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एक तेंदुआ और 30 लोगों की टीम, 45 घंटे, पढ़िए क्या कह रहे हैं वनाधिकारी

लखनऊ। 70 घंटे और 30 लोगों की टीम एक तेंदुए को अभी तक नहीं पकड़ सकी है। हालांकि एक बार टीम को मौका मिला लेकिन जाल में फंसा तेंदुआ भाग निकला। शनिवार सुबह 4 बजे गुडंबा के कल्याणपुर इलाके में घुसे तेंदुए ने करीब 15 लोगों को घायल किया। अभी तक न पकड़े जाने से ट्रांसगोमती के लोग दहशत में हैं। रात में गलियों में कर्फ्यू जैसा सन्नाटा पसर गया है। 


कल्याणपुर और आस-पास रहने वाले लोगों को यह भी नहीं पता कि तेंदुआ है या शहर के बाहर चला गया है। हर कोई इसके पकड़े जाने की खबर का इंतजार कर रहा है। इसकी वजह से लोग घर से बाहर निकल नहीं पा रहे हैं जो जा रहे हैं उनकी चिंता घरवालों को सता रही है। 
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अवध वन प्रभाग के अंतर्गत कुकरैल रेंज के अंतर्गत आदिल नगर एवं कल्याणपुर के आस पास क्षेत्रों में लगभग 45 घंटे से तेंदुआ नहीं देखा जा रहा है। 26 दिसंबर की सुबह व रात में लगातार की जा रही गश्त में यह पुष्टि प्रवर्तन टीम ने की है। तेंदुआ कल्याणपुर, जानकीपुरम व सहारा स्टेट इलाके के आस पास भी नजर नहीं आया है। इसके बाद भी सुरक्षा की दृष्टि से पांच टीमों को माध्यम से गश्ती की जा रही है। स्थानीय लोगों की जानकारी व सतर्कता के लिए टीमों के माध्यम से पर्चों का वितरण किया गया है। 

प्रभागीय वन अधिकारी डा. रवि कुमार सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि लोगों द्वारा कई भ्रामक सूचनाएं दी जा रही है जैसे कि एक से अधिक तेंदुए हैं हालांकि सीसीटीवी फुटेज व गूगल मैप के अनुसार समयवार स्थिति से एक ही तेंदुए का मूवमेंट विभिन्न स्थलों पर अलग अलग समय पर प्राप्त हुआ है। 

24 दिसंबर की रात 11 बजे जानकीपुरम साठ फिटा रोड

इसके घंटे बाद 25 दिसंबर की सुबह एक बजे एस आर हास्पिटल व पूजा नर्सिंग होम के सीसीटीवी में कल्याणपुर, सायं 4 बजे प्रेसीडेंसी स्क्ूल, आदिल नगर में उसके बाद शाम 6 बजे कल्याणपुर के खाली प्लाट में दिखायी दिया। 

अधिकारी के अनुसार वन्य जीव तेंदुआ कम समय में ज्यादा दूरी तय करता है, सुरक्षित मार्ग पाकर वह अपने प्राकृतिक आवास में लौट सकता है इस बीच अनावश्यक रूप से उसको आंतकित न किया जाए। इसके लिए मुख्य सावधानियां बरतने की जरूरत है। 

26 की रात को तेंदुए के इंटीग्रल यूनिवर्सिटी कुर्सी रोड, जानकीपुरम, आधार खेड़ा व तकरोही, छोटा भरवारा, चिनहट, सेक्टर चार विकास नगर के आस पास होने की सूचना कंट्रोल रूम को मिली।

पांच - पांच लोगों का पांच ग्रुप बनाया गया। इसके अलावा सुपरवाईज करने के लिए एक एसडीओ स्तर का अधिकारी और उसके सहयोगी होते है। कुल करीब 30 लोगों की टीम लगी हुई है।


जाल, डंडे, सीट, पिंजड़ा , गन इसमें इंजेक्शन डालकर जानवर को बेहोश किया जाता है। इसमें जाइलो जीन इंजेक्शन को गन में भरकर शूट किया जाता है।





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