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स्ट्रेस और एंजायटी को नेचुरली दूर करने में सहायक है मण्डाला - आयुषी

मण्डाला डेमो कार्यशाला का वर्चुअल हुआ आयोजन

यूथ हॉस्टल्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की उत्तर प्रदेश राज्य शाखा की तुलसीपुर इकाई एवं लखनऊ की सी.टी.सी.एस. का संयुक्त आयोजन

बलरामपुर/लखनऊ। मण्डाला डेमो कार्यशाला का आयोजन वर्चुअल प्लेटफार्म पर किया गया। जिसमें कागज की शीट, पैंसिल, मार्कर, स्कैच, पैन, रबर, पटरी, कम्पास आदि की सहायता से प्रशिक्षिका आयुषी अग्रवाल ने ऑनलाइन मण्डाला को बनाना सिखाया। कार्यशाला में प्रशिक्षण देते हुए प्रशिक्षिका आयुषी अग्रवाल ने बताया कि मण्डाला आर्ट एक प्रकार की आर्ट है जिसमें बारीक पैटर्न को सिमेट्री में बनाया जाता है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है कि हर पैटर्न अंत में एक विशाल गोलाकार का हिस्सा बनता है। मण्डाला का शुरुआती बिंदु और अंतिम पैटर्न गोल ही होता है। उन्होंने कहा कि ड्रेक्सेल यूनिवर्सिटी के स्टडी में पाया गया कि मण्डाला आर्ट तनाव और एंजायटी दूर करने में सहायक है। इसका कारण है इसके बारीक पैटर्न। आप मण्डाला आर्ट बना रहे होते हैं तो उसकी बारीकियों के कारण पूरा ध्यान आर्ट में लगता है। इससे कॉर्टिसोल हॉर्मोन का स्तर कम होता है और तनाव दूर होता है।

उन्होंने बताया कि शोधकर्ताओं द्वारा 300 से अधिक लोगों पर किये गए इस शोध में यह पाया गया कि 45 मिनट मण्डाला आर्ट करने से कॉर्टिसोल कम होता है, जिससे स्ट्रेस और एंग्जायटी कम होती है, नींद अच्छी आती है और फोकस करने की क्षमता बढ़ती है।कार्यशाला में संपूर्ण भारत के विभिन्न प्रान्तों से लोगों ने इस वर्कशॉप से जुड़कर मन्डाला आर्ट की बारीकियों को सीखा। इनमें 6 वर्ष की छोटी सी बालिका से लेकर 72 वर्ष के रिटायर्ड व्यक्ति भी शामिल रहे। इनमें प्रमुख रूप से जया सिंह, ख्याति सक्सेना, नैना गुप्ता, नैना श्रीवास्तव, प्रांजल, अवदात, आकांक्षा, श्रेया बिंदल, सिद्धि, सोनाली श्रीवास्तव, सान्वी श्रीवास्तव, यशु वर्मा, दीपक कुमार, सिंथिया, कृष्ण कुमार, आकांक्षा चौबे, प्रखर गोयल, प्रांजल गोयल, आलोक अग्रवाल, पारसमणि अग्रवाल, अर्चना पाल, निधि श्रीवास्तव, खनक पाल, कशिश पाल सहित दो दर्जन प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।

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