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‘परछाइयां’ का मंचन संग नौशाद सम्मान से नवाजी जाएंगी विभूतियां

• प्रो.राज बिसारिया, रजा मुराद, रूमी जाफरी सहित 17 को नौशाद सम्मान

• मुम्बई का नाटक ‘परछाइयां’ याद ताजा करेगा साहिर की
• उपमुख्यमंत्री करेंगे डा. निकहत के संग्रह ‘यादों का मौसम’ का विमोचन
लखनऊ। मशहूर शायर साहिर लुधियानवी के जन्म शताब्दी वर्ष के संदर्भ में नौशाद संगीत डेवलपमेण्ट सोसायटी की ओर से उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को भावनात्मक रूप से मंच पर सहेजने वाली उत्कृष्ट संगीतमय नाट्य प्रस्तुति ‘परछाइयां’ का मंचन राजधानी में होगा। यहां 27 मई की शाम संत गाडगेजी महाराज प्रेक्षागृह गोमतीनगर में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के सहयोग से मुम्बई के लेखक-निर्देशक सुहैल वारसी के इस नाटक के मंचन के साथ विशिष्ट योगदान के लिए संगीतकार नौशाद की स्मृति में दिये जाने वाले प्रतिष्ठित नौशाद सम्मान समारोह का आयोजन किया जायेगा।
सोसायटी के अध्यक्ष अतहर नबी ने बताया कि नाट्य मंचन से पहले शाम साढ़े पांच बजे बतौर मुख्य अतिथि प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और विशिष्ट अतिथि लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.आलोक कुमार राय, रंगनिर्देशक पद्मश्री राज बिसारिया, अभिनेता रजा मुराद, निर्देशक रूमी जाफरी, शायर हसन कमाल, गायिका मालती जोशी फाजली, लेखक-गीतकार एएम तुराज, शायर डा. जुबैर फारूक, अभिनेता मोहम्मद इदरीस, लेखक रंग निर्देशक सलीम आरिफ, रूसी भाषा विशेषज्ञ प्रो. साबिरा हबीब, लेखक रंगकर्मी ललित सिंह पोखरिया, रंगकर्मी गोपाल सिन्हा, रंगकर्मी प्रदीप श्रीवास्तव, कलाविद् डा. त्रिनेत्र बाजपेयी, लखनवी इतिहासविद् नवाब जाफर मीर अबदुल्ला, रंगकर्मी प्रेमशंकर भारती और पत्रकार ब्रजेश मिश्र को दसवें ‘नौशाद सम्मान-2022’ से अंगवस्त्र, प्रमाणपत्र व स्मृति चिह्न इत्यादि देकर अलंकृत करेंगे। इस अवसर पर मशहूर शायरा डा. नसीम निकहत के शायरी संग्रह ‘यादों का मौसम’ और डा. त्रिनेत्र बाजपेयी की अंशुला बाजपेयी के साथ लिखी अंग्रेजी पुस्तक ‘दि अनफॉरगेटेबल’ का विमोचन भी अतिथिगण करेंगे। इससे पहले यह सम्मान संगीतकार खय्याम, संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी, अभिनेत्री हेमामालिनी, पद्मश्री प्रो. आसिफा ज़मानी, विलायत जाफरी, रंगकर्मी पुनीत अस्थाना, कला समीक्षक राजवीर रतन, लेखक जितेन्द्र मित्तल आदि को दिया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि कोरोना काल में पिछले वर्ष पड़े साहिर जन्म शताब्दी वर्ष के हमारी संस्थाओं के संयोजित कार्यक्रम कुछ हुए तो अनिश्चय की स्थिति में अधूरे रह गये। वो सुबह कभी तो आएगी, जिन्हें नाज है हिन्द पर वो कहां हैं, ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है जैसे अनेक कालजयी नज्म व गीत रचने वाले साहिर लुधियानवी को उनके शताब्दी वर्ष में उनकी जिंदगी पर लेखक-निर्देशक सुहैल अख्तर वारसी द्वारा मुम्बई के कलाकारों द्वारा तैयार संगीतमय नाटक ‘परछाइयां’ का प्रदर्शन भी 27 मई की शाम संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे हाल में रंगप्रेमी प्रेक्षकों के समक्ष होगा। मुम्बई के फिल्मी सितारों से सजी यादगार सांगीतिक रंग प्रस्तुतियों में से एक इस नाटक में अभिनेता टाम आल्टर भी साहिर का किरदार निभा चुके हैं। निश्चित ही यह प्रस्तुति लखनऊ के रंगप्रेमियों को आनन्दित तो करेगी ही, साहिर लुधियानवी को भी सच्ची श्रद्धांजलि साबित होगी।

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