Pages

कवयित्रियों ने कविताओं के माध्यम से समाज में किया नवचेतना एवं जागरूकता का संचार

लखनऊ। महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश (मध्य ) की लखनऊ इकाई की मासिक काव्य गोष्ठी ऑनलाइन गूगल मीट पर डॉ रीना श्रीवास्तव की अध्यक्षता एवं संयोजन में संपन्न हुई। गोष्ठी की मुख्य अतिथि रहीं डॉ राजेश कुमारी (अध्यक्ष महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश इकाई मध्य) तथा विशिष्ट अतिथि डॉ उषा चौधरी (महासचिव महिला काव्य मंच उत्तर प्रदेश इकाई मध्य) रहीं। 

कार्यक्रम का आरंभ आरती जायसवाल ने कृष्ण भजन से करते हुए सभी को पर्व के रंग में सराबोर कर दिया इस, अवसर पर प्रांतीय अध्यक्ष डॉ राजेश कुमारी ने सभी कवयित्रियों को बधाई दी तथा अपने प्रभावपूर्ण उद्बोधन से सभी का उत्साहवर्धन किया। 

उन्होंने कहा कि महिला काव्य मंच की कवयित्रियों ने हर एक परिस्थिति में समाज में सकारात्मकता को प्रसारित करने का कार्य किया है, निश्चित रूप से कवयित्रियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में नवचेतना एवं जागरूकता का संचार किया है। अगस्त माह की महिला काव्य गोष्ठी विभिन्न रंगों को समेटे हुए, एक गुलदस्ते की भांति रही, बहुत ही सशक्त तरीके से विभिन्न मुद्दों को मंच से मुखर होने का अवसर मिला, सभी कविताओं ने श्रोताओं के मन को छूते हुए मंत्र मुक्त कर दिया तथा खूब वाहवाही बटोरी। 

कवयित्रियों ने राष्ट्रभक्ति, सावन झूला, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, समसामयिक, नारी शक्ति एवं पर्यावरण आदि सभी विषयों पर अपनी लेखनी का जादू बिखेरा तथा अपनी रचनाओं से सभी को चमत्कृत कर दिया। सर्वप्रथम विशिष्ट अतिथि डॉ उषा चौधरी ने 'मैं अपनी आंखों से अपनी तस्वीर देख नहीं सकती' सुना कर भावुक कर दिया। मनीषा श्रीवास्तव ने 'झूला डालो सखी', डॉ शोभा बाजपेई ने 'भैया मेरे सुन', श्रीमती साधना मिश्रा जी ने' हे अटल तुम रहोगे अमर सदा', शालिनी त्रिपाठी ने 'एक जहां जो था आबाद, डॉ अनुराधा पान्डेय ने 'जो सीमा पर सजे हैं वो दीपक', डॉ सुधा मिश्रा ने गजल 'ऐसे ना देखो मुझे मैं नशेमन', स्नेह लता ने 'पावन भूमि स्वराज दीप की', बीना श्रीवास्तव ने 'वीर नौजवान हो आकाश बढ़कर चूम लो', दीप्ति दीप ने 'नील नभ में तिरंगा देखो लहरा रहा है', जूली ने 'कह दें इस जहां से यहां ना कोई तेरा है', डॉ अर्चना सिंह ने 'बात जरूरी समझ लो बहना', आरती जायसवाल ने 'जब -जब रक्षाबंधन आये', डॉक्टर ज्योत्सना सिंह ने 'रिश्ता भाई से बहन का नहीं होता व्यापार का', डॉ रेखा गुप्ता ने अपनी ग़ज़ल 'तुमको फुर्सत नहीं जमाने से', सुगन यादव ने 'करार झूठा क्यों किया जाए', डॉ कालिंदी पांडे ने 'मैं नारी हूं मैं नारी हूं', डॉ कीर्ति श्रीवास्तव ने 'खो गईं हमारी खुशियां वक्त बदलने से', पूजा कश्यप जी ने 'पानी सा मैं बन जाऊं', अंजू ने 'माहवारी' कविता के माध्यम से एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया, अर्चना पाल ने 'सिर्फ मेरे घर को पता है', सुना कर भाव विभोर कर दिया, डॉ राजेश कुमारी जी की कविता 'आज हैं आजाद हम' आजादी की कीमत समझा गई, पूनम सिंह ने कविता 'हे सखी नेह तुम्हारा' सुनाया, अंत में डॉ रीना श्रीवास्तव की कविता देखो कान्हा ऐसी लगन लगाता है' कृष्ण भक्ति में सराबोर कर गई।

विविध रंगों को समेटे हुए आज महिला काव्य मंच लखनऊ की काव्य गोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न हुई, अंत में कार्यक्रम का बहुत ही कुशलतापूर्वक, निर्बाध एवं प्रभावशाली संचालन करते हुए डॉ रीना श्रीवास्तव ने सभी कवयत्रियों का आभार व्यक्त किया तथा सर्वे भवन्तु सुखिना, सर्वे संतु निरामया के संदेश के साथ कार्यक्रम को विराम दिया।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ