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कोरोना से इतने बिजली कर्मियों की मृत्यु, फिर भी फ्रंट लाइन वर्कर घोषित नहीं

कोरोना संक्रमण सम्बन्धित समस्याओं के समाधान और बिजली कर्मियों/संविदा श्रमिकों को फ्रंट लाइन वर्कर घोषित करने हेतु संघर्ष समिति की नोटिस

02 जून से आक्सीजन प्लांटों,अस्पतालों व आम लोगों को बिजली आपूर्ति के अतिरिक्त अन्य कोई कार्य नही होगा

मुख्यमंत्री व ऊर्जा मंत्री से हस्तक्षेप की मांग

ऊर्जा निगम प्रबंधन के संवेदनहीन रवैय्ये की कठोर आलोचना

लख़नऊ। विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने ऊर्जा मंत्री को पत्र भेजकर मांग की है कि सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों, अभियंताओं और संविदा श्रमिकों को तत्काल फ्रन्ट लाइन वर्कर घोषित कर सभी बिजली कर्मियों व संविदा श्रमिकों को सर्वोच्च प्राथमिकता पर वैक्सीन लगाई जाये। मृत कर्मियों के परिजनों को शीघ्रातिशीघ्र 50 लाख रु. मुआवजा का भुगतान सुनिश्चित किया जाये और उनके आश्रितों को उनकी योग्यतानुसार नौकरी दी जाये। संघर्ष समिति की नोटिस में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण सम्बन्धित समस्याओं का समाधान और बिजली कर्मियों/संविदा श्रमिकों को फ्रंट लाइन वर्कर घोषित न किया गया तो सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, संविदा श्रमिक, जूनियर इंजीनियर व अभियंता 02 जून से आक्सीजन प्लांटों, अस्पतालों व आम लोगों को बिजली आपूर्ति के अतिरिक्त अन्य कोई कार्य नही करेंगे। राजस्व वसूली, झटपट पोर्टल, वीडियो कांफ्रेंसिंग आदि कार्यों से बिजलीकर्मी अपने को विरत रखेंगे किन्तु व्यापक जनहित में बिजली आपूर्ति बनाये रखी जाएगी।

संघर्ष समिति ने कहाकि कोरोना से लगभग 200 बिजली कर्मियों की मृत्यु से ऊर्जा निगमों में दहशत का वातावरण है। संघर्ष समिति ने इतने गंभीर मामले पर ऊर्जा निगम प्रबंधन के संवेदनहीन रवैये की कठोर आलोचना करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री व ऊर्जा मंत्री से तत्काल प्रभावी हस्तक्षेप करने की मांग की है। जिससे बिजलीकर्मियों को न्याय मिल सके। संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों वीपी सिंह, प्रभात सिंह, जीवी पटेल, जय प्रकाश, गिरीश पांडेय, सदरुद्दीन राना, राजेंद्र घिल्डियाल, सुहेल आबिद, विनय शुक्ल, ब्रजेश त्रिपाठी, महेंद्र राय, राजपाल सिंह, शशिकांत श्रीवास्तव, उत्पल शंकर, प्रेमनाथ राय, एके श्रीवास्तव, वीके सिंह कलहंस, सनाउल्लाह, सुनील प्रकाश पाल, कुलेन्द्र सिंह, मो. वसीम शेख, विशम्भर सिंह, शम्भू रत्न दीक्षित, रफीक अहमद, पीएस बाजपेई, आरके सिंह, जीपी सिंह ने शनिवार को यहाँ जारी संयुक्त बयान में कोरोना संक्रमण के दौर में बिजली कर्मियों के लिए मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री से प्रभावी कदम उठाने हेतु ऊर्जा निगमों को निर्देश देने की अपील की है।

संघर्ष समिति द्वारा प्रेषित नोटिस  में लिखा गया है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच बिजलीकर्मी अस्पतालों व आम लोगों को निर्बाध 24 घण्टे बिजली आपूर्ति करने में जुटे हैं। अपना दायित्व निर्वाह करते हुए कई हजार बिजली कर्मी, संविदा श्रमिक व उनके परिवार कोरोना संक्रमण से ग्रसित हो चुके हैं।  कोरोना से लगभग 200 बिजली कर्मियों की मृत्यु हो चुकी है। जिसमें मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, अधिशाषी अभियंता, सहायक अभियंता, जूनियर इंजीनियर, बिजली कर्मचारी और संविदा श्रमिक सम्मिलित हैं। इतने बड़े पैमाने पर बिजलीकर्मियों की मृत्यु और संक्रमण होने से ऊर्जा निगमों में भय का वातावरण उत्पन्न हो गया है। ऊर्जा निगमों का असंवेदनशील प्रबंधन बिजली कर्मियों के हित संरक्षित करने में पूरी तरह विफल साबित हुआ है जिससे बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा व्याप्त है। सबसे खेदजनक बात ऊर्जा निगमों के प्रबंधन की संवेदनहीनता और बिजली कर्मियों के प्रति घोर उपेक्षा है जिसकी संघर्ष समिति ने कठोर शब्दों में आलोचना की।

संघर्ष समिति द्वारा भेजी गई नोटिस में कोरोना संक्रमण के दौरान उठाई गई कई मांग भी शामिल है। जिसमें विद्युत आपूर्ति और आपात सेवा को छोड़कर अन्य सभी कार्य वीडियो कांफ्रेंसिंग, राजस्व वसूली, झटपट पोर्टल, निवेश मित्र आदि तत्काल बंद किये जाये, कैशलेस चिकित्सा सुविधा दी जाये और कोरोनाग्रस्त कर्मियों के अच्छे से अच्छे अस्पताल में इलाज का सीधे अस्पताल को भुगतान प्रबंधन करे, कार्यालयों में 33% से अधिक कर्मी न बुलाये जाएँ और वर्क फ्रॉम होम किया जाये, 50 वर्ष से अधिक आयु के बिजली कर्मियों से आवेदन लेकर उन्हें गृह जनपद या इच्छित क्षेत्र / परियोजना पर स्थानांतरित किया जाये, परियोजनाओं के अस्पताल में वैक्सीनेशन की सुविधा दी जाए और प्रत्येक जनपद व परियोजना पर कोविड सेल गठित किया जाए।

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