द्वारा रेगुलेटरी सरचार्ज के रूप में 80 करोड़ रूपये रेगुलेटरी सरचार्ज और 30 करोड़ रूपये इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी के रूप में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि. की देनदारी बकाया है। वर्ष 2018-19 में टोरेन्ट पावर कम्पनी ने लगभग रू. 2.68 प्रति यूनिट की दर से लाभ अर्जित किया। जबकि टोरेन्ट पावर कम्पनी द्वारा बिजली वितरण क्षेत्र में AT&C loss 18.23 प्रतिशत है। जबकि केस्को (सरकारी क्षेत्र) कानपुर द्वारा बिजली वितरण क्षेत्र की AT&C loss मात्र 15 प्रतिशत है। उपरोक्त आकड़ों से स्पष्ट है कि विद्युत क्षेत्र में निजीकरण के विफल प्रयोगों को दोहराने की बजाय उप्र राज्य विद्युत परिषद की पुनर्स्थापना करने की मांग की है।

लखनऊ में हुई अभियंता संघ की बैठक में मौजूद इंजीनियरों ने कहाकि समाचार पत्रों में छपे लेख में विद्युत अभियन्ताओं के इस मत की पुष्टि हुई है कि आगरा में टोरेन्ट पावर द्वारा विद्युत उपभोक्ताओं के हितों तथा विभाग के हितों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। ग्रेटर नोएडा में निजी कम्पनी मे. एनपीसीएल को और अप्रैल, 2010 में आगरा शहर की बिजली वितरण का कार्य निजी कम्पनी मे. टोरेन्ट पावर को सौंपा गया। इन प्रयोगों के चलते पावर कारपोरेशन को अरबों रुपये का घाटा हो चुका है। मे. टोरेन्ट पावर लगभग 2200 करोड़ रुपये विभाग का दबाए बैठा है। पावर कारपोरेशन द्वारा मंहगी बिजली खरीद कर टोरेन्ट को सस्ती दरों पर दिये जाने से कई हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पावर कारपोरेशन को हो चुका है। वहीं आगरा की जनता भी मे. टोरेन्ट पावर से त्रस्त है। आगरा में फ्रेंचाइजी करार घोटाले को लेकर सीएजी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा किया जा चुका है। इसी प्रकार ग्रेटर नोएडा में मे. एनपीसीएल द्वारा भारी लाभ कमाया गया है, परन्तु उसका प्रतिफल जनता को सस्ती बिजली देकर नहीं किया जा रहा है। ये सभी अनुबन्ध निरस्त किये जायें। विद्युत अभियन्ता संघ के अध्यक्ष इं. वीपी सिंह एवं महासचिव इं. प्रभात सिंह ने बताया कि विद्युत अभियन्ता लम्बे समय से निजीकरण के दुष्परिणामों की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए निजीकरण/फ्रेन्चाईजीकरण/कम्पनीकरण के विफल प्रयोगों को बार-बार न दोहराये जाने की मांग करते रहे है। परन्तु सरकारों द्वारा बिना किसी दुष्परिणामों के अध्ययन किये एकतरफा निर्णय लेते हुए अन्धाधुंध निजीकरण/फ्रेन्चाईजीकरण/कम्पनीकरण के प्रयोगों को दोहराते रहे हैं। जिसके दुष्परिणाम स्वरूप निजी घरानों पर अतिनिर्भरता एवं ऊर्जा निगमों का कुप्रबन्धन सामने आया है और ऊर्जा निगम लगभग 95 हजार करोड़ से अधिक के घाटे में चल रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि यह समय की नितान्त आवश्यकता है कि सरकार इन दुष्परिणामों से सबक ले और उप्र राज्य विद्युत परिषद की पुनर्स्थापना करे, जिससे विद्युत क्षेत्र जैसे विशेषज्ञ तकनीकी विभाग का तकनीकी व्यक्तियों द्वारा तकनीकी तरीके से संचालन हो सके। विद्युत अभियन्ताओं ने ऊर्जा मंत्री द्वारा टोरेन्ट पावर के कार्यों की समीक्षा करने और ऊर्जा क्षेत्र में निजीकरण के पक्ष में न होने सम्बन्धी दिये गये बयान की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया। इसके साथ ही अपील की कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ऊर्जा क्षेत्र को निजी कम्पनियों की लूट से बचाने, बेहतर उपभोक्ता सेवा प्रदान करने और ऊर्जा निगमों का सफल प्रबन्धन करने हेतु उप्र राज्य विद्युत परिषद की पुनर्स्थापना, ऊर्जा निगमों का प्रबन्धन अनुभवी बिजली विशेषज्ञों को सौंपने का ऐतिहासिक फैसला ले।

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