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पर्वतीय महापरिषद : वेबिनार में पर्यावरण संरक्षण पर दिया जोर

लखनऊ। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्वतीय महापरिषद के तत्वावधान में महापरिषद भवन गोमती नगर में विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिसमें सर्वप्रथम पर्यावरणविद् स्व. सुन्दर लाल बहुगुणा के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। तत्पश्चात् महापरिषद परिसर में दो ‘‘सुन्दर पौधे’’ लगाए गए और पर्वतीय महापरिषद के कलाकारों ने पर्यावरण गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर पर्यावरण विषय पर वेबिनार का भी आयोजन किया गया। जिसमें लखनऊ सहित विभिन्न प्रदेशों से पर्यावरण विद्, कवि, सामाजिक कार्यकर्ता, महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं पर्वतीय महापरिषद के पदाधिकारियों ने भाग लिया। सम्पूर्ण कार्यक्रम पर्वतीय महापरिषद के अध्यक्ष गणेश चन्द्र जोशी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन महासचिव महेन्द्र सिंह रावत द्वारा पर्वतीय महापरिषद के मुख्य संयोजक टीएस मनराल की उपस्थिति में किया गया। 

वेबिनार में डाॅ. राजेन्द्र सिंह बिष्ट (सेवानिवृत्त मुख्य वन संरक्षक, उत्तराखण्ड) ने ‘‘प्राकृतिक संसाधनों के सहभागी प्रबन्धन’’, पौधरोपण, वन एवं वन्य जन्तु संरक्षण, जल संरक्षण व क्षमता विकास पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता बताई। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अवकाश प्राप्त सदस्य डाॅ. सीएस भट्ट ने सरकार एवं जन सहभागिता के माध्यम से पर्यावरण को बचाने एवं संरक्षित करने और नई तकनीक का प्रयोग करने पर जोर दिया। नवीन चन्द्र जोशी, (पूर्व सम्पादक हिन्दुस्तान), ने वर्षों पूर्व उत्तराखण्ड में हुए चिपको आन्दोलन की सार्थकता पर प्रकाश डाला। अल्मोड़ा से जुड़े पर्यावरण के क्षेत्र में लम्बे समय से कार्य कर रहे समाजिक कार्यकर्ता विवेक शाह एवं लखनऊ से वृहत वृक्षारोपण से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता रंजन दूबे ने भी वृक्षों के संरक्षण पर जोर दिया। महिला सशक्तीकरण से जुड़ी वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं पर्वतीय महापरिषद की उपाध्यक्ष सुमन रावत ने पर्यावरण संरक्षण में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहाकि महिलाओं का योगदान पर्यावरण संरक्षण में सत्-प्रतिशत रहा है। चिपको आन्दोलन सहित अनेक पर्यावरण आन्दोलनों का संचालन भी महिलाओं द्वारा किया गया है। 

वेबिनार में बीच बीच में कविता पाठ भी किया गया। जिसमें घनानन्द पाण्डेय ‘‘मेद्य’’ द्वारा माँ शारदा की वन्दना के साथ केएन चंदोला, ललित सिंह पोखरिया, ज्ञान पन्त, धन सिंह मेहता ‘‘अन्जान’’, नारायण दत्त पाठक, हरीश बड़ोला, निर्मला पन्त, पूरन सिंह जीना, करूणा पाण्डेय, कैलाश सिंह, राधा बिष्ट, पूरन चन्द्र काण्डपाल, हिमानी जोशी, गिरीश चन्द्र बहुगुणा, मनमोहन बाराकोटी, गोकुल उप्रेती, कृष्णानन्द राय आदि कवियों ने पर्यावरण पर कविता प्रस्तुत की। पर्वतीय महापरिषद के कलाकारों द्वारा पर्यावरण गीत ‘‘धुर जंगला बांजा नि काटा लछिमा बांजा नि काटा’’ प्रस्तुत किया गया।

कार्यक्रम में पर्वतीय महापरिषद के वरिष्ठ पदाधिकारियों, संरक्षक प्रो. आरसी पन्त, पीसी पन्त, गिरीश चन्द्र कोठारी, जीडी भट्ट, केएन पाठक सहित अनेक लोगों की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम को सफल बनाने में महापरिषद के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं का विशेष योगदान रहा। जिसमें रमेश उपाध्याय, गोविन्द सिंह बोरा, ख्याली सिंह कड़ाकोटी, शंकर पाण्डेय, पुष्कर सिंह नयाल, भुवन चन्द्र पाण्डेय, नरेन्द्र सिंह फत्र्याल, चित्रा काण्डपाल, नीता जोशी, दमयंती नेगी आदि का योगदान रहा। तकनीकी सहयोग हिमांशु पाठक का रहा।

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