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बच्चों ने सुनी अमेरिकी धाविका विल्मा रुडोल्फ की कहानी

अशक्त बालिका से ओलम्पिक विजेता तक की गाथा

लखनऊ। बच्चों की कल्पना शक्ति के विकास, प्रेरणा एवं कथा-कहानी के माध्यम से नैतिक मूल्यों के प्रसार हेतु लोक संस्कृति शोध संस्थान की मासिक श्रृंखला दादी-नानी की कहानी में इस बार स्टोरीमैन जीतेश श्रीवास्तव ने अमेरिका की एक सच्ची कहानी सुनाई। जानकीपुरम के सेक्टर एच स्थित विन्ध्यवासिनी पार्क में हुए आयोजन में प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हार न मानने और मजबूत इच्छाशक्ति से असम्भव को भी सम्भव बनाने का उदाहरण प्रस्तुत किया गया।
स्टोरीमैन जीतेश श्रीवास्तव ने कहानी की शुरुआत अमेरिका के विल्मा रुडोल्फ की शारीरिक अशक्तता के प्रसंग से की जिसमें चिकित्सकों ने कहा था कि वह चल-फिर नहीं सकती। बाद में विल्मा रुडोल्फ ने दुनिया को यह दिखा दिया कि हमें हालातों से समझौता करना नहीं बल्कि बुरे हालातों से लड़ना आना चाहिए। विल्मा रूडोल्फ का जन्म अश्वेत गरीब परिवार में हुआ था जिसके कारण अमेरिकी उन्हें दोयम दर्जे की नजर से देखते थे। उनके पिता कुलीन का काम करते थे जबकि माता दूसरों के घरों में नौकरानी का काम करती थी। अमेरिका के टेनेसी प्रांत में 23 जून 1940 को जन्मी विल्मा रुडोल्फ 1960 में रूस में हुए ओलंपिक में पहली अमरीकन महिला बनी, जिन्होंने एक ही ओलंपिक में तीन गोल्ड मेडल जीते। उन्होंने सौ मीटर, दो सौ मीटर और चार सौ मीटर रिले रेस जीत कर दुनिया की सबसे तेज दौडऩे वाली महिला बनीं।
कार्यक्रम की शुरुआत बच्चों को टेढ़े-मेढ़े वाक्य देकर उनका उच्चारण अभ्यास कराने के साथ हुई। सहयोगी संस्था नीलाक्षी लोक कला कल्याण समिति की अध्यक्ष नीलम वर्मा ने लोककथा समूह का स्वागत किया। इस अवसर पर क्षेत्रीय युवा नेता सतीश वर्मा, नाटककार आर. के. नाग, अभिनेता महर्षि कपूर, लोक गायिका रीता पाण्डेय, नीना श्रीवास्तव, सुमन बाजपेयी, मधुलिका श्रीवास्तव, शालिनी वैद्य, राज नारायण वर्मा, डा. एस.के.गोपाल, लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी सहित अन्य उपस्थित रहे।

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