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40 साल बाद भी आज फिर परदे पर नजर आएगी प्रेम रोग

मुंबई। दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर और अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे की म्यूजिकल रोमांस फिल्म प्रेम रोग को 30 जुलाई को पूरे 40 साल हो रहे हैं। फिल्म निर्माता-अभिनेता राज कपूर द्वारा निर्देशित इस फिल्म को दर्शकों ने खूब पंसद किया था। फिल्म का प्रसारण जी बॉलीवुड पर 30 जुलाई को सुबह 11 बजे किया जाएगा। आज भी इस फिल्म को देखने पर लोगों की आंखों में आंसू जाते हैं। फिल्म की 40वीं वर्षगांठ से पहले अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे ने फिल्म से जुड़ी कुछ यादों को साक्षा किया। उन्होंने कहा, एक बार फिर परिवार संग फिल्म जरूर देखें। 


फिल्म के 40वें वर्ष में आप क्या महसूस कर रही हैं?

प्रेम रोग भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक युग को परिभाषित करने वाली फिल्म थी। यह सिर्फ प्रेम कहानी नहीं थी, बल्कि यह उस समय के ग्रामीण भारत की रुढ़िवादी सोच को दर्शाती हुई एक वास्तविकता थी। (हंसते हुए) फिल्म में उनका किरादार उत्पीड़ित महिलाओं की आवाज बन गया है। मेरा किरदार मनोरमा का था, वह उन सभी महिलाओं की आवाज थी जो खुद के लिए नहीं बोल सकती थी। फिल्म के जरिए राज कपूर साहब ने रुढ़िवादी सोच के खिलाफ आवाज उठायी थी। मैंने चुलबुली मनोरमा का रोल निभाया था, वहीं ऋषि जी ने देवधर की भूमिका निभाई थी, जो शांत, दयालु और रचनाशील थे। प्रेम रोग को राज कपूर का आॅल-टाइम क्लासिक माना जाता है। 


ऋषि कपूर जी के साथ काम करके कैसा अनुभव रहा?

ऋषि कपूर जी हिंदी सिनेमा के लेजेंड अभिनेता थे। उनके साथ मैंने ढेरों फिल्मों में काम किया है। जमाने को दिखाना है, ये इश्क नहीं आसान, राही बदल गए और प्यार के काबिल। इन सभी फिल्मों में ऋषि कपूर जी के साथ सेट पर होना और काम करना आज भी याद है। उनके अभिनय के लाखो दीवाने थे और हैं इन्होने जिस भी फिल्म में काम किया वो सुपर हिट गयी। ऋषि जी अपनी हर एक फिल्म के किरदार को जीते थे। वह आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी फिल्मों के जरिए उन्हें हमेशा देखा जा सकता है। उनके किरदार को देखकर कोई भी उन्हें भूला नहीं सकता। 

आपके किरदार के लिए पुरस्कार मिलने पर कैसा महसूस किया था

सन 1983 में फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता अभिनेत्री सहित चार फिल्मफेयर पुरस्कार जीते थे। किसी भी कलाकार के लिए पुरस्कार मिलना यादगार होता है। उस समय पुरस्कारों की इतनी श्रेणियां नहीं होेती थी। आज तो पुरस्कारों की भरमार है। उन्होंने बताया कि हमारे समय में तो सिल्वर, गोल्डन और डायमंड जुबली होती थी, लेकिन वर्तमान फिल्म इंडस्ट्री में काफी बदलाव चुके हैं। 


फिल्म से जुडे कोई यादगार लम्हें ?

(हंसते हुए) प्रेम रोग फिल्म में वैसे तो कई ऐसे लम्हें हैं लेकिन ऋषि जी को थप्पड़ मारने वाला सीन बेहद कठिन था। मुझे याद है ऋषि कपूर जी को थप्पड़ मारना था। उस शॉट में हमें कुछ 7-8 री-टेक लेने पड़े। मुझे उन्हें 7-8 बार थप्पड़ मारना पड़ा।

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