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उच्च प्रबन्धन पर विद्युत अभियन्ता संघ ने लगाए आरोप, की ये मांग

लखनऊ। विद्युत अभियन्ता संघ ने ऊर्जा निगमों के बढ़ते घाटे पर चिन्ता जताते हुए ऊर्जा निगमों के उच्च प्रबन्धन पर गैर तकनीकी प्रबन्धन के स्थान पर अनुभवी बिजली विशेषज्ञों को तैनात किये जाने की मांग की है। विद्युत अभियन्ताओं ने 21 वर्षों में ऊर्जा निगमों का घाटा 77 करोड़ से 95 हजार करोड़ घाटे पहुंचाने का जिम्मेदार गैर तकनीकी प्रबन्धन को ठहराते हुए अब तक तैनात रहे प्रबन्धन का उत्तरदायित्व निर्धारित करने की मांग की। विद्युत अभियन्ता संघ के अध्यक्ष वीपी सिंह एवं महासचिव प्रभात सिंह ने बयान जारी कर कहाकि 14 जनवरी 2000 को तत्कालीन उप्र राज्य विद्युत परिषद को विघटित करते हुए उप्रराविउनिलि, उप्रजविनिलि और उप्रपाकालि निगमों का गठन किया गया था। उस समय उप्र राज्य विद्युत परिषद का कुल घाटा लगभग 77 करोड़ रूपये था। उसी समय राज्य विद्युत परिषद के उच्च प्रबन्धन के तकनीकी अधिकारियों को हटाते हुए गैर तकनीकी प्रबन्धन को निगमों के उच्च प्रबन्धन के पदों पर इस आशय से नियुक्त किया गया कि गैर तकनीकी प्रबन्धन के माध्यम से ऊर्जा निगमों को घाटे से उबारने में सफल होंगे। परन्तु उप्र राज्य विद्युत परिषद के विघटन के 21 वर्ष से अधिक का समय व्यतीत होने के उपरान्त भी निगमों के घाटे में उत्तरोत्तर वृद्धि होती जा रही है और वर्तमान में निगमों का कुल घाटा लगभग 95 हजार करोड़ रूपये है। 

उन्होंने बताया कि निगमों के बनने से गैर तकनीकी उच्च प्रबन्धन स्तर पर अधिक पद सृजित हुए एवं कार्य पद्धति अत्यधिक क्लिष्ट हो गया है। कई मौकों पर अभियन्ताओं द्वारा यह महसूस किया जा रहा है कि गैर तकनीकी उच्च प्रबन्धन होने के कारण समन्वय की काफी कमी रही है। इससे धरातल पर कार्य कर रहे अभियन्ताओं में भ्रम की स्थिति होने के कारण कार्य करने में अभियन्ताओं को कठिनाई होती है। ऊर्जा निगम एवं उनकी कार्य प्रणाली अत्यधिक तकनीकी विशेषता वाली है जिनका प्रबन्धन अनुभवी बिजली अभियन्ताओं द्वारा ही किया जाना चाहिए। समस्त ऊर्जा निगमों के कुप्रबन्धन के कारण बढ़ते घाटे के दृष्टिगत यह समय की आवश्यकता है कि सभी ऊर्जा निगमों के उच्च प्रबन्धन पदों पर अनुभवी बिजली अभियन्ताओं को तैनात किया जाये। पदाधिकारियों ने मांग की कि ऊर्जा निगमों में बढ़ते घाटे को रोकने, बेहतर प्रशासनिक एवं तकनीकी समन्वय के लिए सभी ऊर्जा निगमों का प्रबन्धन तकनीकी बिजली अभियन्ताओं को सौंपा जाये। घाटे के जिम्मेदार अब तक तैनात रहे प्रबन्धन का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाये।

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