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बोले बैंककर्मी, यह विरोध उनका ही नहीं बल्कि आमजन का विरोध है

निजीकरण के विरोध में बैंककर्मियों की दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल शुरू

बड़े औद्यौगिक घरानों ने राजनीतिक प्रभाव का उपयोग कर बैंको को खूब लूटा है - केके सिंह

लखनऊ। निजीकरण के विरोध में आरपार की लड़ाई का मन बना चुके बैंककर्मियों ने दो दिवसीय हड़ताल के साथ आंदोलन की मशाल जला दी है। दस लाख से अधिक बैंककर्मियों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स ने सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंको को निजीकरण करने की केन्द्र सरकार के प्रयासों के विरोध में दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल का आवाह्न किया है। जिसके पहले दिन सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक प्रधान कार्यालय के सम्मुख विशाल सभा आयोजित की गई। जिसमें बड़ी संख्या में बैंककर्मियों ने जोरदार सभा एवं प्रदर्शन किया। यू.एफ.बी.यू. की देशव्यापी बैंक हड़ताल के समर्थन में कई संगठन आगे आये है, जिनमें आर्यावर्त बैंक के उ.प्र. के 26 जिलों के 7 हजार बैंककर्मी और देश के 45 ग्रामीण बैंको के एक लाख बैंककर्मी भी हड़ताल में शामिल हैं। वहीं बिजली इंजीनियरों ने भी बैंककर्मियों की हड़ताल का समर्थन किया है।

सभा में एन.सी.बी.ई. (नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ बैंक एम्पलॉइज) के प्रदेश महामंत्री के.के.सिंह ने बताया कि ‘‘बड़े औद्यौगिक घरानों ने राजनीतिक प्रभाव का उपयोग कर बैंको को खूब लूटा है, आज बैंकों के कुप्रबन्धन के चलते अनेक घोटाले उजागर हो रहे हैं, इस स्थिति के लिये बैंककर्मी नहीं बल्कि राजनीतिक दबाव जिम्मेदार है। सरकार उसे रोकने के बजाय बैंको का निजीकरण कर आमजन की सामान्य बैंकिग सुविधाएं छीनना चाहती है। यह विरोध बैंककर्मियों का ही नहीं बल्कि आमजन का विरोध है।’’ केन्द्र सरकार के इन कुत्सित प्रयासों के कारण हम दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल पर जाने के लिये मजबूर हैं।

ऑयबाक (आल इण्डिया बैंक आफीसर्स कन्फेडरेशन) के अध्यक्ष पवन कुमार ने कहाकि वित्तमंत्री ने बजट भाषण में देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के नाम पर आईडीबीआई बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के दो अन्य बैंको को निजी क्षेत्र में बेच देने की बात कहकर सरकार का इरादा बता दिया है। परन्तु बैंककर्मी सरकार को मनमानी नहीं करने देगी। ए.आई.बी.ई.ए. (आल इण्डिया बैंक इम्पलाइज एसोसियेशन) के कामरेड दीप बाजपेई ने कहाकि सरकार जनता की गाढ़ी कमाई, पूॅजीपतियों के हितों के लिये, बैंको का निजीकरण करके उन्हें सौंपना चाह रही है। यह जनता के साथ धोखाधड़ी है। बैंककर्मी और आम जनता इसे सफल नहीं होने देंगे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये फोरम के प्रदेश संयोजक कामरेड वाई.के.अरोड़ा ने कहाकि सरकार बैंको का निजीकरण करके बैंको में जनता की धनराशि को चन्द पूॅजीपतियों के हाथ सौंपकर उनके निजी स्वार्थ पूरा करना चाहती है। बैंककर्मी और आमजन इसे किसी तरह सफल नहीं होने देंगे। फोरम के जिला संयोजक अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि सरकार की इन नीतियों के विरोध में बैंककर्मी 4 फरवरी 2021 से धरना, प्रदर्शन, पोस्टर कैम्पेन, मास्क धारण, टिवटर कैम्पेन और रैली आदि के माध्यम से विरोधात्मक कार्यक्रम कर रहे हैं। सभा को संदीप सिंह, पवन कुमार, के.एच. पाण्डेय, एस.के. अग्रवाल, छोटेलाल, विभाकर कुशवाहा, अखिलेश मोहन, एस.के. लहरी, दिवाकर सिंह, एस.के. संगतानी, दीपेन्द्रलाल, नन्दू त्रिवेदी, एस.डी. मिश्रा, वी.के. सिंह, अमरजीत सिंह, डी.पी. वर्मा, विनय सक्सेना, यू.पी. दुबे आदि बैंक नेताओं ने सम्बोधित कर लम्बे संघर्ष के लिये तैयार रहने का आवाह्न किया। 

मीडिया प्रभारी अनिल तिवारी ने बताया कि विभिन्न स्रोतो के अनुसार हड़ताल से लखनऊ में लगभग 2500 करोड़ और प्रदेश में 30000 करोड़ का लेनदेन प्रभावित रहा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको के लखनऊ जिले की 905 शाखाओं के दस हजार बैंककर्मी और प्रदेश की 14000 शाखाओं के दो लाख बैंककर्मी हड़ताल में शामिल रहें। लखनऊ में 990 एवं प्रदेश के 12000 ए.टी.एम. मशीनों में से कई मशीनों में कैश समाप्त होने से लोग अपना पैसा नहीं निकाल सके। हड़ताल के दूसरे दिन मंगलवार की सभा व प्रदर्शन इण्डियन बैंक शाखा (पूर्व इलाहाबाद बैंक), हजरतगंज के सामने 11.30 बजे होगी।

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