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सेक्टर-‘ए’ सीतापुर रोड योजना रामलीला : रिहर्सल शुरू, मंचन एक अक्टूबर से, बेटियां निभाएंगी ये किरदार

लखनऊ (शम्भू शरण वर्मा)। "हे राजन आप व्यर्थ की चिन्ता करते हैं, ये योगीराज कहाते हैं, तू इनसे कुछ संकोच न कर, ये बड़े विचारशील मुनि हैं, तू किसी बात की सोच न कर। ये तेरे युगल कुमारों को, रण-विद्या-धर्म सिखायेंगे, फर्जन्द- दुचन्द वहाँ होकर, आनन्द सहित घर आयेंगे...".। सेक्टर-‘ए’ सीतापुर रोड योजना में एक अक्टूबर से शुरू होने वाले पांच दिवसीय रामलीला के 30वें मंचन के लिये चल रहे रिहर्सल में इन दिनों कुछ ऐसे ही संवाद सुनाई पड़ रहे है। रामलीला में बखूबी मंचन के लिये जहां कलाकारों में काफी उत्साह है। वहीं कई बाल कलाकार ऐसे है जिनमें कुछ की छमाही परीक्षायें चल रही और कुछ की जल्द ही शुरू होने वाली है। ऐसे में वह पढ़ाई के साथ ही रिहर्सल के लिये भी वक्त निकाल रहे है।श्रीरामलीला समिति के अध्यक्ष सुरेश तिवारी ने बताया कि एक अक्टूबर को क्षेत्रीय विधायक डा. नीरज बोरा पांच दिवसीय रामलीला का शुभारंभ करेंगे।

छमाही परीक्षा की तैयारी संग रिहर्सल कर रहे है बाल कलाकार
रामलीला में किरदार निभाने वाले कई बाल कलाकार ऐसे है जिनमें कुछ की छमाही परीक्षायें चल रही और कुछ की जल्द ही शुरू होने वाली है। ऐसे में वह पढ़ाई के साथ ही रिहर्सल के लिये भी वक्त निकाल रहे है। इस वर्ष पहली बार रामलीला मंचन में शामिल हुए शौर्य सिंह माता सीता का किरदार निभाएंगे। वहीं अभी तक समुद्र का किरदार निभा रहे हर्ष वर्मा इस वर्ष भरत, दो वर्ष पूर्व तक राम का किरदार निभा चुके करण सिंह इस बार विभीषण, 7 वर्ष पूर्व तक लक्ष्मण का किरदार निभा चुके युवराज इस बार मेघनाद के किरदार में नजर आएंगे। सूर्य प्रताप सिंह, सत्यम वर्मा श्रीराम वन गमन तक क्रमशः राम व लक्ष्मण और उसके पश्चात लक्ष्य मिश्रा, राज सिंह क्रमशः राम व लक्ष्मण का किरदार निभाएंगे। जबकि बीते वर्षों की भांति इस वर्ष भी जितेंद्र मिश्रा (हनुमान), शांति स्वरूप शुक्ला (अंगद), उमाशंकर राठौर (केवट), वरुण श्याम पाण्डेय (परशुराम) के भूमिका निभाएंगे। इसके साथ ही कई नए बाल कलाकारों को भी मौका मिलेगा। बच्चों में इस कदर उत्साह है कि वह न सिर्फ प्रतिदिन रिहर्सल में आ रहे है बल्कि अपनी प्रतिभा भी दिखा रहे है। 
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम न केवल आस्था बल्कि भारतीय संस्कृति, सभ्यता व समर्पण के प्रेरणा श्रोत भी हैं। उनके चरित्र को जीवन में उतारने व वर्तमान समय में उनके चरित्र को दिखाने की उत्सुकता कलाकारों में साफ नजर आ रही है। श्रीरामलीला पार्क में स्थित विश्वनाथ मंदिर परिसर में चल रहे रिहर्सल में ''सच्चे योद्धा सच्चे क्षत्रिय अपमान नहीं सह सकते है, इनको सुनने का ताव नहीं, चुप कैसे रह सकते है...'' व ‘‘शिव धनुष तोड़ने वाला भी, कोई शिव प्यारा ही होगा। जिसने ऐसा अपराध किया, वह दास तुम्हारा ही होगा...’’ जैसे संवाद गुंजायमान हो रहे है। रिहर्सल के दौरान पुराने कलाकारों के साथ ही नए कलाकारों के चेहरे पर अपने किरदारों का बखूबी मंचन करने की झलक साफ दिखाई दे रही है।

वरिष्ठ कलाकार भी करते हैं मार्गदर्शन
श्रीरामलीला पार्क में स्थित विश्वनाथ मंदिर परिसर में रात्रि के आठ बजते ही सभी कलाकार एकत्र होकर श्रीगणेश स्तुति के पश्चात रामलीला की रिहर्सल में जुट जाते हैं। निर्देशक उमाशंकर राठौर व जितेंद्र मिश्र प्रतिदिन कलाकारों को मंचन के तौर तरीके और उनके द्वारा किये जाने वाले दृश्यों की बारीकियों को बखूबी समझा रहे हैं। तबला व हारमोनियम पर गीत किस प्रकार से गाना है, एक्टिंग किस प्रकार से करनी है, इसके बारे में कलाकारों को बताया जा रहा है। रामलीला में बहुत से कलाकार ऐसे हैं जिन्हें अपने संवाद पहले से ही याद हैं। फिर भी कलाकार चाहे वरिष्ठ हो या कनिष्ठ अपने तरीके से सभी रिहर्सल कर रहे हैं, जिससे वह बखूबी मंचन कर सके। इस दौरान अगर कनिष्ठ कलाकार से कोई गलती होती है तो वरिष्ठ कलाकार उनका मार्गदर्शन भी करते हैं।

सीता की सखियों का किरदार निभाएंगी बेटियां, देंगी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

रामलीला में जहां कई बाल कलाकारों को राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न व सीता जैसे महत्वपूर्ण किरदार के रूप में अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा वहीं बेटियां भी मंच पर माता सीता की सखियों का किरदार निभाने के साथ ही प्रतिदिन लोकनृत्य व गायन की प्रस्तुति देंगी। जिसके लिए संजना, परी तिवारी, अंशिका, मनु, गुनगुन सिंह, अनन्या, पूजा व शगुन प्रतिदिन रिहर्सल कर रहीं हैं।
बच्चों को मिलती है शिक्षा
 इस रामलीला की खासियत यह है कि यहां बाहरी कलाकार नहीं बल्कि स्थानीय कलाकार किरदार निभाते है। जिससे बच्चे खुद मंचन करें और अपने पौराणिक पात्रों व उनके इतिहास के बारे में जानें। इससे बच्चों को शिक्षा भी मिलती है।
श्री रामलीला कार्यक्रम
01 अक्टूबर- भगवान श्री गणेशजी की वन्दना, श्रीराम जन्म, ताड़का वध, धनुष यज्ञ, परशुराम लक्ष्मण संवाद।
02 अक्टूबर- श्रीराम-लक्ष्मण, सीता जी की आरती, कैकेयी-मंथरा संवाद, कैकेयी-दशरथ संवाद, राम वन गमन, दशरथ मरण, भरत मिलाप।
03 अक्टूबर- भगवान शंकर जी की आरती, पंचवटी दृश्य, खरदूषण वध, सीताहरण, जटायु मरण, श्रीराम हनुमान भेंट, सुग्रीव मित्रता, बालि वध।
04 अक्टूबर- माॅ दुर्गा जी की आरती, सीता की खोज, लंका दहन, विभीषण शरणागति, अंगद का लंका प्रस्थान, राजकुमार वध, अंगद-रावण संवाद, लक्ष्मण शक्ति।
05 अक्टूबर- हनुमान जी की आरती, कुम्भकरण, मेघनाद, अहिरावण व रावण वध, श्रीराम राज्याभिषेक एवं आरती और पारितोषिक वितरण।

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