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बाल कलाकारों ने लोकनृत्य की प्रस्तुति से दिया ये संदेश

उड़ान समर वेकेशन फेस्टिवल सातवां दिन

लखनऊ। सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था उड़ान के तत्वावधान में ऑनलाइन जूम एप्प पर चल रहे उड़ान समर वेकेशन फेस्टिवल के सातवें दिन बच्चों ने लोकनृत्य की छटा बिखेर कर अपनी संस्कृति को संरक्षित रखने का संदेश दिया। सरिता सिंह के संयोजन में आज के फेस्टिवल की शुरुआत बाल नृत्यांगना स्वरा त्रिपाठी के लोकनृत्य से हुई। स्वरा त्रिपाठी ने "रंगीला मेरा बालमा मुंदरी का नगीना रे..." पर भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत कर जहां लोगों को अपनी नृत्य प्रतिभा से अवगत कराया वही राजस्थानी संस्कृति के दर्शन करवाये। इसी क्रम में वागीशा पंत ने बन्नी गीत "वन्नौ मेरी नाजुक है नादान..." पर नृत्य प्रस्तुत कर भारतीय संस्कृति में निहित विवाह संस्कार से परिचित करवाया।

भारतीय संस्कृति से परिपूर्ण इस कार्यकम में यशु वर्मा ने "मेरा अस्सी कली का लहँगा..." पर राजस्थानी और गुजराती संस्कृति की मिली-जुली झलक प्रस्तुत की। प्रत्यूषा सिंह ने "सासु पनिया कैसे जाऊँ...", अदिति गौतम ने "सास गारी देवे ननद चुटकी लेवें...", गरिमा सिंह ने "लाया डाक बाबू लाया रे संदेशवा..." गीत पर मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति से उत्तर प्रदेश के अवध प्रान्त की अवधी संस्कृति का दृश्य परिलक्षित किया। इसी परिप्रेक्ष्य में सृष्टि राज और नंदनी ने भी अपने लोक नृत्य से आज के दौर में विलुप्त हो रही अपनी जड़ो और अपनी लोक-संस्कृति, अपनी पहचान को संरक्षित रखने का संदेश दिया।

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