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आपके छोड़े खाने से पशुओं का भरेगा पेट, छात्रों ने इजात की ऐसी अनूठी तकनीकी

अब बचा हुआ खाना नहीं होगा बर्बाद, लखनऊ के छात्रों ने बनाया बचे हुए खाने से विशिष्ट पशु आहार

लखनऊ। घर या होटल में खाना छोड़ते वक्त आपने कभी इसके दूरगामी परिणामों के बारे में नहीं सोचा होगा। खाने की बर्बादी से आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण का नुकसान है। भोजन के जिस अंश को हम बड़ी आसानी से थाली में छोड़ देते हैं या कूड़ेदान में फेंक देते हैं, उससे केवल अनाज की ही बर्बादी नहीं होती, बल्कि उसमें विद्यमान ऊर्जा, कार्बन, जल और पोषक तत्वों की भी बर्बादी होती है। बचा खाना जब लैंडफिल (कचरा क्षेत्र) में जाता है तो इससे मीथेन जैसी हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जो पर्यावरण के लिए घातक है। खाने की बर्बादी को रोकने के लिए किसी संस्था, सरकार का इंतजार न करें, खुद से इसकी पहल करें।

यदि आपके मन में कुछ अच्छा कार्य करने का जज्बा है और हौसले बुलंद हैं तो कठिन काम भी आसान हो जाता है। कुछ अलग करने की चाह और अपना रास्ता खुद बनाने का सपना इंसान के लिए नए रास्ते खोल देता है। कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है बंसल इंजीनियरिंग कॉलेज लखनऊ के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के छात्र अर्पित दीक्षित और गौरव मिश्रा ने। इन्होने अपनी सूझबूझ और शिक्षा का प्रयोग कर अपनी अलग पहचान बना डाली है। इन छात्रों ने हॉस्टल के मेस, शादी विवाह व घरेलु बचे खाने से पशु आहार तैयार किया है। यह पशु आहार बहुत ही सस्ता एवं किफायती है।

पशु आहार बनाने की सबसे सस्ती और किफायती तकनीक बायोटेक्नोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनुपम सिंह एवं विभाग के आंत्रप्रेन्योर सेल के इंचार्ज आशीष राय के दिशा निर्देशन में पूरा हुआ है। संस्था के डायरेक्टर प्रो. सुशील कुमार अग्रवाल एवं प्रॉक्टर आरपी सिंह ने बताया की यह उत्पाद सभी मापदंडो पर खरा उतरा है और इसे बाजार में लाने की तैयारी है। संस्था के चेयरमैन गिरिजा शंकर अग्रवाल ने बताया कि इस पहल से कृषि एवं पशुपालन से जुड़े लोगों को काफी सहयोग मिलेगा। संस्थान ऐसे और उत्पादों के विकास के लिए छात्रों को आर्थिक मदद भी देगा।



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