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"आधी रात के बाद" ने व्यवस्था पर किये तीखे व्यंग्य

लखनऊ। आकांक्षा थिएटर आर्टस के तत्वावधान और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, संस्कृति विभाग नई दिल्ली के सहयोग से भृगुदत्त तिवारी प्रेक्षागृह डीएवी पीजी कालेज लखनऊ में चल रहे त्रि दिवसीय आठवें राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव-21 के दूसरे दिन मंगलवार को मंचित नाटक "एक दिन की छुट्टी" व "आधी रात के बाद" ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।कोरोना प्रोटोकाल के अन्तर्गत चल रहे महोत्सव के दूसरे दिन का शुभारम्भ मुख्य अतिथि डॉ. अंजनी कुमार मिश्र (प्राचार्य डीएवी पीजी कालेज) ने दीप प्रज्वलित कर किया। 

दूसरे दिन के नाट्य महोत्सव की शुरुआत श्रद्धा मानव सेवा कल्याण समिति की प्रस्तुति के अन्तर्गत राजेन्द्र कुमार शर्मा द्वारा लिखित एवं अचला बोस द्वारा निर्देशित नाटक "एक दिन की छुट्टी" से हुई। पति-पत्नी की नोकझोक संग, हास्य परिहास्य की चाशनी से परिपूर्ण रहे नाटक में दर्शाया गया कि झूठ बोलना बुरी बात है, इससे अपना ही नहीं दूसरों का भी अहित होता है और इससे शर्मिन्दा भी होना पड़ता है।सशक्त कथानक से परिपूर्ण नाटक "एक दिन की छुट्टी" में ऋषभ तिवारी, श्रद्धा बोस, मोहित यादव, अशोक लाल, मोनिस सिद्दीकी और आदर्श तिवारी ने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को देर तक अपने आकर्षण के जाल मे बांधे रखा।

राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव की दूसरी प्रस्तुति में कन्सर्न्ड थिएटर ने डॉ. शंकर शेष द्वारा लिखित एवं अनुपम बिसरिया द्वारा निर्देशित नाटक "आधी रात के बाद" का मंचन किया। समाज, शासन-प्रशासन और व्यवस्था पर कटाक्ष करते नाटक "आधी रात के बाद" ने जहां एक ओर न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया वहीं दूसरी ओर जिम्मेदार लोगों को आगाह किया की सामाजिक व्यवस्था में अभी और सुधार की अधिक आवश्यकता है। व्यंग्यात्मक शैली भूपेन्द्र प्रताप सिंह, अनुपम बिसरिया, शुभम पटेल और राहुल शर्मा ने अपने उत्कृष्ट अभिनय की छाप छोड़ी।

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