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प्रोजेक्ट मिलान : करीब दो माह बाद परिजनों से मिले श्रीराम तो छलक पड़े आंसू

पत्नी से नाराज़ होकर बुजुर्ग ऋषिकेश निकले, गलती से उतरे लखनऊ

बलिया के श्रीराम भारद्वाज, डेढ़ महीने से थे लावारिश वार्ड में, ज्योति राजपूत ने परिवार से मिलवाया

लखनऊ। छोटी छोटी बातों पर इंसान कभी कभी ऐसे कदम उठाया करता है जिसका खामियाजा खुद भी भुगतना पड़ता है। कुछ ऐसा ही हुआ है बलिया निवासी बुजुर्ग श्रीराम भारद्वाज के साथ। श्रीराम भारद्वाज अपनी पत्नी से गुस्सा होकर ऋषिकेश को निकल गए, लेकिन ऋषिकेश को समझ लखनऊ में ट्रेन से उतर गए। अब इनका खराब समय यहीं से शुरू हुआ। स्टेशन से बाहर आने पर अज्ञात बाइक चालक ने इन्हे टक्कर मार दी और इनके पैर में गहरा घाव हो गया। कई दिनों तक ये सड़क किनारे पड़े रहे और आलम ये था की घावों में इन्फेक्शन और फैल गया था। किसी दयालु रिक्शा चालक की नजर पड़ी तो उसने इन्हे सिविल अस्पताल में भर्ती करवा दिया। श्रीराम भरद्वाज करीब डेढ़ महीने से यहीं थे। सामाजिक कार्यों में संलग्न एडवोकेट ज्योति राजपूत किसी अन्य मरीज को लेकर सिविल अस्पताल गई थी जहां उनके मरीज को लावारिस वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था। 


लावारिस वार्ड की दयनीय स्थिति पर ज्योति ने हाई कोर्ट में पीआईएल दायर कर रखी है जिसकी अगली सुनवाई जुलाई में होनी है। उसी दौरान ज्योति ने लावारिस वार्ड में भर्ती मरीजों से उनके परिजनों के बारे में जानकारी पूछी। श्रीराम भारद्वाज ने अपने परिजनों के बारे में पहले तो नही बताया लेकिन बार बार पूछने पर रोते हुए घर से गुस्सा होकर निकलने और पूरे हादसे की जानकारी दे दी। पता उन्होंने पामापुर, सिकंदरपुर थाना, जिला बलिया बताया। ज्योति राजपूत ने तत्परता दिखाते हुए बलिया के लोकल थाने पर संपर्क किया, लेकिन रिस्पॉन्स नही मिला। इसके बाद पुनः जिले के कप्तान से संपर्क करने के बाद फिर से लोकल थाने पर संपर्क किया जिसके बाद पुलिस ने उनके परिजनों को सूचना दी। सूचना पर उनके परिजन आए और एक दूसरे को देखकर आंसुओ की धारा बहने लगी। श्रीराम भारद्वाज अपने परिवार के साथ वापस अपने घर चले गए हैं।

एडवोकेट ज्योति राजपूत मानवीय मूल्यों को समझने के साथ ही कई ऐसे सामाजिक कार्यों में खुद ही आगे बढ़कर अपना योगदान देती हैं। टीम लखनऊ की शान के टीम लीडर बृजेंद्र बहादुर मौर्य के साथ मिलकर कई ऐसे बुजुर्गो को उनके घर पहुंचाया करती हैं। ज्योति राजपूत और बृजेंद्र बहादुर मौर्य इसे प्रोजेक्ट मिलान के नाम से करते हैं। इसमें घर भिजवाने में खर्चे भी लखनऊ के शान के टीम मेंबर्स करते हैं। ज्योति बताती हैं कि अगर सरकारी सहयोग भी मिल जाए तो भटके हुए बुजुर्गो को उनके घर वापस पहुंचाने में और तेजी से काम कर सकेंगी। इसमें जिन बुजुर्गों के परिवार की आर्थिक ठीक नहीं होती है उन्हें उनके परिवार तक पहुंचने के लिए खर्च भी ज्योति राजपूत अपनी जमा पूंजी से करती हैं।

नाम-श्रीराम भारद्वाज, पिता का नाम- केशव भारद्वाज, बेटों का नाम- सलिन्दर, जितेंद्र, सतिन्दर एंव बेटी - सुमन, पूजा। पत्नी का नाम- सुकुमारी। 
पता- गांव-पमापुर, बराडिह के पास, सिकंदरपुर थाना, तहसील- सिकंदरपुर, जिला बलिया, उत्तर प्रदेश

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