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क्षय रोग के उन्मूलन में अहम भूमिका निभाएगी प्रीवेंटिव थेरेपी : डा. राजेंद्र प्रसाद

स्वास्थ्य विभाग ने जीत के सहयोग से आयोजित की कार्यशाला 

लखनऊ। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सीएमओ डा. मनोज अग्रवाल के निर्देशन में सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च एंड इनोवेशन (सीएचआरआई) के ज्वाइंट एफर्ट फॉर एलिमिनेशन ऑफ ट्यूबरकुलोसिस (जीत) 2.0 प्रोजेक्ट के सहयोग से “टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी” विषय पर बुधवार को स्थानीय होटल में सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम (सीएमई) आयोजित हुई।
इस मौके पर केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा. राजेंद्र प्रसाद ने कहाकि टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट गाइडलाइन पूरे जनपद में चरणबद्ध तरीके से आप सभी के सहयोग से लागू की जानी है जिसके लिए भारत सरकार द्वारा सी एच आर आई संस्था के माध्यम से जीत 2.0 कार्यक्रम लांच किया गया है। क्षय रोग मुक्त भारत अभियान का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए टीपीटी को पूरी गंभीरता से लागू करना है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य स्तरीय कन्सल्टेंट डा. अश्विनी ने बताया कि क्षय रोग संक्रमण को रोकने के लिए एनटीईपी के तहत आइसोनियाजिड प्रीवेंटिव थेरेपी(आईपीटी) कार्यक्रम चलाया जा रहा है। अभी तक  पाँच वर्ष तक की आयु के बच्चों का उपचार इसके तहत किया जाता था लेकिन अब यह थेरेपी क्षय रोग से संक्रमित व्यक्ति के परिवार के लोगों को भी दी जाती है। संक्रमित परिवार के सदस्यों की क्षय रोग की जांच की जाती है और यदि वह संक्रमित नहीं होता है तो उसे आईपीटी दी जाती है। इसके तहत आईएनएच (आइसोनिकोटिनिक एसिड हाईड्राजाइड) की टेबलेट दी जाती है। परिवार के सदस्यों की केस हिस्ट्री और कांटैक्ट ट्रेसिंग के आधार पर जांच और इलाज किया जाता है।
इसके तहत क्षय रोग से संक्रमित मरीज के परिवार के सदस्यों को चाहे वह बच्चा हो या वयस्क आयु के हिसाब से छह माह तक क्षय रोग प्रतिरोधक दवाएं दी जाती हैं। 12 साल से कम आयु के बच्चों में बलगम नहीं बनता है। इसलिए बच्चे की केस हिस्ट्री और कांटैक्ट ट्रेसिंग के अनुसार उसका पेट से सैंपल (गेस्ट्रिक लवाज) जांच के आधार पर ही टीबी का पता लगाया जाता है। जीत-2 प्रोजेक्ट के डिस्ट्रिक्ट लीड राहुल मिश्रा ने क्षय रोग के बचाव और जीत प्रोजेक्ट के बारे में बताया। कार्यक्रम के अंत में जिला क्षय रोग अधिकारी डा. आरवी सिंह ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस मौके पर एसजीपीजीआई की चिकित्सक डा. प्रेरणा कपूर, प्रोफेसर जिया हाशमी, बलरामपुर अस्पताल से डा. आनंद गुप्ता, जिला अस्पतालों के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सा अधीक्षक, मेडिकल ऑफिसर इन टीबी सेंटर (एमओटीसी), एनटीईपी के जिला कार्यक्रम समन्वयक दिलशाद हुसैन, सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर अभय चंद्र मित्रा, पब्लिक प्राइवेट मिक्स मैनेजर समन्वयक सौमित्र मित्रा, विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंडलीय सलाहकार डा. नीतू, प्रसाद मेडिकल कॉलेज के डा. अंशुमालि श्रीवास्तव, डा. बीके श्रीवास्तव, जीत 2.0 प्रोजेक्ट के डिस्ट्रिक्ट सुपरवाइजर गौरव यादव और जीत 2.0 प्रोजेक्ट की पूरी टीम उपस्थित रही।

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