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लक्ष्‍मीबाई केलकर ने स्‍त्री शक्ति का आत्‍मबोध कराया - डॉ. शरद रेणु शर्मा

वर्धा। नारी जागरण की अग्रदूत लक्ष्‍मीबाई केलकर की 116वीं जयंती पर आयोजित राष्‍ट्रीय वेबिनार में अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख राष्‍ट्र सेविका समिति की डॉ. शरद रेणु शर्मा ने कहा कि लक्ष्‍मीबाई केलकर ने महिलाओं को शारीरिक, मानसिक, आध्‍यात्मिक और आत्मिक रूप से सशक्‍त बनाने का प्रयास किया और स्‍त्री शक्ति का आत्‍मबोध कराया। डॉ. शरद रेणु शर्मा महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय, संस्‍कृति विद्यापीठ के अंतर्गत स्‍त्री अध्‍ययन विभाग की ओर से आयोजित राष्‍ट्रीय वेबिनार में बतौर मुख्‍य वक्‍ता संबोधित कर रही थीं। उन्‍होंने कहा कि नारी के सर्वांगीण विकास के लिए लक्ष्‍मीबाई ने सामूहिक प्रयत्‍नों की दिशा में राष्‍ट्र सेविका समिति की स्‍थापना की और समिति के अंतर्गत नारी शिक्षा का प्रयोग वर्धा में प्रारंभ किया। उन्‍होंने राष्‍ट्र को ही अपना ईश्‍वर माना। राष्‍ट्र को तेजस्‍वी बनाने के लिए सशक्‍त महिला की आवश्‍यकता है। इस दृष्टि से लक्ष्‍मीबाई ने भारतीय चिंतन के आधार पर महिलाओं के विकास की जीवन दिशा राष्‍ट्र सेविका समिति के माध्‍यम से प्रस्‍तुत की। डॉ. शरद रेणु शर्मा ने लक्ष्‍मीबाई केलकर के जीवन और कार्य पर विस्‍तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि लक्ष्‍मीबाई केलकर ने जीवनपर्यंत राष्‍ट्र को सशक्‍त बनाने के लिए कार्य किया।    

कार्यक्रम की अध्‍यक्षता करते हुए विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने कहा कि लक्ष्‍मीबाई केलकर ने नारी शक्ति के लिए जो कार्य किए हैं उसका अकादमिक मूल्‍यांकन आवश्‍यक है। उन्‍होंने कहा कि लक्ष्‍मीबाई केलकर ने सन 1936 में राष्‍ट्र सेविका समिति की स्‍थापना की और नारी शक्ति को प्रतिरोध से नहीं अपितु परिष्‍कार से शक्ति प्रदान की जा सके इसके लिए कार्य किया। स्‍त्री शक्ति के जागरण और संस्‍कार के साथ राष्‍ट्रीय पुनर्रचना के लिए लक्ष्‍मीबाई केलकर ने सनातन मूल्‍यों पर आधारित स्‍त्री शक्ति का निर्माण करने की दृष्टि से वर्धा से एक छोटी शुरूआत की थी। नारी को सशक्‍त, उत्‍तरदायी और स्‍वावलंबी बनाने के लिए उनके द्वारा किये गये कार्य संपूर्ण विश्‍व के कल्‍याण का रास्‍ता प्रशस्‍त करते हैं। कुलपति प्रो. शुक्‍ल ने लक्ष्‍मीबाई के कार्य को अकादमिक विस्‍तार प्रदान करते हुए विकासात्‍मक अनुसंधान करने के लिए आगे आने की आवश्‍यकता पर बल दिया और लक्ष्‍मीबाई के समग्र जीवन दर्शन पर व्‍यापक अनुसंधान और समीक्षा का कार्यक्रम प्रारंभ करने की अपेक्षा व्‍यक्‍त की।

कार्यक्रम का स्‍वागत वक्‍तव्‍य स्‍त्री अध्‍ययन विभाग की अध्‍यक्ष डॉ. सुप्रिया पाठक ने दिया। उन्‍होंने कहा कि लक्ष्‍मीबाई केलकर ने स्‍वदेशी के प्रचार-प्रसार का काम किया। उन्‍होंने जीवन के उद्देश्‍यों को राष्‍ट्र के उद्देश्‍यों के साथ जोड़कर देखा। डॉ. पाठक ने कहा कि लक्ष्‍मीबाई केलकर के जीवन के कई आयामों पर चर्चा करने के लिए राष्‍ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम का संचालन स्‍त्री अध्‍ययन विभाग के क्षेत्र कार्य पर्यवेक्षक डॉ. वरूण कुमार ने किया तथा धन्‍यवाद संस्‍कृति विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी ने ज्ञापित किया। 

कार्यक्रम के प्रारंभ में विश्‍वविद्यालय के संस्‍कृति विद्यापीठ में कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल और कुसुम शुक्‍ल ने लक्ष्‍मीबाई केलकर के चित्र पर माल्‍यार्पण कर अभिवादन किया। इस अवसर पर प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी, डॉ. मनोज कुमार राय, डॉ. सुप्रिया पाठक, डॉ. जयंत उपाध्‍याय, डॉ. डी. एन. प्रसाद, डॉ. सूर्य प्रकाश पाण्‍डेय, डॉ. राकेश मिश्र, डॉ. शरद जायसवाल, डॉ. कृष्‍ण चंद्र पाण्‍डेय, डॉ. चित्रा माली, डॉ. किरण कुंभरे, डॉ. राकेश फकलियाल डॉ. वरूण कुमार आदि प्रमुखता से उपस्थित थे। इस दौरान कुसुम शुक्‍ल का स्‍त्री अध्‍ययन विभाग की अध्‍यक्ष डॉ. सुप्रिया पाठक ने शॉल, श्रीफल एवं सूत की माला से स्‍वागत किया।

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