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निदेशक पदों पर विभागीय अभियन्ताओं को नियुक्त किये जाने की मांग

लखनऊ। विद्युत अभियन्ता संघ ने ऊर्जा निगमों में निदेशकों के रिक्त पदों पर होने वाले सभी चयनों में विभागीय अभियन्ताओं की ही नियुक्ति किये जाने की मांग की है। जिससे ऊर्जा निगमों पर कोई अतिरिक्त व्यय भार न पड़े। गैर-विभागीय अम्यर्थियों की नियुक्ति से ऊर्जा निगमों पर अतिरिक्त व्यय भार पड़ता है। विद्युत अभियन्ता संघ ने इस सम्बन्ध में एक पत्र मुख्य सचिव को प्रेषित किया है।

विद्युत अभियन्ता संघ के अध्यक्ष इं. राजीव कुमार सिंह एवं महासचिव इं. जितेन्द्र सिंह गुर्जर ने बयान जारी कर बताया कि ऊर्जा निगमों में निदेशक के रिक्त पदों पर गैर-विभागीय अभ्यर्थियों की नियुक्ति न कर विभागीय आंतरिक अभ्यर्थियों की नियुक्ति किये जाने हेतु समय-समय पर मांग की जाती रही है। संज्ञान में आया है कि हाल ही में ऊर्जा निगमों में निदेशक के रिक्त पदों पर नियुक्तियां होनी है। विभागीय अभियन्ताओं को विभागीय कार्यप्रणाली एवं भौगोलिक संरचना का पूर्ण ज्ञान होने से उनका निदेशक पदों पर नियुक्ति उपभोक्ता सेवा को और बेहतर करने में कारगर सिद्ध होगी। साथ ही वर्तमान में सभी सरकारी विभाग वित्तीय दबाव में चल रहे हैं, इसलिए गैर-जरूरी खर्चे न करते हुए मितव्ययता बरतने हेतु इस दिशा में भी उपाय किये जाने चाहिए।

उन्होंने बताया कि विगत में ऊर्जा निगमों में आन्तरिक विभागीय अभियन्ताओं को वरीयता न देकर अन्य राज्यों/केन्द्र सरकार के उपक्रमों यथा उड़ीसा, महाराष्ट्र, पावर ग्रिड, एनटीपीसी आदि के अभियन्ताओं को निदेशक पदों पर चयनित किया गया। परन्तु विभाग एवं उ0प्र0 सरकार की कार्य प्रणाली से अनभिज्ञ होने के कारण इन गैर-विभागीय निदेशकों द्वारा कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया जा सका।
मुख्य सचिव को प्रेषित पत्र में कहा गया है कि गैर-विभागीय निदेशकों की कार्य प्रणाली से कई माहों तक भ्रम, अनिर्णय एवं प्रशासनिक अव्यवस्था की स्थिति बनी रहती है। इन निदेशकों द्वारा विभागीय अभियन्ताओं पर अविश्वास करते हुए उन्हें समय-समय पर अपमानित भी किया जाता है, जिससे कार्यरत अधीनस्थ विभागीय अभियन्ताओं के मनोबल पर विपरीत असर पड़ता है। इसके अतिरिक्त गैर विभागीय/बाहर से नियुक्त किये गये निदेशकों हेतु उनके कायार्लय, वेतन, भत्तों, आवास/एचआरए, चिकित्सा, वाहन आदि पर अतिरिक्त व्यय होता है जिसका बोझ अन्ततः विभाग पर ही पड़ता है। जबकि विभागीय अभियन्ताओं की निदेशक पद पर नियुक्ति करने से विभाग पर कोई अतिरिक्त व्यय भार नहीं आता है। 
उन्होंने ऊर्जा मंत्री से अपील की कि मुख्यमंत्री के निर्देशन एवं उप्र सरकार के संकल्प को धरातल पर अक्षरशः साकार करने तथा ‘आत्मनिर्भर ऊर्जा निगम’ बनाने के क्रम में विभागीय अभियन्ताओं पर विश्वास करते हुए ऊर्जा निगमों में निदेशक पदों पर विभागीय अभियन्ताओं की नियुक्ति की जाये। जिससे ऊर्जा निगमों पर वित्तीय दबाव कम पड़े एवं कायर्प्रणाली भी प्रभावित न हो।

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