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निराश्रितों का पेट भर रही है "अम्मा बब्बा की रसोई"

लखनऊ। कोरोना के दूसरी लहर से निपटने के लिए यूपी में जारी कोरोना कर्फ्यू को 24 मई सुबह 7 बजे तक बढ़ा दिया गया है। इसका सीधा असर गरीबों व दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ रहा है। मध्यम व दुर्बल वर्ग को दो जून की रोटी के लाले हैं। हालत य़ह हैं कि किसी की नौकरी चली गयी तो किसी का वेतन आधा हो गया है। बाजार में आटा, दाल चावल, तेल और सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं। ऐसे में जरूरतमंदों की मदद के लिए समाजसेवी संस्थाएं आगे आ रही हैं। सामाजिक संस्था सृजन फाउंडेशन द्वारा संचालित स्नेहधरा वृद्धाश्रम के माध्यम से कम्युनिटी किचन "अम्मा बब्बा की रसोई" की शुरुआत की गई है।

 


जरुरतमंदों को भोजन देना हो, राशन पहुंचाना हो, महिलाओं को सैनेटरी पैड की जरूरत हो या किसी अन्य प्रकार की मदद करनी हो, सृजन फाउंडेशन की टीम हमेशा मुस्तैद रहती है। बीते वर्ष भी कोविड-19 के विपदा वाले दौर में लॉकडाउन के दौरान सृजन फाउंडेशन द्वारा 'कोई न सोये भूखे पेट' मुहिम चलाई गई थी। जिसके तहत 25 मार्च 2020 से जून 2020 के प्रथम सप्ताह तक निरंतर जरूरतमंद लोगों को भोजन और राशन उपलब्ध कराया गया था।

"अम्मा बब्बा की रसोई" जरूरतमंदों का पेट भरेगी और अब निराश्रितों को भूखा नहीं रहना पड़ेगा। इसके तहत रविवार को जानकीपुरम के इंजीनियरिंग कॉलेज चौराहे पर निराश्रितों को भोजन वितरित किया गया। सृजन फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. अमित सक्सेना ने बताया कि रविवार को उनके नाना रमेश चंद्र सक्सेना के सहयोग से भोजन वितरित किया गया। इस मौके पर संस्था के संरक्षक मनोज सिंह चौहान व कोषाध्यक्ष अनूप सक्सेना "अन्नू" भी मौजूद रहे। डा. अमित सक्सेना ने बताया कि 'कोई न सोये भूखे पेट' मुहिम के तहत अम्मा बब्बा रसोई के माध्यम से निराश्रित जनों को निःशुल्क सात्विक भोजन (चावल-छोला/राजमा/कढ़ी, हलवा/बूंदी, सलाद व तहरी) उपलब्ध कराया जा रहा है। 

स्नेहधरा वृद्धाश्रम की को-डायरेक्टर डॉ. अर्चना सक्सेना ने बताया कि उनकी निगरानी में कम्युनिटी किचन में भोजन तैयार किया जा रहा है। खासबात यह है कि भोजन तैयार करने में अपनों से दूर वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्ग भी पूरा सहयोग कर रहे हैं। डॉ. अर्चना सक्सेना ने बताया कि प्रतिदिन भोजन ईको फ्रेंडली प्लेटों में दिया जाएगा और लोगों को स्वच्छता व पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक भी किया जाएगा। सृजन फाउंडेशन के इस सराहनीय पहल की हर तरफ सराहना हो रही है और कई क्षेत्रों में इसकी मांग बढ़ गई है।

जरुरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तत्पर सृजन फाउंडेशन

यह पहला मौका नहीं है जब सृजन फाउंडेशन गरीब, निराश्रितों का सहारा बना है। जरुरतमंदों को भोजन देना हो, राशन पहुंचाना हो, महिलाओं को सैनेटरी पैड की जरूरत हो या किसी अन्य प्रकार की मदद करनी हो, सृजन फाउंडेशन की टीम हमेशा मुस्तैद रहती है। बीते वर्ष भी कोविड-19 के विपदा वाले दौर में लॉकडाउन के दौरान सृजन फाउंडेशन द्वारा 'कोई न सोये भूखे पेट' मुहिम चलाई गई थी। जिसके तहत 25 मार्च 2020 से जून 2020 के प्रथम सप्ताह तक निरंतर जरूरतमंद लोगों को भोजन और राशन उपलब्ध कराया गया था। उस दौरान 'कोई न सोये भूखे पेट' मुहिम को धरातल पर उतारते हुए सृजन फाउंडेशन द्वारा संचालित 'स्नेहधरा' वृद्धाश्रम के माध्यम से नई पहल करते हुए "सृजन सेवा रथ अम्मा बब्बा की रसोई" सेवा शुरू की गई थी। जो इस वर्ष भी निरंतर जारी है।

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