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सीएमएस : बोले न्यायविद, भावी पीढ़ी को सुरक्षित व सुखमय भविष्य प्रदान करना हमारी पहली प्राथमिकता

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा शनिवार को ‘विश्व न्याय दिवस’ के अवसर पर विश्व के न्यायविदों व कानूनविदों का एक दिवसीय ऑनलाइन अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ। इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में 27 देशों के न्यायविदों व कानूनविदों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए एक स्वर से कहाकि भावी पीढ़ी को सुरक्षित व सुखमय भविष्य प्रदान करना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए और इस उद्देश्य हेतु विश्व के न्यायविदों व कानूनविदों का आगे आकर अन्तर्राष्ट्रीय परिचर्चा में संवाद करना एक अहम कदम है। जो कोरोना महामारी के इस दौर में व इसके उपरान्त नवीन विश्व व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘कोरोना महामारी के दौर में विश्व में न्याय, शान्ति, सुरक्षा व मानवता का कल्याण’ विषय पर आयोजित हुआ। जिसमें 27 देशों के न्यायविदों व कानूनविदों ने ऑनलाइन प्रतिभाग कर कोरोना महामारी के बाद की वैश्विक विश्व व्यवस्था पर विशेष रूप से चर्चा-परिचर्चा की। यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन प्रातः 10.30 बजे से प्रारम्भ होकर शाम 6.00 बजे तक तीन अलग-अलग सेशन्स में सम्पन्न हुआ।

इससे पहले, सम्मेलन के संयोजक डा. जगदीश गाँधी (प्रख्यात शिक्षाविद् व संस्थापक, सी.एम.एस.) ने सम्मेलन में प्रतिभाग कर रहे देश-विदेश की गणमान्य हस्तियों, न्यायविदों व कानूनविदों का हार्दिक स्वागत अभिनंदन किया। इस अवसर पर डा. गाँधी ने कहा कि बच्चों के अधिकारों व विश्व व्यवस्था के महत्वपूर्ण मुद्दे पर आवाज उठाने के लिए मैं विश्व न्यायविदों व कानूनविदों व अन्य गणमान्य हस्तियों का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। यह हमारी इण्टर-जनरेशन रिस्पान्सिबिलटी है कि हम आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर जीवन व बच्चों को सुरक्षा प्रदान करें। 

सम्मेलन में बोलते हुए आर्मीनिया के कोर्ट ऑफ कॉसेसन की प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति रूजाना होकोब्यान ने कहा कि कोरोना महामारी की समस्या सभी देशों में एक समान व्याप्त है, हमें इसे मिलकर सुलझाना है। आपसी झगड़ों को मिटाकर हमें शान्ति व सद्भावना का वातावरण तैयार करना चाहिए। जापान के बयाको शिनो काई की चेयरपरसन मसामी सायोनिजी ने कहा कि हम सबके अन्दर ईश्वरीय शक्ति है। इसी से हम किसी भी आपदा का सामना कर सकते हैं, बस हममे एक-दूसरे की मदद करने का हौसला होना चाहिए। भूटान हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति लोबजैंग रिंजिंग यार्गे ने कहा कि आज न्याय दिवस है। न्याय से ही आदमी महान बनता है। आज कोविड-19 के समय में सभी देशों को एकजुट होकर शान्ति व न्याय की आवाज उठानी चाहिए। 

सम्मेलन के अपरान्हः सत्र का शुभारम्भ सीएमएस के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफीसर रोशन गाँधी के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की स्थितियाँ विगत वर्षों से काफी भिन्न हैं। अब समय आ गया है कि हम ग्लोबल गवर्नेन्स के बारे में गंभीरता से सोचें। सम्मेलन में फलीपीन्स के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिलेरियो डेविड जूनियर, अफगानिस्तान के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति यूसुफ हलीम, मिश्र के सुप्रीम कान्स्टीट्यूशनल कोर्ट के डेप्युटी चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति आदेल उमर शेरिफ, बोस्निया एण्ड हर्जेगोविना की न्यायाधीश न्यायमूर्ति मिरसादा डिजिंडो, इस्वातिनी के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मूसा सी. बी मफलाला, मोजाम्बिक के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एडेलिनो मुचांगा व अन्य गणमान्य हस्तियों ने अपने विचार व्यक्त किये। सम्मेलन में सी.एम.एस. की संस्थापिका-निदेशिका डा. भारती गाँधी ने भी अपने विचार व्यक्त किये जबकि सी.एम.एस. प्रेसीडेन्ट प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने सम्मेलन की सफलता हेतु सभी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए हार्दिक आभार व्यक्त किया। सम्मेलन का संचालन शिशिर श्रीवास्तव (हेड, इण्टरनेशनल रिलेशन्स, सी.एम.एस.) संदीप श्रीवास्तव (प्रोजेक्ट लीडर, विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन, सी.एम.एस.) ने किया। उद्घोषिका की भूमिका सी.एम.एस. के इंग्लिश स्पोकेन विभाग की हेड वीरा हजेला एवं सी.एम.एस. जॉपलिंग रोड कैम्पस की प्रधानाचार्या शिप्रा उपाध्याय ने निभाई।

शिशिर श्रीवास्तव (हेड, इण्टरनेशनल रिलेशन्स, सी.एम.एस.) ने बताया कि दुनिया इस समय अप्रत्याशित आपदा और एक भयंकर महामारी से गुजर रही है जिसमें लाखों लोग मारे गए हैं। विश्व संसद और विश्व न्यायालय का गठन करना समय की तत्काल आवश्यकता है ताकि मानव जाति को खतरनाक परिणामों और विनाश से बचाने के लिए शक्तिशाली विश्व कानून बनाए और लागू किए जा सकें। रोम संविधि के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय को मजबूत करने की आवश्यकता है जिसे दुनिया के कई देशों ने स्वीकार किया है। सीएमएस एक संयुक्त दुनिया के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और वन वर्ल्ड लॉ के तहत मानव जाति का एकीकरण ही मानवता को बचा सकता है और पृथ्वी के प्रगति और सतत विकास की ओर ले जा सकता है। 27 देशों के मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों ने वर्तमान विश्व स्थिति और मानवता के कल्याण के लिए पृथ्वी को एक विश्व कानून के तहत लाने के तरीकों पर जोर दिया।

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