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इंडिया गेट पर अब नहीं जलेगी 'अमर जवान ज्‍योति' राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में हुआ विलय

नई दिल्ली। इंडिया गेट पर 1971 से जल रही 'अमर जवान ज्‍योति' का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) पर जल रही लौ में विलय हो गया। 3.30 बजे दोनों लौ का विलय समारोह का आयोजन किया गया। यहां से करीब 300 मीटर दूर नेशनल वॉर मेमोरियल स्थित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को इसका उद्घाटन किया था। यहां 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं। वार मेमोरियल में ज्योति का विलय होने के बाद अमन जवान पर जल रही ज्योति अब नहीं जलेगी। नैशनल वॉर मेमोरियल के अमर चक्र में भी अमर जवान ज्योति है। इंडिया गेट पर जल रही लौ को इसी में विलय किया है। 

आपको बता दें कि इंडिया गेट को अंग्रेजों ने 1921 में बनवाया था, उन 84,000 सैनिकों की याद में जो पहले विश्‍व युद्ध और बाद में शहीद हुए। 3 दिसंबर से 16 दिसंबर, 1971 तक भारत और पाकिस्‍तान के बीच युद्ध चला। भारत की निर्णायक जीत हुई और बांग्‍लादेश अस्तित्‍व में आया। इस पूरे अभियान के दौरान, भारत के कई वीर जवानों ने प्राणों का बलिदान किया।

जब 1971 युद्ध खत्‍म हुआ तो 3,843 शहीदों की याद में एक अमर ज्‍योति जलाने का फैसला हुआ। इंडिया गेट पर तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को 23वां गणतंत्र दिवस पर अमर जवान ज्‍योति का उद्घाटन किया गया था। 

अमर जवान ज्‍योति एक काले मार्बल का फलक है जिसके चारों तरफ स्‍वर्णाक्षरों में 'अमर जवान' लिखा हुआ। इसके ऊपर एक L1A1 सेल्‍फ लोडिंग राइफल रखी है और उसपर एक सैनिक का हेलमेट किसी मुकुट की तरह रखा गया है।

इस फलक के चारों तरफ कलश रखे हुए हैं, जिनमें से एक में ज्‍योति 1971 से जली आ रही है। यूं तो चारों कलशों में ज्‍योति जलती है मगर पूरे साल भर चार में से एक ही ज्‍योति चलती रहती है। स्‍वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर चारों कलशों की ज्‍योति जलाई जाती है। अमर जवान ज्‍योति पर सेना, वायुसेना और नौसेना के सैनिक तैनात रहते हैं। इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्‍योति पर भारी भीड़ जुटा करती थी। यहां आने वाले लोग वीर शहीदों को याद कर नमन करते रहे हैं।

यहां शहीदों के नाम स्‍वर्णाक्षरों में अंकित हैं। 1971 में निर्माण के बाद से हर साल गणतंत्र दिवस परेड से पहले राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री, तीनों सेनाओं के प्रमुख और अन्‍य गणमान्‍य हस्तियां अमर जवान ज्‍योति पर माल्‍यार्पण करती हैं। हर साल उन गुमनाम शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है जिन्‍होंने भारत की रक्षा में जान कुर्बान कर दी।

हालांकि फरवरी 2019 में राष्‍ट्रीय युद्ध स्‍मारक के उद्घाटन के बाद से, यह परंपरा वहां शिफ्ट हो गई। फिलहाल यह एरिया सेंट्रल विस्‍टा प्रॉजेक्‍ट के निर्माण की वजह से बंद है। गणतंत्र दिवस परेड से पहले शहीदों को श्रद्धांजलि देने की परंपरा अब यहां शिफ्ट हो गई है। 


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