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यूपी महोत्सव : उमड़ी भीड़, बिखरी राजस्थानी नृत्य की छटा

जमकर की खरीदारी, उठाया लजीज व्यंजनों का लुत्फ

लखनऊ। प्रगति पर्यावरण संरक्षण ट्रस्ट के तत्वावधान में सेक्टर-"ओ" अलीगंज में स्थित पोस्टल ग्राउण्ड में चल रहा 15वां यूपी महोत्सव अपने परवान पर चढ़कर, अब विदाई बेला की ओर अग्रसर हो चुका है। 9 जनवरी को इसका अंतिम दिन होगा। अनवरत चल रहे यूपी महोत्सव की सोलहवीं सांस्कृतिक सन्ध्या में बॉलीवुड गीतों संग राजस्थानी नृत्य की मनोरम छटा बिखरी। वहीं महोत्सव में लोगों की भीड़ उमड़ी और जमकर खरीदारी भी की। विदाई बेला की ओर बढ़ चले यूपी महोत्सव की सोलहवीं सांस्कृतिक सन्ध्या का उद्घाटन प्रगति पर्यावरण संरक्षण ट्रस्ट के अध्यक्ष विनोद कुमार सिंह और उपाध्यक्ष एनबी सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर किया। उन्होंने बतौर मुख्य अतिथि मौजूद वरिष्ठ सपा नेता दीपक रंजन को यूपी गौरव सम्मान से सम्मानित किया।जिसके पश्चात सांस्कृतिक सन्ध्या का शुभारम्भ आशिता, वान्या और मानवी ने गुरू वन्दना - गुरुर ब्रह्मा गुरूर विष्णु पर भावपूर्ण नृत्य से किया।

दीक्षा वर्मा ने दुर्गा स्तुति पर नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को भगवती देवी दुर्गा के नवो रूपों के दर्शन करवाए। भक्ति भावना से परिपूर्ण अगली प्रस्तुतियों में खुशबू, छवि और आराध्या ने श्री राम चन्द्र कृपालु भजमन पर अपने आकर्षक नृत्य से राम भक्ति के सागर में दर्शकों को आकन्ठ डुबोया। मन को मोह लेने वाली इस पेशकश के बाद सिद्धि सिंह ने घर मोरे परदेशीया, सुहानी, प्रदीप्ता और आराध्या ने ओ रे पिया, अदिती सिंह व अनुष्का सिंह ने मनवा लागे गीत पर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कनक सिद्धार्थ ने घूमरो घूमरो श्याम रंग घूमरो पर आकर्षक राजस्थानी घूमर नृत्य की मनोरम छटा बिखेरी। अपर्णा कुमार, तुषार, अनूप और रुद्रांश ने संयुक्त रूप से गिटार वादन के साथ बॉलीवुड गीतों की रस सरिता प्रवाहित की।
वहीं आज दिन में कवित्रियों ने अपनी रचनाओं से नारी के विभिन्न रूप दिखाए। प्रगतिशील मानव कल्याण एवं शिक्षण संस्थान व साहित्य 24 के संयुक्त तत्वावधान में काव्य रंग 2023 'नारी के रूप अनेक' विषयक कवि सम्मेलन राधा बिष्ट के संयोजन एवं ओम सिंह की अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि हिंदी संस्थान की प्रधान संपादक डॉ अमिता दुबे  रही। कवि सम्मेलन में राधा बिष्ट ने मां के लिए कहा- 'माता सदा सुनाती ममता बच्चों के लिए ... सुनाकर पूरे पांडाल को भाव विभोर कर दिया। ओम सिंह ने 'अभी तो इतिहास रचना बाकी है.. के माध्यम से नारी के आत्मविश्वास को प्रदर्शित किया। डॉ. सुषमा श्रीवास्तव ने नारी की महिला का गुणगान 'नारी केवल नारी ही, जो सकल विश्व में छाई है। सृजन की शक्ति लिए अंतस् में, ब्रह्म लोक से आई है...' सुनाकर किया। शक्ति वाजपेई 'सरल' ने अबला सबला नामों का तिरस्कार काली हूं.., अल्का प्रमोद ने गांधारी सच बताना, क्यो लिया तुमने निर्णय आखों में पट्टी बांधने का..., मधुपाठक उर्फ मांझी ने 'आसमान तक पहुंचकर भी जो जमीन से जुड़ी रहती है..' नारी के स्वरूप को दिखाया। डॉ. रश्मि सिन्हा ने बेटियां जब बड़ी हो जाती है, सिर्फ बेटी नहीं दोस्त हो जाती है.. सुनाकर तालियां बटोरी।
इसके तत्पश्चात नेह अग्रवाल 'नेह' ने तुम छपाक से फेर आए तेजाब... व पलक ने वह सदन शून्य हो जाता है जिस घर मे बेटी आती है.. से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद डॉ. रश्मि श्रीवास्तव, आकांक्षा, रितुजा बघेल, डॉ. दीपा सनवाल आदि ने भी काव्यपाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही ओम सिंह ने सभी कवियत्रियों का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम संयोजिका राधा बिष्ट ने सभी को पौधा प्रदान कर सम्मानित किया। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में कवियत्री करुणा पाण्डेय, समाजसेविका शिखा सिंह, विवेक पाण्डेय, मोहन सिंह विष्ट, मनोज सिंह चौहान, पंकज द्विवेदी, मोहम्मद कामरान खान समेत बड़ी संख्या में काव्य प्रेमी मौजूद रहे।

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