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शिक्षा पाना हर किसी का अधिकार : सुलोचना मौर्य

लखनऊ। शिक्षा पाना हर किसी का अधिकार है। 42 वें संविधान संशोधन 2002 में मौलिक अधिकारों के रूप में 14 साल के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का नियम है शिक्षा का अधिकार। यह विचार परिषदीय विद्यालयों में नवीन नामांकन को बढ़ाने के लिए बुधवार को स्कूल चलो अभियान के अंतर्गत शत प्रतिशत नामाकंन के दौरान उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ की प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना मौर्य ने व्यक्त किए।

इस मौके पर उन्होंने कहा कि आर टी आई एक्ट संविधान के 21अ में इसे जोड़ा गया, जो 1 अप्रैल 2010 से प्रभावी है। अब हर किसी को अपने बच्चों को पढ़ाना अनिवार्य है। शिक्षा का अधिकार हमारे देश के संविधान में वर्णित मूल्यों में से एक है। आज वही देश सबसे ताकतवर की श्रेणी में आता है जिसके पास ज्ञान की शक्ति है। शिक्षा को सुलभ बनाने के लिए पूरे देश में शैक्षिक जागरूकता फैलाना अति आवश्यक है।

सुलोचना मौर्य ने कहा कि बालक के साथ बालिकाओं की शिक्षा के उद्देश्य एक नहीं अनेक है शिक्षित नारी को पुरुष समान अधिकार प्राप्त है शिक्षित नारी में आज पुरुष की शक्ति और पुरुष का वही अद्भुत तेज दिखाई पड़ता है।


आज सरकार के द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सबला योजना, मातृत्व सहयोग योजना, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना, उज्जवला योजना के साथ STEP कार्यक्रम का संचालन कर शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण क्षेत्र की बेटियों और महिलाओं को आत्म निर्भर किया जा रहा है। 

आज महिला साक्षरता दर 65.46 है जबकि पुरुष साक्षरता दर 82.14 हैं, पुरुषों के सापेक्ष महिला साक्षरता दर कम है लेकिन जल्द ही हम महिलाओं को साक्षर कर इस अंतर को समाप्त कर देंगे। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों और महिलाओं का शिक्षित होना जरूरी है नारी का देश व समाज में सम्मानीय एवं महत्वपूर्ण स्थान होता है इसके प्रति लोगों को जागरूक करना चाहिए जिससे हर एक लड़की को शिक्षित बनाया जा सके।

उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ की प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बालकों के साथ बालिकाओं को भी शिक्षा प्राप्ति के लिए विद्यालय भेजना चाहिए जिससे देश साक्षर हो, वह महिलाएं आगे बढ़कर देश का नाम रोशन करें। आधुनिकीकरण का असर विद्यालयों में भी देखा जा सकता है। आज विद्यालय पूरी तरह से तकनीकी उपकरणों के माध्यम से संचालित किए जा रहे हैं। इस व्यवस्था से विद्यालयों के शिक्षण व्यवस्था में काफी हद तक सुधार हो चुका है। तकनीकी उपकरणों के माध्यम से विकलांग बच्चों को लिखने पढ़ने में काफी सुगमता मिली हैं। संविधान में उल्लेखित किए गए मूल्यों के हिसाब से पाठ्यक्रम का प्रावधान किया गया है। बच्चे के समग्र विकास बच्चे के ज्ञान संभावना और प्रतिभा निखारने तथा बच्चे की मित्रवत प्रणाली एवं बाल केंद्रित ज्ञान प्रणाली के द्वारा बच्चे को डर चोट और चिंता से मुक्त वातावरण प्रदान किया जा रहा है।


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