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आखिर क्यों बोले फ़िल्म "शशांक" के डायरेक्टर, नहीं रिलीज हुई फ़िल्म तो कुछ भी हो सकता है

फ़िल्म उद्योग में "बाहरी" लोगों के संघर्ष पर आधारित है फ़िल्म "शशांक" - सनोज मिश्रा 

लखनऊ। करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये इस फ़िल्म पर खर्च हो चुका है। फ़िल्म के निर्माण में करीब 200 लोगों की यूनिट ने दिन रात मेहनत की है। उसकी कोई कीमत नहीं लगा सकता है। ऐसे में यदि फ़िल्म रिलीज नहीं होगी तो बहुत बड़ा नुकसान होगा जो असहनीय होगा। यह कहना है रिलीज होने से पहले विवादों से घिरी फ़िल्म "शशांक" के डायरेक्टर सनोज मिश्रा का। लखनऊ में आयोजित पत्रकार वार्ता में सनोज मिश्रा ने कहा कि इंसान बेवजह सुसाइड नहीं करता है उसके पीछे दबाव होता है। फ़िल्म रिलीज नहीं हुई तो मेरी दिक्कतें बढ़ जाएगी। मेरे ऊपर काफी दबाव है, फाइनेंसर दबाव बना रहे हैं, सभी के पैसे वापस देना है। जो मेरे लिये भारी है और कुछ भी हो सकता है। 

दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद से फिल्म जगत लगातार चर्चा में रहा है। उनकी मृत्यु के बाद इस विषय पर अनेक फिल्मों के निर्माण की भी घोषणा हुई जिसमें स्थानीय लेखक एवं निर्देशक सनोज मिश्रा, निर्माता मारुत सिंह और अभिनेता रवि सुधा चौधरी ने फिल्म शशांक का निर्माण कार्य पूरा भी कर लिया है। फिल्म का पोस्टर रिलीज होते ही फिल्म चर्चा में आ गई क्योंकि स्वर्गीय सुशांत सिंह राजपूत की बहन श्वेता सिंह कीर्ति ने फिल्म के बहिष्कार के लिए ट्वीट किया। जबकि निर्माता-निर्देशक हमेशा ही इस बात का खंडन करते रहे हैं कि फिल्म सुशांत के जीवन पर आधारित नहीं है। यह फिल्म उद्योग में पनप रहे भाई भतीजावाद और नव युवकों के संघर्ष पर आधारित है। अब जब यह फिल्म प्रदर्शन के लिए तैयार हुई है तो स्वर्गीय सुशांत सिंह के पिता केके सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर फिल्म पर रोक लगाने की मांग की है। जिस पर उच्च न्यायालय ने लगातार 24 मई, 28 मई, 1 जून, 2 जून को सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रखा है। इस विषय पर लेखक निर्देशक सनोज मिश्रा निर्माता मारुत सिंह अदाकार रवि सुधा चौधरी लखनऊ में मीडिया से बातचीत की।

निर्देशक सनोज मिश्रा ने कहाकि स्वर्गीय सुशांत सिंह के पिता केके सिंह ने मुझ पर बिना वजह ही हाईकोर्ट में याचिका दायर की है ,क्योंकि यह फिल्म सुशांत सिंह की नहीं बल्कि मेरी निजी जिंदगी पर आधारित है। मैंने अपनी निजी जिंदगी में पिछले 26 सालों में संघर्ष के दौरान जो कुछ भी देखा समझा और झेला उसी को मैंने फिल्म के जरिए लोगों को बताने की कोशिश की है ताकि आने वाली पीढ़ी जो इस क्षेत्र में भविष्य बनाना चाहती है वह वहां की बारीकियों को समझ सके। क्योंकि

देखें वीडियो https://youtu.be/P8MTMk4Rdro

उन्होंने कहा कि लॉबी और एक लॉबी से दूसरी लॉबी में जाना लगभग असंभव सा हो जाता है। खासतौर उन लोगों के लिए बहुत अधिक मुश्किल हो जाती हैं जो लोग सच्चाई और ईमानदारी से काम करना चाहते हैं। अपने आत्मसम्मान को गिरा कर काम नहीं करते ऐसे लोगों के लिए बहुत ही मुश्किल है बॉलीवुड की राह, यह फिल्म मेरी निजी जिंदगी की कहानी है, जिसमें आर्य बब्बर राजवीर सिंह रवि सुधा चौधरी और अपर्णा मलिक ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं।

अभिनेता रविसुधा चौधरी ने बताया कि वह इस फिल्म में बतौर निर्माता के साथ ही एक अभिनेता के रूप में भी जुड़े हुए हैं। जिसमें वह एक उभरते हुए अभिनेता का किरदार निभा रहे हैं जिसे बॉलीवुड में अपना स्टेटस बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है यह रोल उनके लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण रोल था। निर्माता मारुत सिंह ने कहाकि “फिल्म निर्माण उनके लिए पहला अनुभव रहा है लेकिन फिल्म निर्देशक सनोज मिश्रा से उनकी पुरानी जान पहचान थी और उन्होंने सोच रखा था कि जब भी कभी फिल्म बनाएंगे तो उनके साथ ही शुरुआत करेंगे। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान लखनऊ में पुनः सनोज मिश्रा से मुलाकात हुई व बॉलीवुड की इस कहानी पर चर्चा हुई और मैंने फिल्म निर्माण के लिए ग्रीन सिग्नल दे दिया।”

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