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फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को दी रोग प्रबंधन की जानकारी, दूर की भ्रांतियां

सीफार के सहयोग से फाइलेरिया सपोर्ट ग्रुप को किया गया प्रशिक्षित  

जिला मलेरिया अधिकारी ने फाइलेरिया से जुड़ी भ्रांतियों को किया दूर 

लखनऊ। फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसी क्रम में गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) द्वारा जिले के फाइलेरिया ग्रसित रोगियों के सपोर्ट ग्रुप को प्रशिक्षित किया गया। इसके तहत बक्शी का तालाब ब्लॉक के हरधौरपुर गाँव में फाइलेरिया ग्रसित रोगियों के सपोर्ट ग्रुप के सौजन्य से पहली बार फाइलेरिया के रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता (एमएमडीपी) को रोकने के बारे में फाइलेरिया रोगियों को विस्तार से बताया गया। इसके साथ ही फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को रोग प्रबंधन के बारे में जानकारी दी गई। 

इस मौके पर जिला मलेरिया अधिकारी डा. रितु श्रीवास्तव ने बताया कि फाइलेरिया एक मच्छरजनित बीमारी है और यह मच्छर गंदी नालियों में पनपते हैं। इसके लिए जरूरी है कि घर व आस-पास साफ-सफाई रखें और पानी इकट्ठा न होने दें। यदि आप खुद इस बीमारी से ग्रसित हैं और उसके कारण समाज में भेदभाव सहित अन्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो कोशिश कीजिए कि दूसरों को उन समस्याओं का सामना न करना पड़े। इसके लिए जरूरी है कि अपने  गाँव और आस-पास लोगों को इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूक करने में अहम भूमिका निभाएं। इसके साथ ही लोगों को बताएं कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया की दवा का सेवन अवश्य करें। लोगों को यह भी बताएं कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, दवा के सेवन से इससे बचा जा सकता है।

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि इस बीमारी को लेकर भ्रांति है कि रात में चावल, बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे फाइलेरिया ग्रसित शरीर के पैरों या अन्य किसी भाग में सूजन बढ़ जाती है जबकि ऐसा नहीं है। किसी भी खाद्य पदार्थ के सेवन की मनाही नहीं है, आप कुछ भी खा सकते हैं। लोगों का यह भी मानना है कि यह बीमारी किसी भूत - प्रेत का साया है या कोई चीज लांघ गए थे इसलिए हुई है, जबकि ऐसा नहीं है। लोगों को इस बात के लिए जागरूक करें कि यह केवल मच्छरजनित बीमारी है और इससे बचा जा सकता है। 

अपर मलेरिया अधिकारी डा. विजय पटेल ने हाथीपाँव से पीड़ित  मरीजों को पैरों के सही रखरखाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बैठते समय पैरों को नहीं मोड़ना चाहिए, अधिक समय तक खड़े नहीं रहना चाहिए और सोते समय पैरों के नीचे तकिया लगा लेनी चाहिए। सीफार से डा. एस.के. पांडे ने फाइलेरिया ग्रसित मरीजों में रुग्णता प्रबंधन (एमएमडीपी) का प्रदर्शन करके दिखाया। पैरों को दिन में दो बार साबुन से धोना चाहिए और साफ कपड़े से पोंछ कर उस पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगानी चाहिए। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

इस मौके पर मलेरिया इंस्पेक्टर मंजू पांडेय ने बताया कि फाइलेरिया को हाथी पाँव के नाम से भी जाना जाता है। इसके संक्रमण के कारण शरीर में सूजन आ जाती है। यह संक्रमण लसिकातंत्र (लिम्फ नोड) को नुकसान पहुंचाता है। इस अवसर पर चंद्रिका देवी और ब्रह्मदेव सपोर्ट ग्रुप के 14 सदस्यों को फाइलेरिया रोग के प्रबंधन की जानकारी दी गई। इस मौके पर आशा कार्यकर्ता अर्चना देवी और कर्मा देवी, सीफार के प्रतिनिधि और अनेक ग्रामीण उपस्थित रहे।

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