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'आओ प्रकृति से प्रेम करें हम, जिसको भूल गये हैं हम'

बच्चों ने स्वरचित कविता सुनाकर लोगों में नव ऊर्जा का किया संचार

उड़ान समर वेकेशन फेस्टिवल तीसरा दिन

लखनऊ। सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था उड़ान के तत्वावधान में ऑनलाइन जूम एप पर चल रहे उड़ान समर वेकेशन फेस्टिवल के तीसरे दिन मंगलवार को कोरोना काल में बच्चों ने स्वरचित कविता सुनाकर लोगों में नव ऊर्जा का संचार किया। 7 साल की केसर ने अपनी मधुर आवाज में 'मुड जाती हैं हाथों की लकीरें, अगर तूफानों से भी लड़ जाए हम' कविता को सुनाकर लोगों को हौंसले के साथ फिर से काम करने की प्रेरणा दी।

स्वरा त्रिपाठी ने अपनी स्वरचित कविता 'आओ प्रकृति से प्रेम करें हम, जिसको भूल गये हैं हम' को सुनाकर सभी को प्रकृति से प्रेम करने का संदेश दिया। 5 साल की सौम्या सिंह ने अपनी कविता माँ को समर्पित की। श्रेया रंजन ने 'निराला भारत हमारा' कविता के माध्यम से भारत में व्याप्त विविधता मे एकता की संकल्पना को दोहराया। 

मोहांशी गुप्ता ने शत्रु पर विजय', रिद्धिमा ने "मेरी अलमारी और तितली रानी-तितली रानी" कविता के जरिए अपनी अभिव्यंजना प्रकट की। इसी क्रम में रिया शुक्ला ने "पढ़ने से होता ज्ञान अर्जन", रिशा शुक्ला ने "हैं हम छोटे बच्चे नादान माँगे, तुमसे यह वरदान", अधिरा यादव ने "पर्वत कहता शीश उठाकर तुम भी ऊँचे बन जाओ" कविता सुनाकर सभी बच्चों में जोश भर दिया।

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