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रिहर्सल शुरू, मंचन 11 अक्टूबर से, खलेगी ये कमी

रामलीला, सेक्टर-ए सीतापुर रोड योजना

सुनाई पड़ने लगे श्रीराम के जयकारे व संवाद

लखनऊ (शम्भू शरण वर्मा)। ‘‘शिव धनुष तोड़ने वाला भी, कोई शिव प्यारा ही होगा। जिसने ऐसा अपराध किया, वह दास तुम्हारा ही होगा...।’’ सेक्टर-‘ए’ सीतापुर रोड योजना में 11 अक्टूबर से शुरू होने वाले पांच दिवसीय रामलीला के 29वें मंचन के लिये चल रहे रिहर्सल में इन दिनों कुछ ऐसे ही संवाद सुनाई पड़ रहे है। रामलीला में बखूबी मंचन के लिये जहां कलाकारों में काफी उत्साह है। वहीं दिवंगत निर्देशक गंगा सिंह की कमी भी कलाकारों को खल रही है। 

छमाही परीक्षा की तैयारी संग रिहर्सल कर रहे है बाल कलाकार

रामलीला में किरदार निभाने वाले कई बाल कलाकार ऐसे है जिनमें कुछ की छमाही परीक्षायें चल रही और कुछ की जल्द ही शुरू होने वाली है। ऐसे में वह पढ़ाई के साथ ही रिहर्सल के लिये भी वक्त निकाल रहे है। यहीं नहीं रामलीला के मंचन वाले दिन भी कई कलाकारों की छमाही परीक्षाएं हैं।

कलाकारों में दिख रहा उत्साह

मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम केवल हमारी आस्था के आधार ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति, सभ्यता व समर्पण के प्रेरणा स्त्रोत भी हैं। रामलीला के मंचन के माध्यम से श्रीराम के चरित्र को जीवन में उतारने व वर्तमान समय में उनके चरित्र को दिखाने की उत्सुकता कलाकारों में साफ नजर आ रही है। 

श्रीरामलीला पार्क में स्थित विश्वनाथ मंदिर परिसर में चल रहे रिहर्सल में ''सच्चे योद्धा सच्चे क्षत्रिय अपमान नहीं सह सकते है, इनको सुनने का ताव नहीं, चुप कैसे रह सकते है...'' जैसे संवाद गुंजायमान हो रहे है। रिहर्सल के दौरान पुराने कलाकारों के साथ ही नए कलाकारों के चेहरे पर अपने किरदारों का बखूबी मंचन करने की झलक साफ दिखाई दे रही है।

श्री रामलीला कार्यक्रम

11 अक्टूबर- भगवान श्री गणेशजी की वन्दना, श्रीराम जन्म, ताड़का वध, धनुष यज्ञ, परशुराम लक्ष्मण संवाद।

12 अक्टूबर- श्रीराम-लक्ष्मण जी की आरती, कैकेयी-मंथरा संवाद, कैकेयी-दशरथ संवाद, राम वन गमन, केवट राम संवाद, दशरथ मरण, भरत मिलाप।

13 अक्टूबर- भगवान शंकर जी की आरती, पंचवटी दृश्य, खरदूषण वध, सीताहरण, जटायु मरण, श्रीराम हनुमान भेंट, सुग्रीव मित्रता, बालि वध।

14 अक्टूबर- मां दुर्गा जी की आरती, सीता की खोज, लंका दहन, विभीषण शरणागति, अंगद का लंका प्रस्थान, राजकुमार वध, अंगद-रावण संवाद, लक्ष्मण शक्ति।

15 अक्टूबर- हनुमान जी की आरती, कुम्भकरण, मेघनाद, अहिरावण व रावण वध, श्रीराम राज्याभिषेक एंव आरती और पारितोषिक वितरण।

स्थानीय कलाकारों को मिलता है मौका

इस रामलीला की खासियत यह है कि यहां बाहरी कलाकार नहीं बल्कि स्थानीय कलाकार किरदार निभाते है। यही नहीं बाल कलाकारों कों भी मौका मिलता है। जिससे बच्चे खुद मंचन करें और अपने पौराणिक पात्रों व उनके इतिहास के बारे में जानें। इससे बच्चों को शिक्षा भी मिलती है। 

श्रीरामलीला समिति के अध्यक्ष सुरेश चंद्र तिवारी ने बताया कि इस वर्ष भी रामलीला मंचन के साथ ही बाल कलाकारों को सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से भी अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा।

वरिष्ठ कलाकार भी करते हैं मार्गदर्शन

श्रीरामलीला पार्क में स्थित विश्वनाथ मंदिर परिसर में रात्रि के आठ बजते ही सभी कलाकार एकत्र होकर रामलीला की रिहर्सल में जुट जाते हैं। निर्देशक उमाशंकर राठौर व जितेंद्र मिश्र प्रतिदिन कलाकारों को मंचन के तौर तरीके और उनके द्वारा किये जाने वाले दृश्यों की बारीकियों को बखूबी समझा रहे हैं। तबला व हारमोनियम पर गीत किस प्रकार से गाना है, एक्टिंग किस प्रकार से करनी है, इसके बारे में कलाकारों को बताया जा रहा है। रामलीला में बहुत से कलाकार ऐसे हैं जिन्हें अपने डायलॉग पहले से ही याद हैं। फिर भी कलाकार चाहे वरिष्ठ हो या कनिष्ठ अपने तरीके से सभी रिहर्सल कर रहे हैं, जिससे वह बखूबी मंचन कर सके। इस दौरान अगर कनिष्ठ कलाकार से कोई गलती होती है तो वरिष्ठ कलाकार उनका मार्गदर्शन भी करते हैं।

नये बाल कलाकारों को मिलेगा मौका

रामलीला की विशेषता यह है कि श्रीराम वन गमन तक बाल कलाकारों को राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न व सीता जैसे महत्वपूर्ण किरदार निभाने का मौका मिलता है। वहीं लड़कियां भी मंच पर माता सीता की सखियों का किरदार निभाती हैं। 

इस वर्ष पहली बार रामलीला के मंचन में शामिल हुए सूर्य प्रताप सिंह, आर्यन गुप्ता, हर्ष वर्मा श्रीराम वन गमन तक क्रमशः राम, भरत व शत्रुघ्न का किरदार निभाएंगे। वहीं कई वर्षों से शामिल हो रहे सत्यम वर्मा लक्ष्मण बनेंगे। इसके साथ ही कई नए बाल कलाकारों को भी मौका मिलेगा। बच्चों में इस कदर उत्साह है कि वह न सिर्फ प्रतिदिन रिहर्सल में आ रहे है बल्कि अपनी प्रतिभा भी दिखा रहे है। 

खलेगी दिवंगत निर्देशक की कमी

स्थानीय लोगों के सहयोग व अपने अथक प्रयास से वर्ष-1993 में रामलीला के मंचन की शुरुआत करवाने वाले जुझारू निर्देशक गंगा सिंह अब कभी मंच पर खुद नजर नहीं आएंगे बल्कि मंच पर लगने वाली तस्वीर उनकी यादें ताजा करेंगी। कोरोना ने उन्हें सभी से दूर कर दिया।

स्मृतिशेष गंगा सिंह
कोरोना की चपेट में आने के बाद उन्हें बचाने का बहुत प्रयास किया गया लेकिन बीते 14 अप्रैल को 58वर्षीय गंगा सिंह ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। उनके निधन से स्थानीय निवासियों, समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों, कलाकारों में भी खासी मायूसी है। गंगा सिंह न सिर्फ निर्देशक की जिम्मेदारी निभाते थे बल्कि कई किरदारों का मंचन भी करते थे। यही नहीं यदि अचानक किसी कारणवश कोई कलाकार अपना किरदार नहीं निभा पाता था तो गंगा सिंह वह कमी भी खुद पूरी कर देते थे। श्रीरामलीला समिति के अध्यक्ष सुरेश तिवारी व संयुक्त मंत्री शांति स्वरूप शुक्ला ने बताया कि 11 अक्टूबर को स्मृतिशेष गंगा सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद रामलीला के मंचन का शुभारंभ होगा।


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