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नगर निगम में गृह कर निर्धारण में 64 करोड़ का भ्रष्टाचार

सीबीआई जांच से खुलेंगे अधिकारियों, कर्मचारियों के कारनामे 

लखनऊ। भ्रष्टाचार का कारखाना बन चुके नगर निगम के कर विभाग का बड़ा खेल सामने आया है। यहां पिछले दो वित्तीय वर्ष में गृहकर निर्धारण में जमकर लूट मचाई गई। आरोप है कि अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलीभगत कर 300 प्रतिशत तक वार्षिक मूल्यांकन (एआरवी) कम कर दिया। राजीव गांधी वार्ड प्रथम में एक मकान की एआरवी 111 प्रतिशत तक कम कर दी गई। पूरे शहर एक-दो नहीं सैकड़ों आवासीय व अनावासीय भवनों के वार्षिक मूल्यांकन में फर्जीवाड़ा किया गया है। इन भवनों के करीब 84 करोड़ गृहकर निर्धारण में परिवर्तन कर 64 करोड़ रुपये तक कम कर नगर निगम को भारी राजस्व की चोट पहुंचायी गयी है। एसआईटी अथवा सीबीआई से जांच होने पर भ्रष्टाचार के इस बडेÞ मामले से पर्दा उठेगा। 

कर अधीक्षकों, राजस्व निरीक्षकों व बाबूओं का गठजोड़ नगर निगम को कंगाल करने में जुटा है। गृहकर निर्धारण में खेल से एक तरफ राजस्व का नुकसान पहुंचाया जा रहा है, दूसरी तरफ अधिकारी और कर्मचारी अपने जेब भरने में लगे हैं। 64 करोड़ के भ्रष्टाचार का यह मामला कुछ यही बयां कर रहा है। यह घोटाला सिर्फ दो वित्तीय वर्ष 2018-19 और 2019-20 का ही है, ऐसे में यह मामला और भी बड़ा हो सकता है। जोन चार में विराट खंड-4 आईडी 9157सी09931 का वार्षिक मूल्यांकन 1241136 रुपये किया गया था, मगर वर्ष 2019 में इसमें संशोधन कर महज 11183 रुपये कर दिया गया। एआरवी सीधे तौर पर 1229954 रुपये कम किए जाने सवाल उठता है कि पहले किया गया कर निर्धारण सही था अथवा बाद में किया गया संशोधन। मगर यह तय है कि किसी एक मामले में अधिकारी व कर्मचारी दोषी है। यह एक मामला नहीं है, इसी तरह जोन आठ स्थित आईडी संख्या 9157जी60501 जो कि एक लॉन है, की एआरवी 20636858 को 50 प्रतिशत तक कम कर दिया गया। इसकी एनुअल रेंटल वैल्यू 413100 रुपये कर दी गई। यह दो मामले महज बानगी भर हैं। ऐसे मामलों की संख्या सैकड़ों है। नगर निगम के सभी जोनों के सैकड़ों आवासीय व अनावासीय भवनों की एआरवी में 111 प्रतिशत से लेकर तीन प्रतिशत तक कम कर राजस्व को क्षति पहुंचाई गई है। भवन स्वामी को फायदा पहुंचाने की नियत और अपनी जेब भरने की चाहत ने इस घोटाले को अंजाम दिया गया है। व्हिसल ब्लोअर फोरम के माध्यम से इस मामले की शिकायत भाजपा पार्षद पति विनोद सिंघल ने महापौर व नगर आयुक्त से की है। उन्होंने साक्ष्य के तौर पर 19 पन्नों का रिकार्ड भी सौंपा है। 

नगर निगम में बाहरीयों की घुसपैठ 

नगर निगम के कर विभाग में बिना रिकार्ड के बाहरी लोग काम कर रहे हैं। इन्हें नगर निगम प्रशासन ने नियुक्ति नहीं दी है, मगर राजस्व निरीक्षक व बाबूओं ने अपने फायदे के लिए तैनात कर रखा है। यह काम तो सरकारी कर्मचारी की तरह करते हैं मगर वास्तव में इनका नगर निगम से कोई लेना देना है। इन्हें हाउस टैक्स असेसमेंट के लिए लगाया गया है। नगर निगम के पास इनका कोई रिकार्ड भी नहीं है, लेकिन निगम के अंदर तक इनकी पूरी घुसपैठ है। गोपनीय रिकार्ड से लेकर अंदरूनी जानकारियां इनके पास होती हैं। ये न तो स्थायीकर्मी हैं और न ही कार्यदायी संस्था से तैनात किए गए हैं। इन्हें वेतन नगर निगम नहीं बल्कि इनसे काम लेने वाले कर्मचारी देते हैं। 


"यह मामला जांच का विषय है। इस तरह के मामले की जानकारी नहीं है। इससे संबंधित शिकायत मेरे पास नहीं आई है। इसकी जांच करायी जाएगी। जो भी दोषी होगा, उसे बक्शा नहीं जाएगा।" 

अजय कुमार द्विवेदी
नगर आयुक्त

"नगर निगम में इस तरह का यह गंभीर मामला है। कर निर्धारण में संलिप्त अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से नगर निगम को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। वित्तीय अनियमितता के इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई है। दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों से इसकी वसूली की जाए।" 
विनोद सिंघल
पार्षद पति 


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