Pages

'आपदा को अवसर में बदला, जीवन को आयाम दिया...'

लखनऊ। महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश इकाई (मध्य) लखनऊ, की मासिक काव्य गोष्ठी गूगल मीट पर शुक्रवार को डॉ. रीना श्रीवास्तव की अध्यक्षता एवं संयोजन में संपन्न हुई। इस बार की काव्य गोष्ठी का विशेष आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस के अवसर पर किया गया। इस बार की गोष्ठी भारतीयता के रंग से सराबोर रही, प्रधानमंत्री का व्यक्तित्व विशेष रुप से प्रेरणा का स्रोत रहा। हिंदी, गंगा, नारी आदि अनेक विषयों को कवयित्रियों ने बहुत ही प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। गोष्ठी की मुख्य अतिथि डॉ. राजेश कुमारी (अध्यक्ष, महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश इकाई मध्य) और विशिष्ट अतिथि रहीं। डॉ. कमलेश शुक्ला (सचिव, महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश इकाई मध्य) और डॉ. उषा चौधरी (महासचिव महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश इकाई मध्य) भी मौजूद रहीं। हमेशा की भांति गोष्ठी का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ जिसे श्रुति चंद्रा ने प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. राजेश कुमारी ने प्रधानमंत्री के जन्मदिवस की शुभकामनाओं के साथ बधाई दी। उनके व्यक्तित्व से प्रेरणा लेते हुए जीवन में अनुशासन और राष्ट्रीयता के महत्व को उजागर किया। उन्होंने अपने प्रभावपूर्ण उद्बोधन से सभी का उत्साहवर्धन किया। उन्होंने कहा कि महिला काव्य मंच की कवयित्रियों ने समाज को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने का कार्य किया है। निश्चित रूप से अपनी कविताओं के माध्यम से उन्होंने प्रासंगिक विषयों पर अपनी लेखनी को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से चलाया है जिसके लिए वे बधाई की पात्र हैं।

सितंबर माह की गोष्ठी विशेष रूप से प्रेरणास्पद रही कवयित्रियों ने विभिन्न विषयों पर अपनी लेखनी का जादू चलाया तथा श्रोताओं को अभिभूत करते हुए खूब वाहवाही बटोरी। सर्वप्रथम विशिष्ट अतिथि डॉ. कमलेश शुक्ला ने अपनी कविता 'वीर पुरुष जो होते हैं' सुना कर श्रोताओं में उत्साह का संचार किया। डॉ. उषा चौधरी की कविता 'मंजिल हो दूर फिर भी थकना नहीं मुसाफिर' ने जोश भर दिया। 

डॉ. सुधा मिश्रा ने 'आजकल ये शोर कहीं दूर से', अंजू ने 'गोल रोटी के साथ' डॉ. ज्योत्सना सिंह 'साहित्य ज्योति' ने 'गिर्वान भारती से जन्मी', डॉ. कीर्ति श्रीवास्तव ने 'हम नारियां नए जमाने की', स्नेह लता ने प्रधानमंत्री को समर्पित कविता 'मैंने ठाना है', डॉ. अनुराधा पान्डेय ने 'स्वर्ग से गिरता हुआ गंगा का पानी हो', बीना श्रीवास्तव ने 'बाबूजी मैं जा रही हूं', साधना मिश्रा लखनवी ने 'अगर निखारना है खुद को', मनीषा श्रीवास्तव ने 'गुजरात की धरती पर', डॉ. राजेश कुमारी ने 'कहती हूं युगपुरुष की कहानी 'सुनाकर सकारात्मकता की ओर प्रेरित किया। इसी क्रम में डाॅ. कालिंदी पाण्डेय ने 'प्रेम अटल था', पूजा कश्यप ने 'शहर की चकाचौंध रोशनी', शालिनी त्रिपाठी ने 'रिश्ते बहुत हैं', डॉ. रेखा गुप्ता ने 'दुनिया में मेरे प्यार को', डॉ. शोभा बाजपेई ने 'सजदा करती हूं', शिखा श्रीवास्तव 'अस्तित्व' ने 'मन की भावनाओं को आकार' सुगन यादव ने 'व्यक्तिवाद के साधक', आरती जायसवाल ने 'अनेकता में एकता की पहचान', अर्चना पाल ने 'अपना शहर अपना बचपन', डॉ. रीना श्रीवास्तव ने प्रधानमंत्री के कृतित्व पर 'आपदा को अवसर में बदला, जीवन को आयाम दिया' कविता सुना कर अभिभूत कर दिया। अर्चना पाल ने भी गोष्ठी में सह संचालन कुशलतापूर्वक किया।

विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालती हुई तथा छूते -अछूते विविध विषयों को समेटे हुए मासिक काव्य गोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न हुई।अंत में कार्यक्रम का बहुत ही कुशलता पूर्वक निर्बाध एवं प्रभावशाली संचालन करते हुए डॉ. रीना श्रीवास्तव ने सभी कवयित्रियों का आभार व्यक्त किया तथा 'सर्वे भवंतु ज्ञसुखिनः सर्वे संतु निरामया' के संदेश के साथ कार्यक्रम को विराम दिया।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ