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आंदोलित अभियंताओं ने बिजली संकट के लिए ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन को ठहराया जिम्मेदार

लखनऊ। ऊर्जा निगमों में बिजली अभियन्ताओं की काफी समय से लम्बित ज्वलन्त समस्याओं के समाधान न होने एवं पावर कारपोरेशन प्रबन्धन की संवादहीनता एवं उत्पीड़नात्मक, दण्डात्मक कार्यवाहियों के अभियान के विरोध में बिजली अभियंताओं ने अपना आन्दोलन तेज कर दिया है। सोमवार को दोपहर 03 बजे से 05 बजे तक का दो घण्टे का कार्य बहिष्कार कर अभियंताओं ने प्रदेश के सभी जनपद मुख्यालयों, परियोजनाओं सहित राजधानी लखनऊ में शक्तिभवन पर विरोध सभायें कर अपना रोष प्रकट किया। बिजली अभियन्ताओं ने प्रदेश के बिजली संकट एवं ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशान्ति के लिए ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन को जिम्मेदार ठहराते हुए ऊर्जा मंत्री एवं मुख्यमंत्री से अभियन्ताओं की समस्याओं के तत्काल निराकरण कर सार्थक कार्यवाही करने हेतु हस्तक्षेप करने की अपील की। 12 एवं 13 अक्टूबर को भी 02 घण्टे का कार्य बहिष्कार जारी रहेगा।   


विद्युत अभियन्ता संघ के अध्यक्ष वीपी सिंह ने बताया कि प्रदेश में उत्पन्न बिजली संकट के लिए ऊर्जा निगमों का शीर्ष प्रबन्धन पूर्ण रूप से जिम्मेदार है क्योंकि प्रबन्धन की अदूरदर्शिता के कारण समय रहते कोयला प्रबन्धन पर शीर्ष प्रबन्धन द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया। ऊर्जा निगम प्रबन्धन की अदूरदर्शिता एवं विफलता के कारण जहां एक ओर प्रदेश की जनता को बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर कारपोरेशन को 18 से 20 रूपये की अत्यन्त मंहगी बिजली खरीदनी पड़ी है। जिससे कारपोरेशन की वित्तीय स्थिति और खराब हो गयी है जो घाटा बढ़ाने में सहायक होगा। शीर्ष प्रबन्धन द्वारा मात्र अभियन्ताओं को प्रताड़ित करने एवं दण्डित करने में ही पूरा समय व्यतीत किया गया है जिससे अन्य नियोजन एवं तकनीकी कार्य बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और प्रदेश को बिजली संकट झेलना पड़ रहा है। सरकार की छवि पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। केन्द्रीय मंत्री के देश में कोयला संकट न होने के बयान को देखते हुए स्थिति और चिंताजनक एवं स्पष्ट हो जाती है कि प्रदेश के ऊर्जा निगम कुप्रबन्धन का शिकार है एवं वर्तमान बिजली संकट इसी का नतीजा है। 


अभियन्ता संघ के महासचिव प्रभात सिंह ने बताया कि ‘संवाद से समाधान’ के मूल मंत्र से सभी समस्याओं का हल निकल सकता है। संघ आज भी इस पर कायम है और सार्थक वार्ता के लिए तैयार हैं। परन्तु प्रबन्धन को खुले मन से समस्याओं के त्वरित निस्तारण हेतु गम्भीरता प्रदर्शित करनी होगी। 


इसके विपरीत शीर्ष प्रबन्धन द्वारा बिजली अभियन्ताओं द्वारा कारपोरेशन के हित में दिये गये सुझावों पर ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन द्वारा कोई कार्यवाही न किये जाने एवं मात्र फर्जी कन्सलटेंटों के सहारे ऊर्जा निगमों को मनमाने ढंग से एवं डण्डे के जोर पर चलाने के मूल मंत्र के कारण प्रदेश की जनता बिजली के लिए तरस रही है। बिजली अभियन्ताओं सहित अन्य कर्मचारी ध्यानाकर्षण आन्दोलन हेतु बाध्य हैं। उन्होंने बताया कि समस्याआें के सार्थक समाधान न होने तक शान्तिपूर्ण ध्यानाकर्षण आन्दोलन जारी रहेगा। इसी क्रम में 12 एवं 13 अक्टूबर को अपराह्न 03 बजे से सायं 05 बजे तक 02 घण्टे का कार्य बहिष्कार कर प्रदेशव्यापी विरोध सभाये की जायेंगी।

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