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"दोनों में कोई एक भी पागल नहीं हुआ..."

सृजन फाउण्डेशन के उत्तर प्रदेश महोत्सव के अंतिम दिन हुई काव्य गोष्ठी

प्रेस क्लब में व्यंग्य के तीर चले तो प्रेम गीतों का भी श्रोताओं ने आनंद लिया

लखनऊ। सृजन फाउंडेशन की ओर से आयोजित तीन दिवसीय षष्टम उत्तर प्रदेश महोत्सव के समापन संध्या में काव्य गोष्ठी हुई। दो दिन गोमती नगर के संगीत नाटक अकादमी में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के बाद गुरुवार को प्रेस क्लब में हुई काव्य गोष्ठी में रचनाओं ने कभी व्यंग्य के तीर चलाए तो कभी समाज को आइना दिखाकर जागरुक किया। डॉ. बलवंत सिंह की अध्यक्षता में हुयी इस सरस काव्य गोष्ठी का संचालन शाहबाज तालिब ने किया। समारोह में व्याख्या मिश्रा विशिष्ट अतिथि रहीं।

काव्य गोष्ठी में सोमनाथ कश्यप ने अटल शब्द को विस्तारित करते हुए कहा कि “सत्य सिद्धांत पर जब अटल हो गये, कुछ स्वजन तब विरोधी प्रबल हो गये, नम्रता किन्तु फिर भी न छोड़ी कभी, निज अहं त्यागकर हम सफल हो गये।” शाहबाज तालिब ने काव्य गोष्ठी में सच्चे प्रेम का जिक्र करते हुए कहा कि “दोनों में कोई एक भी पागल नहीं हुआ, यानी हमारा इश्क़ मुकम्मल नहीं हुआ।” शाहबाज़ तालिब ने लोगों को सावधान करते हुए पढ़ा कि “ख़ाक होते हुए जंगल ने बताया आख़िर, अहमियत क्या है सुलगती हुई चिंगारी की।”

हर्षित मिश्रा ने मेहनत का कोई विकल्प नहीं हैं यह स्पष्ट करते हुए सुनाया कि “कितनी मुश्किल से मिलती है ये शोहरत, कितने जूते सीधे करने पड़ते हैं।” अमर आनंद ने प्रेरक संदेश देते हुए कहा कि “मैं अंतर के उजाले से बाहर के अंधेरे का सामना करता हूं। ये उजाला पूरी दुनिया को रौशन करे, ऐसी कामना करता हूं। मैं भूखों के लिए रोटी का ज़रिया बनना चाहता हूं। मैं युवाओं के लिए सकारात्मक नजरिया बनना चाहता हूं।” प्रियांशु वात्सल्य ने प्रेम के पथरीले मार्ग पर कहा कि “अब तलक मोम थे मोहब्बत में, खुद को पत्थर बना के देखेंगे।” शशि श्रेया ने विरह रचना का पाठ करते हुए कहा कि “अनुभवों की धुन बनाना गीत गाना आ गया। आँसुओं को आँख के भीतर छिपाना आ गया। जीत लेगा जिंदगी की जंग वो हर हाल में, जिसको सारे दर्द सहकर मुस्कुराना आ गया।” अभिश्रेष्ठ तिवारी ने सुनाया कि “शहर का शहर उसके नाम का था, मर्तबा ये तेरे ग़ुलाम का था।” मनीष पटेल ने कहा कि “ये कैसी शर्त पर उसके हुए हो ये कैसे रख दिया गिरवी आना को।”

सृजन फाउंडेशन के अध्यक्ष अध्यक्ष अमित सक्सेना ने आए अतिथियों का अभिनंदन किया और कहा कि साहित्य और समाज एक दूसरे के पूरक है। इस अवसर पर विख्यात मिश्रा, शशि श्रेया, डॉ. बलवंत सिंह, व्याख्या मिश्रा, राज काफिर, शैलेन्द्र मोहन, डॉ. अर्चना सक्सेना, अभय वर्मा, सचिन श्रीवास्तव, पारुल श्रीवास्तव सहित अन्य उपस्थित रहे।

 

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