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प्रेम के गीत और वात्सल्य रस से महक उठा महिला काव्य मंच

लखनऊ। महिला काव्य मंच, उत्तर प्रदेश (मध्य) की लखनऊ इकाई की मासिक काव्य गोष्ठी ऑन लाइन गूगल मीट पर शुक्रवार को डॉ रीना श्रीवास्तव की अध्यक्षता में संपन्न हुई। गोष्ठी की मुख्य अतिथि महिला काव्य मंच, उत्तर प्रदेश इकाई, मध्य की अध्यक्ष डॉ राजेश कुमारी तथा विशिष्ट अतिथि महासचिव डॉ उषा चौधरी रहीं। दिव्यांशी की सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। प्रांतीय अध्यक्ष डॉ राजेश कुमारी ने इस अवसर पर कहा कि इस कोरोना काल में महिला काव्य मंच की कवयित्रियों ने निश्चय ही अपनी कविताओं से समाज में सकारात्मकता का संचार किया है। विशिष्ट अतिथि डॉ उषा चौधरी ने अपनी कविता "रचिए विधि रचना राममय "से वातावरण राममय बना दिया।


कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए कवयित्रियों ने काव्य पाठ किया। डॉ सुधा मिश्रा ने "प्यार नहीं था हमसे, फिर भी जताते तो कोई बात थी।" डॉ अनुराधा पांडेय ने "तुम तो एक श्रमिक हो, एक खटिया एक बिछौना, एक टुकड़ा अंबर का।" साधना मिश्रा  ने "एक चिट्ठी पापा के नाम।" बीना श्रीवास्तव ने "माथे पे सजा के तेरे नाम की बिंदिया, उड़ा दूंगी साजन तेरे आंखों की निंदिया।" डॉ कीर्ति श्रीवास्तव ने "बेटियां तो प्यारी होती ही हैं।" मनीषा श्रीवास्तव ने "कुछ बादल भी हैं जो बरसते नहीं"। अंजू ने "कहां आता है कोई जाने के बाद, झूठे वादों का गुंबद बसाए रखिए।" दिव्यांशी शुक्ला ने "परिचय हर बार बदलता है। स्नेहलता ने "योग से मिलता है आरोग्य/योग कर बन जाते हैं सुयोग्य" सुनाया। 


शिखा श्रीवास्तव ने कभी प्यार इतना बेशुमार, जो दिल में मेरे वो जुबां पे तेरे आ जाए। डॉ अर्चना सिंह ने वसुंधरा की कहानी हूं मैं। डॉ शोभा त्रिपाठी ने हिज्र में गालों की ये सुर्खी गई आंखों तलक/और गालों पर चली आंखों की कजराई गई। डॉ कालिंदी पाण्डेय ने कभी ख्वाब बनकर कभी किताब बनकर, पूनम सिंह ने सपने बुन रही थी मैं/आसमां में उड़ने के। पूजा कश्यप ने "सशक्त तो मैं जन्म से ही थी फिर तुम सबने मिलकर मुझे अशक्त बनाया क्यों", डॉ रेखा गुप्ता ने "मीत बनो तुम जिंदगी में, प्यार ये दिल करेगा जिंदगी में।" अर्चना पाल ने "बेटी भी तो मां का रूप है ... तो बेटा ही क्यों।" जूली सिंह ने चलो क्यों न कुछ लिखा जाए, कागजों पर मन के शब्द क्यों न उकेरा जाय।"और अंत में डॉ राजेश कुमारी ने पिता' आधारित कविता" जन्म दिया है जिसने हमको"सुनाया। 

कार्यक्रम का अत्यंत प्रभावी और शानदार संचालन करते हुए कार्यक्रम की संयोजक डॉ रीना श्रीवास्तव ने भी प्रौढ़ शिक्षा को प्रेरित करती कविता पढ़ी-"पढ़ने पढ़ाने का न उम्र से नाता है। "जब चाहे पढ़ो अज्ञान भाग जाता है।" इस प्रकार काव्य गोष्ठी में किसी ने प्रेम का गीत सुनाया तो किसी ने वात्सल्य रस का। किसी ने जिंदगी वास्तविकता बयां की तो किसी ने शिकायतें दर्ज कराया। संपूर्ण गोष्ठी विविधतापूर्ण रही। 


इस अवसर पर महिला काव्य मंच लखनऊ की महासचिव डॉ रंजीत कौर ने भावपूर्ण संदेश दिया। अंत में अध्यक्ष डॉ रीना श्रीवास्तव ने सभी कवयित्रियों का आभार व्यक्त करते हुए "सर्वे भवन्तु सुखिना, सर्वे संतु निरामया"से कार्यक्रम को विराम दिया।


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