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विधान सभा चुनाव में उभर रहा है नया सत्ता समीकरण

संविधान और लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों की सभी पार्टियों का गठबंधन जरूरी- महागठबंधन

लखनऊ। अनुसूचित जातियों, जनजातियों, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों के वोटरों को साधने के लिए यूपी की राजनीति में छोटी बड़ी पार्टियां एक दूसरे का दामन थामने में लग गयी हैं। इसी क्रम में 44 से अधिक राजनीतिक दल और कई सामाजिक आंदोलन ने मिलकर भारतीय महागठबंधन बनाया है। पार्टियों को एक मंच पर लाकर महागठबंधन ने लखनऊ स्थित रवीन्द्रालय हॉल में एक संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी का विषय था- एससी एसटी ओबीसी और अल्पसंख्यकों की राजनीतिक एकजुटता के उपाय।


गोष्ठी में वक्ताओं ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के कुशासन का स्मरण दिलाते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रवाद के नाम पर पूरे देश की संपत्ति को उद्योगपतियों के हाथ में बेचने का काम कर रही है। इससे लोगों की रोजी रोटी का सहारा खत्म हो रहा है। संपत्तियों का निजीकरण करने से आरक्षण का लाभ खत्म होता जा रहा है। निजीकरण करने से महंगाई पर नियंत्रण करने का सरकार का अधिकार खत्म होता जा रहा है। इसीलिए डीजल और पेट्रोल की कीमतें आसमान छू रही है और सरकार कुछ नहीं कर पा रही है। कृषि कानून लागू होगा तो डीजल पेट्रोल की तरह गेहूं, चावल, फल और सब्जियों की कीमतें भी आसमान छुएंगी। लेकिन किसान को कुछ नहीं मिलेगा। कृषि कानूनों से किसान अपनी जमीनों से हाथ धो बैठेंगे। जबरदस्ती थोपी गई नोटबंदी ने और जीएसटी कानून ने छोटे व्यापारियों की कमर तोड़ दिया है। 


कोरोना की महामारी पर जिस तरह से सरकार ने काम किया उसके कारण लाखों लोगों की जान चली गई। अनुसूचित जाति व जनजातियों, पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यकों की एकजुट ताकत का उपयोग सत्ता परिवर्तन के लिए किया जाय। किन्तु इस कार्य में सबसे बड़ी बाधा हैं- इन वर्गों के महत्वाकांक्षी नेता। चुनाव आते ही इन वर्गों के नेता सभी चुनाव क्षेत्रों में अपनी अपनी पार्टी के उम्मीदवार खड़ा करके दमन के शिकार इस बहुसंख्यक वर्ग की ताकत को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देंगे। खुद चुनाव हार जाएंगे और भारतीय जनता पार्टी को जीतने का रास्ता साफ कर देंगे। इसीलिए इस बार यह जरूरी है की भाजपा के दमन के शिकार लोग अपनी वोट केवल महागठबंधन द्वारा मान्यता प्राप्त प्रत्याशियों को ही दें। इस बार किसी पार्टी के प्रत्याशी को वोट न दें। यहां तक कि यदि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी महा गठबंधन में शामिल नहीं होते, तो इन पार्टियों को वोट देना भी अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारना होगा। 


वक्ताओं ने समाजवादी पार्टी में हुए दंगों की और मायावती सरकार में हुए ऐतिहासिक घोटालों तथा खजाने के दुरुपयोग की याद दिलाया। समाजवादी पार्टी के नेता का पूरा परिवार भ्रष्टाचार के दलदल में धंसा है और इसीलिए उसकी गर्दन भाजपा सरकार के हाथ में है। भाजपा सरकार जब चाहे समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी नेतृत्व को जेल भेज सकती हैं। जेल के डर के कारण यह दोनों ही पार्टियां भाजपा के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं अपितु नूरा कुश्ती कर रहे हैं। यदि समाजवादी पार्टी की सरकार बन जाती है तो यह सरकार नीतीश कुमार की तरह भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी साबित होगी और अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के नए नीतीश कुमार साबित होंगे। यह स्थिति बहुत ख़तरनाक होगी। कार्यक्रम का संचालन व्यवस्था परिवर्तन मोर्चा के संयोजक हेमंत कुशवाहा ने किया। 


इस कार्यक्रम का अध्यक्षता एल्हादे मिल्लत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खान जी ने की, जो महा गठबंधन के उ.प्र . प्रभारी हैं। विशिष्ट अतिथि के रूप में महा गठबंधन के घटक भारतीय एकता मंच के संयोजक मौलाना सलमान हसनी नदवी, पूर्व सांसद राजकुमार सैनी, पूर्व संसद रघु ठाकुर और रिहाई मंच के अध्यक्ष और रिहाई मंच के अध्यक्ष एड. मोहम्मद शोएब आदि लोगों ने संबोधित किया. राजकुमार सैनी महागठबंधन के अखिल भारतीय इकाई के न्यायिक परिषद् के अध्यक्ष है और मोहम्मद शोएब महागठबंधन के उत्तर प्रदेश के सहायक उपाध्यक्ष है। महागठबंधन से जुड़े सभी पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्षों ने और महा गठंधन से जुड़े सभी गठबन्धनों के संयोजकों  हेमंत कुशवाहा, साहब सिंह धनगर, विश्वात्मा ने भी अपने विचार रखें। उक्त जानकारी महागठबंधन के प्रवक्ता  विश्वात्मा ने दी है। 

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