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'कंटीले तार' ने दी राष्ट्रवाद के साथ काम करने की प्रेरणा

लखनऊ। सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था निसर्ग के तत्वावधान में सन्त गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह गोमती नगर में चल रहे अभिनव नाट्य समारोह की चौथी सन्ध्या में शनिवार को वरिष्ठ नाट्य लेखक मोहम्म्द असलम खान द्वारा लिखित एवं ललित सिंह पोखरिया द्वारा निर्देशित नाटक 'कंटीले तार' के मंचन ने दूसरों की भलाई के लिए काम करने का संदेश दिया। लेखक एक नाटक अनेक की थीम पर आधारित अभिनव नाट्य समारोह की चौथी बेला में नाटककार मोहम्मद असलम खान के नाटक 'कंटीले तार' ने सच्चाई, ईमानदारी और राष्ट्रवाद के साथ लोगों की भलाई के लिए काम करने की प्रेरणा देकर, एक जमाने में रही दस्यु समस्या को रेखांकित कर उसके राजनीति पर पड़ते प्रभाव को दर्शाते हुए जहां एक ओर व्यक्ति की मजबूरी, लाचारी और बेबसी उजागर की। वहीं दूसरी ओर असत्य व अत्याचार पर सत्य व सदाचार की जीत की बात दोहराई।


'कंटीले तार' की कथानुसार 60 के दशक में गुरुजन्त नाम का एक पढ़ा लिखा व्यक्ति गाँव के सरपंच के अत्याचार और शोषण से परेशान होकर डाकू बन जाता है और उसका दल बहुत कुख्यात हो जाता है। लेकिन उन्होनें कभी दुर्बल और ग़रीबों को नही सताया। वह शोषण करने वाले और अत्याचार करने वालों को दण्ड देकर ग़रीबों की मदद किया करते थे। ऐसे ही परिदृश्य में प्रदेश की राजनीति में एक नये गाँधीवादी सुधारवादी नेता दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन से मुख्यमन्त्री बन जाते हैं, लेकिन डाकू के बीहड़ क्षेत्र को सुधारने का वादा करने के बावजूद वह उस क्षेत्र की 8 सीटें हार जाते हैं। नये मुख्यमन्त्री डाकू सुधार योजना के अन्तर्गत डाकुओं का आत्म समर्पण करवाना चाहते हैं, जिसके तहत गुरजन्त आत्म समर्पण करने जाता है। लेकिन षड़यंत्र से पुलिस के हाथ चढ़ जाता है। उसे जेल हो जाती है। 
इसी सुधारवादी आंदोलन में नेताजी, डाकू जयचन्द लोहार के चुनाव जीते हुए आठ विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर लेते हैं। दुर्दांत डाकू जयचन्द लोहार नेताजी की हत्या कर स्वयं मुख्यमन्त्री बन जाता है। उधर गुरजन्त निर्भीक पत्रकार सुचित्रा की सहायता से कोर्ट में बेगुनाह साबित होता है और उसे बरी कर दिया जाता है। गुरजन्त नये सिरे से प्रयास करके बहुत अच्छे समाजसेवी लोगों के पार्टी बनता है और चुनाव जीत जाता है, लेकिन वह अपने दिये गये वचन के अनुसार डाकू होने के कारण चुनाव नही लड़ता।
सशक्त कथानक से परिपूर्ण नाटक 'कंटीले तार' में ललित सिंह पोखरिया, अमितेश वैभव चौधरी, अंकित राव, प्रवीण यादव, कुलदीप कनौजिया, स्वास्तिका शर्मा, रवि सिंह, वशिष्ठ जायसवाल, निशु सिंह, सूर्यांश प्रताप सिंह, दिवाकर गिरि, सिकन्दर निषाद, देवांश प्रसाद, उत्कर्ष त्रिपाठी, प्रिंस पान्डेय, शशांक गुप्ता, सनी वर्मा, पूजा उपाध्याय, प्रतिज्ञा, अमन सिंह, गौरव वर्मा और आशीष सिंह ने अपनी उत्कृष्ट संवाद अदायगी और दमदार अभिनय से रंगप्रेमी दर्शकों को देर तक अपने आकर्षण के जाल में बांधा। नाट्य नेपथ्य में जामिया शकील, शिव रतन ( मंच निमार्ण ), निशु, अंजलि ( वेशभूषा ), मनीष सैनी ( प्रकाश), शहिर अहमद ( मुख सज्जा) का योगदान नाट्य अनुरूप सरहनीय रहा।

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