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पिता सृष्टि निर्माता, सृजनकार

एक दरख्त का स्वरूप,

जनक, तात पिता, प्रणेता,

कोख में पलते नए सृजन की तदवीर,

संसार रूपी बगिया को सिंचता तुम्हारा,

फौलाद सा हौसला, मोम सा दिल।।

तुम्हारे कठोर अनुभव से गुजरता मेरा बचपन,

और….

कुम्हार के आंवे में पकता मेरा यौवन,

तुम्हारे प्यार, ममता और दुलार से,

अनभिज्ञ,

चुनौतियों से परिपूर्ण,

अपने बलिदान को छुपाता तुम्हारा अस्तित्व,

अमृत रूपी …….

कठोर, निष्ठुर, कटु वचनों से सवरता मेरा अस्तित्व,

 मेरे पथ प्रदर्शक, दिग्दर्श,

 मुझ में झलकता तुम्हारा प्रतिबिंब,

नीला, गहरा आकाश रूपी व्यापक,

तुम्हारा अध्यात्मिक ज्ञान,

परिपक्वता से जोड़ता 

नई ऊर्जा, दृढ़ता, आत्मविश्वास का करता संचार,

हर तिमिर बोझिल कर नई रोशनी से,

किसी चित्रकार की तरह, सवरता और 

पूर्णतः प्रयास में जुटा की भर दे चमकते रंगों से मेरी तस्वीर,

लंबे सफर के बाद अब मैं समझा अपने सृजनहार के जज्बात,

कोई भी परिस्थिति, कोई भी मुकाम,

हर हाल में धूप हो या छांव,

मुसलसल हमसफर बन,

दिया तुमने साथ

कठोर परिश्रम, अनगिनत त्याग आत्मोत्सर्ग 

के उदाहरण हो तुम तात,

कृतज्ञ से भरा जीवन मेरा,

 सदा त्रृणी है तुम्हारा,

 जीवन की पृष्ठभूमि, कर्म भूमि एवं जन्मभूमि पर,

हर किरदार को बखूबी निभाते,

इस अभिनेता को,

मेरा शत शत नमन शत शत नमन।।

अर्चना पांडेय

(सहायक अध्यापिका) 

उच्च प्राथमिक विद्यालय परथला खंजरपुर

ब्लॉक बिसरख, गौतमबुध नगर

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