Pages

यूपी मेट्रो और रेड ब्रिगेड ने 1857 की वीरांगनाओं को दी श्रद्धांजलि

मेट्रो है महिलाओं के लिए यात्रा का सबसे सुरक्षित साधन - शील कुमार मित्तल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल काॅर्पोरेशन ने ‘निर्भया दिवस' के अवसर पर '1857 की स्वतंत्रता सेनानी वीरांगनाओं' के सम्मान में समर्पित, 'रात का उजाला' नाम सेे एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। हजरतगंज मेट्रो स्टेशन पर आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के सम्मान और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना था। इस कार्यक्रम के दौरान 1857 की महिला स्वतंत्रता सेनानियों को देशभक्ति संगीत और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से 'रेड ब्रिगेड' ने श्रद्धांजलि भी अर्पित की।  

इस अवसर पर 'रेड ब्रिगेड' एनजीओ के कार्यकर्ताओं ने स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राण आहूत करने वाली वीरांगनाओ की गौरव गाथा को पेश किया। वीरांगनाओं की गौरव गाथा के भाव को आज के परिवेश से जोड़ते हुए रेड ब्रिगेड ने समाज के लिए एक महत्वपूर्ण सन्देश प्रस्तुत किया। नाट्य प्रकरण में परिलक्षित सन्देश के माध्यम से उन्होने महिलाओं की ज़िन्दगी में रोज़मर्रा की जंग और उस  जंग को जीतने की असीमित क्षमताओं के परिष्कार पर प्रकाश डाला। 

स्वतंत्रता सेनानी की वीरांगनाओ की याद में श्रद्धांजली स्वरूप एक हजार दिये जलाए गए। महिला सशक्तिकरण को समर्पित विशेष संवाद का भी आयोजन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल काॅर्पोरेशन के निदेशक (वित्त) शील कुमार मित्तल, रेड ब्रिगेड की संस्थापक उषा विश्वकर्मा एवं मेट्रो के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

यू.पी. मेट्रो के निदेशक (वित्त) शील कुमार मित्तल ने इस अवसर पर देश और समाज की उन्नति में महिलाओं की अहम भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘‘आधी आबादी की चिंता और परेशानी को दूर किए बिना हम बेहतर समाज के निर्माण की कल्पना भी नहीं कर सकते। मेट्रो में यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। देर रात भी महिलाएं निश्चिंत हो मेट्रो से सफ़र करती हैं, क्योंकि यहां सबकी सुरक्षा के चाक-चैबंद इंतज़ाम किए गए हैं। मेट्रो ट्रेनों और स्टेशनों पर सब तरफ़ सी.सी.टी.वी. लगाए गए हैं। स्टेशनों पर महिला गार्डस  को भी नियुक्त किया गया है। यू.पी. मेट्रो में मेट्रो स्टेशन से लेकर मेट्रो ट्रेनों के संचालन में भी महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।" महिला सुरक्षा पर आधारित संवाद कार्यक्रम में रेड ब्रिगेड की संस्थापक उषा विश्वकर्मा ने महिलाओं को आज के बदलते युग में उनको सशक्त, सवावलम्बी और आत्मनिर्भर बनाने पर ज़ोर दिया। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ