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राजधानी अनलॉक न होने पर व्यापारियों में निराशा


लखनऊ।
कोरोना कर्फ्यू में शराब की दुकानें खुली हैं, सड़कों पर ई रिक्शा, ऑटो, टैम्पों फर्राटा भर रहे हैं। केवल बाजार बंद हैं और दुकानों के शटर नहीं उठ रहे हैं। ऐसे में राजधानी के व्यापारियों को पूरी उम्मीद थी कि एक जून  से नियम तथा शर्तों के साथ बाजारों को खोलने की घोषणा प्रदेश सरकार की ओर से की जाएगी। मगर ऐसा न होने पर व्यापारियों में आक्रोश एवं निराशा व्याप्त है। उप्र व्यापारी समन्वय समिति ने सरकार से मांग की है कि कम से कम होल सेल बाजारों को ग्रामीण जिलो में तय समय के अनुसार माल पार्सल लगाने की अनुमति प्रदान करे, नहीं तो आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर ई कामर्स आॅनलाइन बिक्री पर रोक लगाए। 

पवन मनोचा
उप्र व्यापारी समन्वय समिति के अध्यक्ष तथा लखनऊ व्यापार मण्डल के महामंत्री पवन मनोचा ने कहा है कि कई जिलो में आंशिक लॉकडाउन में छूट दी गई है लेकिन लखनऊ और अन्य कुछ महानगरो में लॉकडाउन जारी रहेगा। लगातार ई कामर्स आॅनलाइन कम्पनी बाजार पे काबिज होती जा रही खुदरा कारोबार आंशिक लॉक्डाउन से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। आखिर छोटे जिलो में माल की आपूर्ति तो बड़े शहरों से होती है ऐसे में लखनऊ का बाजार चरमरा जाएगा 600 से कम केस होने पर भी लॉकडाउन में छूट न दिए जाने पर आश्चर्य है। उन्होंने कहा है कि लखनऊ, आगरा, कानपुर, मेरठ और सहारनपुर जैसे बड़े शहरों में रिटेलर ही नहीं बड़े होलसेल कारोबारी भी रहते हैं। वह भी अपनी दुकान नहीं खोल पाएंगे इसकी वजह से छोटे जिलों में कस्बों में माल पहुंच ही नहीं पाएगा। पिछले एक साल से व्यापारी आर्थिक मंदी ,कर का बोझ, स्टाफ के खर्चे, बंद दुकान का बिजली, दुकान का अतिरिक्त टैक्स देकर कर्ज के बोझ तले दब चुका है। 

प्रदीप कुमार अग्रवाल

अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं नगर अध्यक्ष प्रदीप कुमार अग्रवाल का कहना है कि सरकार के निर्णय से व्यापारियों में घोर निराशा है। उनका कहना है कि राजधानी में जो भी एक्टिव केस है उनमे एक बड़ी संख्या आसपास के जिलों के मरीजों की है। महानगर होने के नाते इस बात का खामियाजा लखनऊ महानगर के व्यापारियों को भुगतना होगा। सरकारी लॉकडाउन के पहले से ही अपने प्रतिष्ठानों को बंद करके बैठे हैं।

केके अवस्थी
जनहित उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष केके अवस्थी ने कहाकि कोरोना के कारण विगत डेढ़ वर्षो में व्यापारियों की स्थिति लॉकडाउन के कारण अत्यंत दयनीय हो गयी है। अधिकांश व्यापारियों के समक्ष व्यापार करना दुर्लभ हो गया है। लॉकडाउन से सबसे ज्यादा व्यापारी प्रभावित है। बावजूद उसके व्यापारी हित में सरकार की कोई नीति नही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि व्यापारियों के हित को ध्यान मे रखते हुए कोई नीति बनायी जाए ताकि व्यापारी का अस्तित्व बना रहे। केके अवस्थी ने सवाल किया कि जब लखनऊ में शराब की दुकानें खुल सकती हैं तो बाजार खोलने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है।

सामाजिक उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश महामंत्री व लखनऊ सरार्फा एसोसिएशन के संगठन मंत्री विशाल निगम ने कहा कि व्यापारियों ने राजधानी में एक्टिव केस के मानक को पुनर्विचार करने का सुझाव दिया है। कहा है कि शहरों की आबादी के हिसाब से एक्टिव केसों का मानक निर्धारित होना चाहिए। प्रशासन को कई बिंदु पर पुनर्विचार करना चाहिए। 

विनोद माहेश्वरी
लखनऊ व्यापार मण्डल के उपाध्यक्ष व सर्राफा एसोसिएशन चौक के महामंत्री विनोद माहेश्वरी का कहना है कि व्यापारियों को पूर्ण आशा थी कि प्रशासन द्वारा कल से नियम तथा शर्तों के साथ बाजारों को खोलने की अनुमति राजधानी लखनऊ में प्रदान की जाएगी। परंतु ऐसा नहीं हुआ जिससे व्यापारियों में निराशा व्याप्त है। जिले में 600 एक्टिव केस का मानक पुनर्विचार करने योग्य है क्योंकि राजधानी लखनऊ की जनसंख्या तथा क्षेत्रफल अन्य जिलों से अधिक है तथा राजधानी लखनऊ में लगभग 3000 एक्टिव केस है जिनमें बड़ी संख्या में मरीज दूसरे जिलों के एडमिट है।


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