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वन की ओर चले प्रभु श्रीराम तो उनके साथ चल पड़ी पूरी अयोध्या

 श्रीराम वनगमन का प्रसंग सुन भावुक हुए भक्त

 लखनऊ। स्त्री पुरूष के धर्म पालन कराने का प्रमुख अंग है। जिस समय कैकेयी ने राजा दशरथ से दोनों वरदान मांगा तो राम वनगमन की बात सुनकर राजा दशरथ मूर्छित हो गये। सेक्टर-’ए’ सीतापुर रोड योजना कालोनी में स्थित विश्वनाथ मन्दिर के 31वें स्थापना दिवस के मौके पर श्रीरामलीला पार्क में चल रहे मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीरामकथा के सातवें दिन मंगलवार को कथाव्यास आचार्य गोविंद मिश्रा ने बताया कि जब श्रीराम दशरथ जी के पास पहुंचते है तो कैकेयी ही सारा प्रसंग श्रीराम को बता देती है। माता कैकेयी का रूख देखकर अपने को धन्य मानते हुये प्रभु श्रीराम पिता के वचन को निभाने के लिए वन जाने को सहर्ष तैयार हो गए। 

श्रीराम वनगमन का प्रसंग सुनाते हुये कथाव्यास आचार्य गोविंद मिश्रा ने कहाकि सीता और लक्ष्मण के साथ प्रभु श्रीराम वन की ओर चले तो पूरी अयोध्या उनके साथ चल पड़ी। भगवान श्रीराम समस्त अयोध्यावासियों व मंत्रियों को प्रणाम करके बहुत ही मृदुभाषा में विनती करते है कि हमारा सबसे बड़ा हितैषी वही है जो मेरे पिता व मेरी मां को शिक्षा दे जिससे मेरे विरह में माता-पिता दुखी न हो। इस प्रकार सभी से विनय करके व गुरू को प्रणाम करके श्रीराम वन को प्रस्थान करते है। उन्होने बताया कि सुमंत्र से श्रीराम के वन जाने की सूचना मिलने पर महाराज दशरथ सांसारिक जीवन से मोह हटाने के लिये छः बार भगवान राम का नाम लेकर छः सांसारिक वस्तुओं से मोह त्याग देते है। 

श्रीराम के प्रति भरत के प्रेम का प्रसंग बताते हुये गोविंद मिश्रा ने कहाकि भगवान राम को मनाने के लिये भरत वन जाते है तो श्रीराम अपनी चरण पादुका देकर लौटा देते है। अयोध्या पहुंचकर भरत श्रीराम की चरण पादुका रख देते है और स्वंय नंदी नामक ग्राम में गड्ढा खोदकर उसमें निवास करते है। इस मौके पर नगर निगम कार्यकारिणी उपाध्यक्ष प्रदीप शुक्ला, ज्ञान तिवारी, बृजेन्द्र बहादुर मौर्य, प्रिया मिश्रा, डा. अमित सक्सेना, एचएन जायसवाल, अनिल सिंह, मार्तण्ड प्रताप सिंह, मिथिलेश सिंह, सुमित्रा मिश्रा, उषा सिंह, आशा तिवारी सहित काफी संख्या में भक्त मौजूद रहे।

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