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"ठंडी पवन झंकोरे खाये चुनरिया लाल लाल लहराए..."

पुरखों की याद में सजी लोक चौपाल

पद्मश्री योगेश प्रवीन और आरती पांडेय की पहली पुण्यतिथि पर संगीतांजलि 

लखनऊ। लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा आयोजित लोक चौपाल में पुरखों को याद किया गया। बुधवार को इन्दिरा नगर के ईश्वरधाम मन्दिर परिसर में अवधविद् पद्मश्री डा. योगेश प्रवीन और वरिष्ठ लोक गायिका आरती पाण्डेय की प्रथम पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर चर्चा के साथ सुरमयी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। चौपाल चौधरी के रूप में संगीत विदुषी प्रो. कमला श्रीवास्तव, पद्मश्री डा. विद्याविन्दु सिंह, डा. रामबहादुर मिश्र, वरिष्ठ लोक गायिका पद्मा गिडवानी, विमल पन्त, दया चतुर्वेदी, इन्द्रा श्रीवास्तव सहित साहित्य एवं संगीत जगत की प्रमुख विभूतियों ने लोक संस्कृति संरक्षण व संवर्द्धन की दिशा में योगेश प्रवीन व आरती पाण्डेय के योगदान का स्मरण किया। 
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पद्मश्री डा. विद्याविन्दु सिंह ने कहा कि परम्पराएं संस्कृति का अंग होती हैं। पुरखों के प्रति आदर व कृतज्ञता की सनातन परम्परा रही है। गत वर्ष कोरोना की भेंट चढ़े योगेश प्रवीन तथा आरती पाण्डेय के व्यक्तित्व को बहुआयामी बताते हुए उन्होंने कहाकि योगेश ने अपनी लेखनी और आरती ने कंठ संगीत के द्वारा लोक धुनों को सहेजने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। चौपाल में योगेश प्रवीन के लिखे भजन, ग़ज़ल व गीतों तथा आरती पाण्डेय के सिखाये पारम्परिक गीतों की प्रस्तुतियां भी हुईं। प्रो. कमला श्रीवास्तव ने कविता ’नामान्तर’ व योगेश जी की कृति इंद्रधनुष से गीत वन वन की पवन ठंढी किरन तथा आरती पांडेय की कृति मड़वे में बिराजे जुगल जोड़ी से पचरा गीत सुनाया। 
वरिष्ठ लोक गायिका पद्मा गिडवानी ने मोर टिकुलिया चमके तथा चन्दा जइयो बीरन के देसवा, वरिष्ठ लोक गायिका विमल पन्त ने ठंडी पवन झंकोरे खाये चुनरिया लाल लाल लहराए, फूलन की कलियां लैके तारन की लड़ियां लैके, रीता पांडेय ने दिल जिसके लिए रात दिन, हमसे बलम की ऐसी बिगरी, सुमन पाण्डा ने नकटा-हिसाब मेरा लेते जाना जी, अरुणा उपाध्याय ने कथा हम गाई सिया रघुराई व नकटा- दुई चार चुड़ियन के बीच कंगन मोरी दाबे सुनाया। 
लोक गायिका गीता शुक्ला ने जहां राम लीहीन अवतार, सुषमा प्रकाश ने ननद फुलगेनवा के भरे पानी, मधु श्रीवास्तव ने तेरे भवन के चन्दन किवाड़, भवानी कोई अरज करे तेरे द्वार, युगल गायिका यामिनी-कामिनी ने रोते रोते घर आया मोरा कृष्ण कन्हैया तथा मन मंदिर सुनो मोरी मां, रुपाली रंजन श्रीवास्तव ने घनश्याम मोरी रोके डगरिया की प्रस्तुति दी। बाल कलाकार स्वरा त्रिपाठी ने मोर टिकुलिया चमके पर मनमोहक नृत्य किया। चौपाल में सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक असित कुमार पाण्डा, डॉ. करुणा पांडे, डॉ. भारती सिंह, रमा सिंह, वरिष्ठ लोक गायिका दया चतुर्वेदी, सरिता अग्रवाल, चित्रा जायसवाल, सौरभ कमल, भजन गायक गौरव गुप्ता, लोक गायक सौरभ कमल सहित अन्य मौजूद रहे।

सहेंजेंगे थाती, बनेगा वृत्त चित्र

लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने बताया कि डा. योगेश प्रवीन के आवास पंचवटी को संग्रहालय में बदलने की मांग प्रदेश सरकार से की गई है। संस्थान द्वारा योगेश प्रवीन और आरती पाण्डेय के व्यक्तित्व व कृतिव पर केन्द्रित वृत्त चित्र भी बनाया जा रहा है।

फगुनवा में रंग बरसे का लोकार्पण

चौपाल में डा. रामबहादुर मिश्र की कृति फगुनवा में रंग बरसे का लोकार्पण पद्मश्री विद्याविन्दु सिंह व प्रो.कमला श्रीवास्तव के कर कमलों से किया गया। कृति में अवध क्षेत्र की फागोत्सव परम्परा, डेढ़ ताल, चौताल व उलारा आदि का विवरण संकलित है।

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