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पुस्तकों के संसार में नई टेक्नोलॉजी संग हैरान कर रही हैं दुर्लभ किताबें

बलरामपुर गार्डन में 19वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला : छठा दिन

अबाधित चला सम्मान समारोह, पुस्तक चर्चा, विमोचन और काव्यांजलि का दौर
लखनऊ। राष्ट्रीय पुस्तक मेला पुरातनता और नवीनता का अद्भुत संगम लिए हुए है। बलरामपुर गार्डन अशोक मार्ग में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत हर घर पुस्तकालय थीम पर आधारित इस उन्नीसवें मेले में किताबों से सम्बंधित नयी टेक्नालॉजी दिखायी देती है तो पुरानी दुर्लभ किताबों का हैरान करने वाला समुद्र भी यहां है। पुस्तक मेले में छठे दिन उमस भरी गर्मी का पुस्तक प्रेमियों पर कोई असर नहीं दिखायी दिया। पुस्तक प्रेमियों के लिए गांधी जयंती तक प्रतिदिन प्रातः 11 से रात नौ बजे तक चलने वाला यह पुस्तक मेला कई मामलों में अनूठा है। इस बार लगभग तीन हजार की तादाद में यहां पुरानी प्रकाशित कई भाषाओं में दुर्लभ किताबें बिक्री के लिए पुस्तक प्रेमियों के सामने आई हैं। 
मेले में दिल्ली के एण्टीक्यूरियन बुक्स के स्टाल पर दुर्लभ किताबों के संग नक्शे, प्रिण्ट्स, पेण्टिंग्स वगैरह देखकर साहित्य और कला प्रेमी हैरान हो रहे हैं। मेहनत से संजोकर रखी गयी इन किताबों में कुछ पुरानी किताबें तो ऐसी हैं जिन्हें हाथ लगाते हुए पुस्तक प्रेमी सहम जाते हैं कि कहीं उनका हाल बिगड़ न जाए। इनमें से बहुत सी किताबें प्रिंट से बाहर हैं और अब बहुत ही सीमित संख्या में उपलब्ध हैं। स्टाल के संचालक बताते हैं कि यहां सबसे सस्ती किताब पांच हजार रुपये से शुरू होती हैं। इन किताबों को पुराने पुस्तकालयों और व्यक्तिगत संग्रहकर्ताओं से खरीदकर और दुरुस्त करके संग्रह में शामिल किया गया हैं। बहुत सी किताबों की कीमत केवल एक पुस्तक प्रेमी ही समझ सकता है। फारसी, संस्कृत, उर्दू, जर्मन और और अन्य विदेशी भाषाओं में भी किताबें हैं जो न केवल अपने पुरानी जिल्द की वजह से, बल्कि उनके पृष्ठों के भूरे रंग के कारण भी प्राचीन दिखती हैं। स्टाल पर एक सौ साल पुरानी एक दुर्लभ किताब 80 हजार रुपये में उपलब्ध है। इस दुर्लभ संग्रह में विलियम शेक्सपियर की 16वीं सदी का द टेम्पेस्ट भी शामिल है। 
आज सुबह साहित्यिक मंच पर भारतीय अनागत साहित्य संस्थान का सम्मान समारोह व पुस्तक लोकार्पण समारोह बेअदब लखनऊ के संयोजन व रेनू द्विवेदी के संचालन में साहित्यकारों की उपस्थिति में अनागत दोहा संग्रह का विमोचन हुआ। अपूर्वा सेवा समिति की ओर से संजय मल्होत्रा हमनवां के संयोजन में आयोजित समारोह में पद्मश्री विद्याविंदु सिंह को लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान से नवाजा गया। पवन कुमार का सम्मान रचनाकार शबाहत हुसैन ने ग्रहण किया। बिंदु जैन के संचालन में चले आयोजन में चंद्रप्रकाश अग्निहोत्री, आशिमा सिंह, मीना चौबे, मीरजाफर अब्दुल्लाह, लखनऊ स्टेशन डायरेक्टर आशीष सिंह ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के दूसरे हिस्से में नवीन शुक्ल के संचालन में चली काव्य गोष्ठी में देवकीनंदन शांत इत्यादि अनेक काव्यकर्मियों ने मंच से रचनाएं साझा कीं। इससे पूर्व प्रमिला देवी फाउण्डेशन की ओर से पायल लक्ष्मी सोनी की पथिकों के साक्षात्कार पर आधारित पुस्तक राष्ट्रमंथन का विमोचन अवसर पर डॉ. दयानंद पांडेय, डॉ. विनय दास, कुमार तरल, महेन्द्र भीष्म, आर्यवर्ती सरोज, आशीष कुलश्रेष्ठ ने विचार व्यक्त किए। 
29 सितम्बर के कार्यक्रम
सुबह 11 बजे हिन्दुस्तानी साहित्य सभा की गोष्ठी
दोपहर 1 बजे कादम्बिनी क्लब के कथासंग्रह का लोकार्पण 
दोपहर 3 बजे वसुंधरा फाउण्डेशन की ओर से गोष्ठी
शाम 6 बजे राजकमल प्रकाशन की ओर से मुशायरा
शाम 7 बजे भुशुण्डि साहित्य संस्थान का सम्मान समारोह
इसी क्रम में विनोद दास के उपन्यास पर चर्चा अनिल पाठक की पुस्तकों पर चर्चा हुई। विनोद दास के उपन्यास पर कथाकार अखिलेख, राकेश और आलोचक वीरेन्द्र यादव ने अपना दृष्टिकोण रखा। अंत में रेवांत पत्रिका की ओर से कवि सम्मेलन में विविध विषयों पर रचनाएं श्रोताओं के समक्ष आयीं। इसके साथ ही आज यहां शहीद स्मृति मंच’ और वसुन्धरा फांउडेशन के संयुक्त तत्वावधान में शहीद ए आजम भगतसिंह के जन्मदिवस पर कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम में मीनू श्रीवास्तव, वीरेंद्र त्रिपाठी, राकेश श्रीवास्तव, नरेश कुमार, राम किशोर, ब्रजेश शुक्ला, आकाश वर्मा, पूनम इत्यादि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। 

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