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21 जिलों का भ्रमण कर लौटी विवेकानंद संदेश यात्रा का हुआ भव्य समापन

लखनऊ। आज़ादी के 75वें अमृत महोत्सव के अंर्तगत संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से और विवेकानंद केन्द्र कन्याकुमारी के 50 वर्ष पूर्ण होने पर स्वामी विवेकानंद के संदेशों को जन जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से विवेकानंद संदेश यात्रा लखनऊ से शुरू होकर 21 जिलों, 7 मंडलों से गुजरती हुई नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जयंती पर सोमवार को लखनऊ पहुंची। जहां लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में यात्रा के कर्मवीर यात्रियों का भव्य स्वागत समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रो. शीला मिश्रा ने किया। 

मेजर जनरल एके चतुर्वेदी की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम में हनुमंत राव (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी) विशिष्ट अतिथि, प्रान्त संचालक दयानंद लाल (यात्रा प्रमुख), भानु प्रताप सिंह (यात्रा संयोजक) भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। भानु प्रताप सिंह ने यात्रा प्रारम्भ से पूर्ण होने तक के प्रगति पर प्रकाश डालते हुए यात्रा में शामिल सभी यात्रियों का स्वागत किया एवं बधाई दी। उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने अपने अध्यात्मिक शक्तियों के बल पर विपरीत परिस्थितियों में भी भारत को पूरे विश्व में एक पहचान दी। भारत की गौरवशाली संस्कृति की रक्षा मे प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का भी बड़ा योगदान है।

हनुमंत राव ने कहा कि जीवन दो प्रकार का होता है, सफल जीवन और सार्थक जीवन। सार्थकता जीवन का परम लक्ष्य होना चाहिए। स्वामी विवेकानंद के सन्देश मे चार खंभे हैं ये चार दिव्य गुण हैं निरहंकार, निर्ममता, त्याग, सेवा, जो भी इन चार बिंदु को अपनाएगा उसका जीवन सार्थक बन जायेगा। मेजर जनरल अजय कुमार चतुर्वेदी ने कहाकि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि देश को जागने की जरूरत है, इस समाज में कोई भी काम कमतर नहीं है। गर्व से कहो कि हम भारतीय हैं, स्वामी जी के इस सन्देश को कई महापुरुषों ने अपनाया यह सन्देश आज भी प्रासंगिक है। विवेकानन्द संदेश यात्रा को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। 

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