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दिहाड़ी मजदूर और उनके परिवार की कहानी हैं "मट्टो की साइकिल"

लखनऊ। अचानक आई महामारी से हाहाकार मच गया। परिवार का पालन पोषण करने और दो वक्त की रोटी के लिये घरों से दूर रह रहे हजारों लोग पलायन करने लगे। सैकड़ो किमी पैदल चलकर वो अपने गांव पहुंचे, बेबसी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी। बेबसी, लाचारी और गरीबी, इन तीनों की मार जब किसी इंसान पर एक साथ पड़ती है तो वह टूटकर बिखर जाता है। 'मट्टो की साइकिल' की कहानी भी इन सभी हालातों को दिखाती है।

बॉलीवुड को राजनीतिक, सामाजिक मुद्दों से जुड़ी सुपरहिट फिल्में देने वाले, अपनी उम्दा और वास्तविक कहानियों से लोगों को बड़े पर्दे पर समाज का आईना दिखाने वाले, बेहतरीन निर्माता और निर्देशक प्रकाश झा "मट्टो की साइकिल" में एक्टिंग के फुल स्विंग में नजर आने वाले हैं। जिसमें प्रकाश झा एक ऐसे मजदूर (मट्टो) का किरदार कर रहे हैं जिसके लिए साइकल ही उसकी दुनिया हैं। फ़िल्म के प्रमोशन के लिए सोमवार को नवाबों के शहर पहुंचे प्रकाश झा ने कहा कि फ़िल्म दिहाड़ी मजदूरों के बीच से निकली कहानी है। जब उनके पास फ़िल्म की कहानी आई तब उन्होंने देरी न करते हुए तुरंत हामी भर दी।

फिल्म के बारे में प्रकाश झा कहते है, फिल्म की कहानी मेरे दिल को छू गयी, ये ऐसे लाचार रोजगारों की कहानी हैं जो बड़े बड़े हाईवे, रोड और ब्रिज तो बनाते हैं लेकिन खुद की जिंदगी ऐसी पथरीली रास्तो के बीच फंस के रह जाती हैं जिसकी कोई मंजिल नही, जहाँ कोई रोशनी नही, सिर्फ दर्द की अंधेर रात बच जाती हैं। ये फ़िल्म मुझे मेरे 1980 की यादों में लेकर चली गयी जब मैंने अपने कैरियर की शुरुवात डॉक्यूमेंट्री फिल्म्स और 'दामुल' से की थी जो कि मजदूरों के हालात पर बनाई गई थी। 
उन्होंने बताया कि "जब फिल्म के डायरेक्टर गनी मेरे पास ये स्क्रिप्ट लेकर आये और उन्होंने मुझे मट्टो का अहम किरदार निभाने के लिए कहा और जब मैंने फिल्म की कहानी सुनी, तो न सिर्फ एक्टिंग के लिए हां कहा बल्कि प्रोडक्शन की सहायता के लिए भी हाथ बढ़ाया।"
डायरेक्टर एम गनी कहते हैं कि," ये एक रोज़मर्रा के मेहनताने पर गुजर बसर करने वाले मजदूरों और उनके परिवार की कहानी हैं जहाँ उनकी सायकल उन्हें सबसे ज्यादा प्यारी हैं। ये फ़िल्म भले समकालीन विषय पर हैं,पर इसकी परिस्थिति, घटनाएं और लोग मेरे जीवन से लिये गए हैं। फ़िल्म की शूटिंग मथुरा में की गयी हैं।"
उन्होंने कहा कि 'मट्टो की सायकल' एक उम्मीद की कहानी है। मट्टो एक दिहाड़ी मजदूर है जो अपने चार सदस्यों के परिवार के लिए पैसे कमाने के लिए साइकिल से शहर जाता है। फिल्म में बताया जाता है कि कैसे वह और उसका परिवार जीवन के साधारण सुखों पर बातचीत करते हैं। क्या उनका जीवन बदल जाएगा, क्या आखिरकार,मट्टो  एक नई साइकिल खरीदने के अपने सपने को साकार कर पायेगा। 
मट्टो की साइकिल में प्रकाश झा के अलावा मथुरा के प्रतिभाशाली थिएटर आर्टिस्ट अनिता चौधरी, डिम्पी मिश्रा, आरोही शर्मा और इधिका रॉय भी है। जिसका प्रीमियर 2020 में 25वें बुसान अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में हुआ था। नवोदित फिल्म निर्माता एम. गनी द्वारा अभिनीत, यह एक स्लाइस-ऑफ-लाइफ फिल्म है।इस फिल्म का 17वें वार्षिक दक्षिण एशियाई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (SAIFF) में अमेरिकी प्रीमियर भी था। फिल्म काफी महोत्सव का हिस्सा भी बन चुकी हैं और सिनेमाघरों में 16 सितंबर को रिलीज के लिए तैयार हैं।डायरेक्टर एम गनी ने बताया कि पहले दिन 16 सितंबर को दर्शकों को टिकट में 50℅ की छूट मिलेगी।

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