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हमें अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए - आचार्य शान्तनु

लखनऊ। महानगर रामलीला मैदान में चल रहे श्रीरामकथा के अष्टम दिन मंगलवार को आचार्य शान्तनु जी महाराज ने भरत चरित्र की कथा सुनाते हुए कहाकि "जग जप राम राम जप जेहि", अर्थात भगवान स्वयम भरत जी का स्मरण करते है। मानस में भरत जी को अनेक लोगो ने महिमा मंडित किया है। उन्होंने बताया कि तीर्थराज प्रयाग ने कहा कि भरत सब विधि साधु हैं, भगवान ने स्वयं कहा कि लखन भरत जैसा पवित्र भाई संसार मे नही मिल सकता। जनक जी ने सुनयना जी से कहा कि रानी भरत की महिमा राम जानते तो है परंतु वे भी बता नही सकते। भरत जी की साधना को बताते हुए कथा व्यास ने कहा कि उनकी कठिन साधना को देखकर बड़े बड़े साधु संत भी उनके पास जाने में घबराते थे, स्वयं वशिष्ठ जी भी जाने से कतराते थे। 

उन्होंने कहा कि गौ की रक्षा करनी चाहिए, हम केवल गौ की पूंछ पकड़ कर वैतरणी पार करने के कर्मकांड को तो करते है, पर गौ की सेवा नहीं करते। हम सबको अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। भारतीय संस्कृति में गौ सेवा का अत्यधिक महत्व है। आचार्य शान्तनु ने कहा कि पिता की मृत्यु एवं भगवान के वन गमन का समाचार मिलने पर भरत जी विह्वल हो गए और विलाप करने लगे। माता कैकेई को बहुत बुरा भला कहा है, सारी सभा को फटकार लगाई है। कौशल्या जी के समझाने पर भरत जी शांत हुए है और सबको आश्वासन दिया है कि हम सबको भगवान से मिलाने ले चलेंगे और पूरी प्रजा भरत जी के साथ भगवान से मिलने चित्रकूट चली है, भगवान से मिलन हुआ है। भगवान के आदेश से उनकी पादुका सिरोधार्य कर भरत जी अयोध्या वापस आये है और उसी पादुका को सिंहासन पर रखकर अयोध्या के राजकाज को संभाला है। महाराज जी ने भरत की महिमा बताते हुए कहते है कि पूरा संसार राम राम करता है और राम जी भरत भरत कहते हैं। इस कारुणिक प्रसंग को सुनकर सम्पूर्ण जनमानस श्रोतासमाज भावविह्वल हो गया, सबकी अश्रुधार फूट पड़ी एवं सम्पूर्ण वातावरण भक्तिमय हो गया।

आज की रामकथा के यजमान राकेश चौहान, विनीता चौहान, हरजीत भल्ला, बीना गुप्ता थी। पूर्व राज्यसभा सांसद कुसुम राय,आयोजक सविता सिंह, नरेंद्र देवड़ी, मनोज वर्मा, सुनील शंखधर, श्याम प्यारे, वैभव पांडेय, दीपक पांडेय, शैल वर्मा 'शालू', निशा सिंह, डॉ अभिषेक, रश्मि शरण, ब्रजेश सिंह, अनुराग गुप्ता, राज वर्मा सहित काफी संख्या में भक्त उपस्थित थे।

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