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मां-बेटी की तरह होना चाहिये सास-बहु का रिश्ता - गोविंद मिश्रा

"गारी गावें जनकपुर की नारियां, दूल्हा बने रामजी लला...’’

लखनऊ। ‘‘गारी गावें जनकपुर की नारियां, दूल्हा बने रामजी लला...’’, ‘‘देवे पहुनवा का गारी सुरति हमें प्यारी लगे...’’ जब कलेवा का समय आया तो जनकजी के यहां सुन्दर षटरस भोजन खिलाया गया और महिलाओं ने प्रभु श्रीराम को प्रेमपूर्ण गारी सुनाई। सेक्टर-’ए’ सीतापुर रोड़ योजना कालोनी में स्थित विश्वनाथ मन्दिर के 31वें स्थापना दिवस पर श्रीरामलीला पार्क में चल रहे मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीरामकथा के छठे दिन सोमवार को कथाव्यास आचार्य गोविंद मिश्रा ने बताया कि विदाई की सूचना मिलने पर कन्याओं को गोद में उठाकर मातायें उन्हें शिक्षा देती हैं कि ससुराल में सास-ससुर, गुरू और परिवार की भलीभांति सेवा करना व पति की इच्छानुसार कार्य करना।
माता सीता की जनकपुर से विदाई का प्रसंग सुनाते हुये उन्होंने कहाकि जिस समय माता सीता की विदाई हो रही थी तो समस्त संसार के जीव व्याकुल हो उठे, यहां तक पशु-पक्षी भी व्याकुल हो रहे थे।
उन्होंने बताया कि जनकराज से जब माता सीता मिलती है तो परम् विरागी होने के बाद भी जनकजी के आंखों से अश्रुधारा नहीं रूकती है। जिसके पश्चात् गणेश जी का ध्यान कर व दही का सगुन देख जब बारात विदा होकर अयोध्या की ओर चली तो देवताओं ने पुष्प वर्षा की। जनकपुर से विदा होकर अयोध्या पहुंची बारात के नगर प्रवेश का वर्णन सुनाते हुये कथा व्यास आचार्य गोविंद मिश्रा ने कहाकि जिस समय भगवान श्रीराम अयोध्या में प्रवेश करते हैं तो बारम्बार सीताराम की छवि को देखकर लोग अपने जीवन को धन्य मानते हुये जगत में आनन्दित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि अयोध्या पहुंचने पर दशरथजी रानियों को उपदेश देते है कि बहु दूसरे घर की बेटी है इसलिये ससुराल में किसी प्रकार का कष्ट न हो। आचार्य गोविंद मिश्रा ने कहाकि यदि वर्तमान में भी सास-बहु का रिश्ता मां-बेटी की तरह हो जाये तो समाज की सारी समस्या दूर हो जायेगी। उन्होंने कहा कि श्रीराम-जानकी विवाह पवित्रता, विश्वास की पराकाष्ठा और तन-मन के पवित्र मिलन का संकेतक है। श्रीराम जानकी विवाह महोत्सव में साधक गण भगवान राम और सीता के विग्रह को सज्जित करते हैं। उन्हें सुंदर वस्त्रों और पुष्पमाला से सुसज्जित करके परस्पर वैवाहिक प्रतीक के रूप में उन्हें दूसरे को समर्पित कर देते हैं। श्रीराम जानकी विवाह के प्रसंग को सुनने से परिवार और गृहस्थ जीवन में सुख-शांति मिलती है। पारिवारिक एकता, पति-पत्नी का आपसी विश्वास, स्नेह और माधुर्य हमेशा बना रहता है। इस मौके पर वरिष्ठ समाजसेविका बिंदू बोरा, पार्षद रुपाली गुप्ता, प्रेमशंकर शाही, नागेंद्र सिंह चौहान, अतुल मिश्रा, रामानुज तिवारी, ललित शुक्ला, विजय सिंह सहित काफी संख्या में भक्त मौजूद रहे।

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