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एम्बेड : राज्य स्तरीय तीन दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न

लखनऊ। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अर्न्तगत फैमिली हेल्थ इण्डिया द्वारा संचालित एम्बेड परियोजना द्वारा अच्छादित जनपद सोनभद्र, मिर्जापुर, आगरा एवं मेरठ के बीसीसीएफ विहेवियर चेंज कम्युनिकेशन फैसिलिटेटर एवं प्रोग्राम एसोसिएट का राज्य स्तरीय तीन दिवसीय प्रशिक्षण सहभागी शिक्षण केन्द्र में आयोजित किया गया। प्रदेश के संचारी रोग निदेशक डा. एके सिंह, संयुक्त निदेशक मलेरिया एवं संचारी रोग डा. विकास सिंघल, स्टेट एण्टोमोलाजिस्ट डा. सुदेश कुमार, मो. समीउल्लाह खान, सीएचआरआई पाथ डा. अमृत शुक्ला, डा. शिवानी, भानू शुक्ला, चेयर पर्सन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर मेडिटेक प्रशिक्षण एवं अनुंसधान संस्थान डा. अरूण कुमार भरारी ने जनपद सोनभद्र, मिर्जापुर, आगरा एवं मेरठ के बीसीसीएफ व्यवहार परिवर्तन संचार सुगमकर्ता को वेक्टर वॉर्न डिजीज मलेरिया एवं डेंगू रोकथाम एवं बचाव विषयक प्रशिक्षण प्रदान किया। 

कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए फैमिली हेल्थ इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर सोम शर्मा ने एम्बेड प्रोजेक्ट की विस्तृत अवधारणा पर चर्चा करते हुए बताया कि यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के मलेरिया डेंगू की दृष्टि से संवेदनशील चार जनपदों बरेली, बदांयू, कानपुर एवं लखनऊ जिले में संचालित है। बरेली एवं बदांयू के सकारात्मक परिणाम आने के उपरान्त इस कार्यक्रम को कानपुर एवं लखनऊ में विस्तारित किया गया है। 
संचारी रोग निदेशक मलेरिया डॉ. एके सिंह द्वारा बरेली एवं बदांयू के एम्बेड कायकर्ताओं के सकारात्मक कार्यो की सराहना करते हुए उत्तर प्रदेश में मलेरिया की स्थिति के बारे में विभिन्न सांख्यिकी आंकड़े प्रस्तुत किए। उन्होंने प्रदेश में की गई मलेरिया की जांचे, विभिन्न जनपदों में पाए जाने वाले मलेरिया के मामले एवं अत्यधिक मलेरिया प्रभावित जनपदों के बारे में बताया कि कैसे हम इन अत्यधिक मलेरिया प्रभावित जनपदों में मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से निपटने के लिए प्रभावी रणनीति अपनाये जाने पर बल दिया, साथ ही साथ मलेरिया के मरीजों को मलेरिया की भयावता के आधार पर दी जाने वाली दवाइयों, उनकी खुराक एवं मरीज को दवा देते समय अपनाये जाने वाले देते समय किन किन बातों की सावधानियां रखनी चाहिए उनके बारे में बताया गया। उन्होंने जनपद आगरा में मनटोला, बिजलीघर, पिनहट-चॉदनीबाजार, हलिया, म्योरपुर को मलेरिया एवं डेंगू की दृष्टि से संवेदनीशील बताते हुए की जाने वाली सामुदायिक गतिविधियों पर बल दिया। 
संयुक्त निदेशक मलेरिया एवं वेक्टर वॉर्न डिजीज डॉ. विकास सिंघल ने डेंगू नियंत्रण हेतु डेंगू मरीजों के उपचारात्मक प्रबन्धन एवं डेंगू के लिए जिम्मेदार एडीज मच्छरों के सोर्स चिन्हीकरण एवं सोर्स निरस्तीकरण को अनिवार्य गतिविधि के रूप में पीपीटी के माध्यम से समझाया। उन्होंने डेंगू के मच्छरों के पनपने वाली जगहों, डेंगू के गंभीर लक्षणों जैसे उल्टियां बंद ना होना, पेट में दर्द, नाक एवं मसूड़ों से खून आना आदि लक्षणों को वार्निंग साइन बताया एवं ऐसे मरीज को तत्काल हास्पिटल में भर्ती कर उपचार कराया जाना आवश्यक बताया। साथ ही इन लक्षणों के प्रगट होने पर डेंगू की जांच एलाइजा एन.एस.1 टेस्ट एवं एलाइजा टेस्ट की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में डेंगू के लिए 54 जनपद स्तर पर एवं दो राज्य पर परीक्षण केंद्र है। साथ ही साथ जो व्यक्ति डेंगू से प्रभावित है उसे मच्छरदानी में सोने की अवश्य सलाह दें, जिससे कि वह किसी और में संक्रमण ना पहुंचा पाए। शरीर में पानी की पूर्ति करने के लिए मरीज को ओआरएस का घोल पीने की सलाह दें, किसी भी प्रकार से घर के आस-पास एवं घरों में 7 दिन से अधिक किसी भी बर्तन में पानी जमा ना होने दें, हर रविवार मच्छरों के लारवा को अब कूलर में भरे पानी एवं फ्रिज के पीछे की ट्रे और घरों का पानी साफ करें। 
संयुक्त निदेशक संचारी रोग डॉ. मोहित सिंह ने सोनभद्र एवं मिर्जापुर मे होने वाली जल जनित बीमारियों पर भी चर्चा करते हुए कहा कि उपयोग में लाये जाने वाले जल को कपड़े से छान कर अथवा पीने के लिए इस्तेमाल करने वाले जल को उबाल कर ही प्रयोग में लायें, अथवा उसमें क्लारीन की गोली का उपयोग कर विसंक्रमित कर ही उपयोग में लाये, साथ ही बासी भोजन के उपयोग से बचें। उन्होंने एम्बेड परियोजना के कार्यों की सराहना करते हुए बताया कि विश्व में सर्वाधिक मौतें किसी कीड़े के काटने से होती है तो वह मच्छर है। मलेरिया एवं डेंगू बीमारी के जोखिम को कम करना हमारे अपने स्वयं के हाथों में है, हम मलेरिया, डेंगू अनुरूप व्यवहार को अपनाकर इन बीमारियों से स्वयं को एवं अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते है। विभिन्न संवेदनशील बस्तियों में मलेरिया डेंगू अनुरूप व्यवहार को अपनाये जाने हेतु बीसीसीएफ सकारात्मक कार्य कर रहीं है।
‘‘हर रविवार मच्छर पर वार, और लारवा पर प्रहार‘‘ का नारा देते हुए राज्य कीट वैज्ञानी डा. सुदेश कुमार ने बताया कि मच्छर को पानी में खत्म करना सबसे आसान तरीका है। उन्होंने हर 7 दिन में घर एवं आस-पास जमा हुए निष्प्रयोज्य पडें बर्तनों में भरे हुए पानी को खाली कर और उन्हें पूरी तरीके से भीतर की दीवारों को अच्छें से साफ करने हेतु संदेश दिया, चूंकि डेंगू के एडीज एजेप्टाई नामक मच्छर के अपने अण्डों को पानी की सतह से उपर सख्त सतही स्थानों पर ही देते है, अतः ऐसे स्थानों को अच्छी तरह से साफ किये जाने के लिए संदेशित किया। 
लखनऊ मंडल के वरिष्ठ कीट वैज्ञानी डॉ. मानवेंद्र त्रिपाठी द्वारा प्रशिक्षण में मच्छरों की प्रजातियॉं, मच्छर के जीवन चक्र, मच्छरों से होने वाली बीमारियों के बारे में विस्तार से पी.पी.टी. के माध्यम एवं प्रातःकालीन क्षेत्र भमण में मच्छरों के चारों चरणों को सजीव प्रदर्शन के माध्यम से प्रशिक्षित किया। उन्होंने मच्छरों से बचाव हेतु सर्वाधिक सुरक्षित एवं उपयोगी मच्छरदानी को बताया, उन्होने कहा कि प्रत्येक बुखार के रोगियों को मच्छरदानी में सुलाए ताकि मलेरिया डेंगू का संक्रमण रोका जा सके। उन्होंने फील्ड प्रशिक्षण के दौरान ग्राम बिठौली में अपने आस-पास पाये जाने वाले मच्छरों के प्रकारों एवं उनके ब्रीडिंग साइट पता लगाने का अभ्यास कराया। विभिन्न प्रकार के मच्छरों एवं मच्छरों की विभिन्न अवस्थाओं ,लारवा एवं प्यूपा के नमूने को एकत्रित कर उनके विभिन्न व्यवहारों के विषय में विस्तार पूर्वक बताया गया, साथ ही मच्छर के लार्वा, पनपने वाली जगह को नष्ट किया गया एवं लोगों को मच्छर पनपने वाली जगहों के बारे में एवं उसे नष्ट करा देने की आवश्यकता बताई गई। लैब टेक्नीशियन आशुतोष कुमार एवं अमित शुक्ला ने मलेरिया की जांच के दो प्रकारों-ब्लड स्लाइड एवं आर.डी.टी किट प्रणाली से परीक्षण करना सिखाया। 
प्रशिक्षण के अन्त में एम्बेड समन्वयक धर्मेन्द्र त्रिपाठी ने आये हुए सभी प्रशिक्षकों एवं प्रशिक्षुओं को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर जिला समन्वयक दुर्गेश कुमार, सत्य प्रकाश सिंह, शशांक यादव, हर्ष यादव, राकेश कुमार, सोनी शर्मा, प्रबन्धक अरून कुमार देव, पल्लवी, आदि का सराहनीय सहयोग रहा।

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