छाई हर दम अजब उदासी
फूलों की कलियां भी बासी
कैसा खूनी मंजर है ये
दिल मे चुभता खंजर है ये
कोई आ के इसे निकाले
बांटे सबको अमृत प्याले
बहुत हुआ ये खौफ का मंजर
पीर भरी है दिल के अंदर
सांसे भी हैं महंगी अब तो
सरकारें बहरी हैं अब तो
आप स्वयं ही मरना है तो
मन की बात किसे बतलायें
ई वी एम का बटन दबायें
बिना सिलेंडर मरते जायें
मोहित
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